{"_id":"637340ef2f3b905531725cd3","slug":"mainpuri-byelection-bjp-candidate-raghuraj-singh-shakya-close-to-shivpal-against-dimple-how-challenge-for-sp","type":"feature-story","status":"publish","title_hn":"Mainpuri By Election: डिंपल के खिलाफ शिवपाल के करीबी बने BJP प्रत्याशी, सपा के लिए कितनी बड़ी चुनौती?","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
Mainpuri By Election: डिंपल के खिलाफ शिवपाल के करीबी बने BJP प्रत्याशी, सपा के लिए कितनी बड़ी चुनौती?
इलेक्शन डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु मिश्रा
Updated Tue, 15 Nov 2022 01:04 PM IST
सार
आइए जानते हैं रघुराज शाक्य के बारे में सबकुछ। यादव परिवार से शाक्य के क्या रिश्ते हैं? शाक्य मैनपुरी में डिंपल यादव के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन सकते हैं ?
विज्ञापन
मैनपुरी लोकसभा उपचुनाव
- फोटो : अमर उजाला
विज्ञापन
विस्तार
मैनपुरी लोकसभा सीट पर होने वाले उपचुनाव के लिए भारतीय जनता पार्टी ने भी अपने प्रत्याशी का एलान कर दिया है। भाजपा ने सपा के पूर्व सांसद और विधायक रघुराज सिंह शाक्य को टिकट दिया है। रघुराज को शिवपाल यादव का करीबी माना जाता था। फरवरी तक वह शिवपाल यादव की पार्टी में थे। शिवपाल और अखिलेश में समझौता होने के बाद उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया था। आइए जानते हैं रघुराज शाक्य के बारे में सबकुछ। यादव परिवार से शाक्य के क्या रिश्ते हैं? शाक्य मैनपुरी में डिंपल यादव के लिए कितनी बड़ी चुनौती बन सकते हैं ?
Trending Videos
पहले रघुराज सिंह शाक्य के बारे में जान लीजिए
रघुराज सिंह शाक्य को शिवपाल सिंह याादव का काफी करीबी माना जाता था। 1999 और 2004 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर इटावा लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। 2004 में सपा ने इटावा लोकसभा से शाक्य को प्रत्याशी बनाया था, तब उन्हें 367,807 वोट मिले थे। 2009 में फतेहपुर सीकरी से शाक्य को सपा ने टिकट दिया था। हालांकि, तब वह चौथे नंबर पर रहे थे। 2012 में इटावा विधानसभा से टिकट मिला और शाक्य चुनाव जीत गए।
2017 में जब शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच अनबन शुरू हुई तो शाक्य भी शिवपाल के साथ प्रगतिशील समाज पार्टी में आ गए। इस बार 2022 का विधानसभा चुनाव प्रसपा-सपा गठबंधन से लड़ने की तैयारी में थे। उन्हें भरोसा भी दिया गया था कि इटावा से उन्हें टिकट दिया जाएगा, लेकिन आखिरी वक्त में सपा ने वहां से सर्वेश शाक्य को मैदान में उतार दिया। सर्वेश पूर्व सांसद रामसिंह शाक्य के बेटे हैं। इससे नाराज रघुराज ने आठ फरवरी 2022 को प्रसपा छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
रघुराज सिंह शाक्य को शिवपाल सिंह याादव का काफी करीबी माना जाता था। 1999 और 2004 में वह समाजवादी पार्टी के टिकट पर इटावा लोकसभा सीट से सांसद चुने जा चुके हैं। 2004 में सपा ने इटावा लोकसभा से शाक्य को प्रत्याशी बनाया था, तब उन्हें 367,807 वोट मिले थे। 2009 में फतेहपुर सीकरी से शाक्य को सपा ने टिकट दिया था। हालांकि, तब वह चौथे नंबर पर रहे थे। 2012 में इटावा विधानसभा से टिकट मिला और शाक्य चुनाव जीत गए।
2017 में जब शिवपाल सिंह यादव और अखिलेश यादव के बीच अनबन शुरू हुई तो शाक्य भी शिवपाल के साथ प्रगतिशील समाज पार्टी में आ गए। इस बार 2022 का विधानसभा चुनाव प्रसपा-सपा गठबंधन से लड़ने की तैयारी में थे। उन्हें भरोसा भी दिया गया था कि इटावा से उन्हें टिकट दिया जाएगा, लेकिन आखिरी वक्त में सपा ने वहां से सर्वेश शाक्य को मैदान में उतार दिया। सर्वेश पूर्व सांसद रामसिंह शाक्य के बेटे हैं। इससे नाराज रघुराज ने आठ फरवरी 2022 को प्रसपा छोड़कर भारतीय जनता पार्टी का दामन थाम लिया।
विज्ञापन
विज्ञापन
डिंपल को कितनी चुनौती दे पाएंगे शाक्य?
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, 'रघुराज सिंह शाक्य समाजवादी पार्टी के पुराने नेता रहे हैं। मुलायम-शिवपाल सिंह यादव के करीबी रहे। यादव परिवार में उनकी अच्छी दखल थी। ऐसे में उनका सपा के खिलाफ चुनाव लड़ना बड़ा सियासी संदेश है। समाजवादी पार्टी को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है।' अब डिंपल को चुनाव में इन तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रमोद कुमार सिंह ने कहा, ‘रामपुर में भी भाजपा ने आजम खान के करीबी रहे घनश्याम लोधी को टिकट दिया था और वह जीत भी गए। यही रणनीति मैनपुरी लोकसभा चुनाव उप-चुनाव में भाजपा ने अपनाई है। उसे रामपुर जैसे नतीजों की उम्मीद होगी।’
प्रमोद कहते हैं, ‘मैनपुरी में शाक्य समाज के वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। इसके साथ ही अगर शिवपाल पर्दे के पीछे से भी रघुराज का समर्थन करते हैं तो डिंपल को इसका नुकसान हो सकता है। भाजपा इस सीट पर प्रचार करने के लिए मुलायम की छोटी बहू अपर्णा को भी उतारने की तैयारी में है। इसके जरिए भाजपा परिवार की फूट को दिखाकर उसे भुनाने की कोशिश करेगी।’
इसे समझने के लिए हमने वरिष्ठ पत्रकार प्रमोद कुमार सिंह से बात की। उन्होंने कहा, 'रघुराज सिंह शाक्य समाजवादी पार्टी के पुराने नेता रहे हैं। मुलायम-शिवपाल सिंह यादव के करीबी रहे। यादव परिवार में उनकी अच्छी दखल थी। ऐसे में उनका सपा के खिलाफ चुनाव लड़ना बड़ा सियासी संदेश है। समाजवादी पार्टी को इससे नुकसान उठाना पड़ सकता है।' अब डिंपल को चुनाव में इन तीन चुनौतियों का सामना करना पड़ सकता है।
प्रमोद कुमार सिंह ने कहा, ‘रामपुर में भी भाजपा ने आजम खान के करीबी रहे घनश्याम लोधी को टिकट दिया था और वह जीत भी गए। यही रणनीति मैनपुरी लोकसभा चुनाव उप-चुनाव में भाजपा ने अपनाई है। उसे रामपुर जैसे नतीजों की उम्मीद होगी।’
प्रमोद कहते हैं, ‘मैनपुरी में शाक्य समाज के वोटर्स की संख्या काफी अधिक है। इसका फायदा भाजपा को मिल सकता है। इसके साथ ही अगर शिवपाल पर्दे के पीछे से भी रघुराज का समर्थन करते हैं तो डिंपल को इसका नुकसान हो सकता है। भाजपा इस सीट पर प्रचार करने के लिए मुलायम की छोटी बहू अपर्णा को भी उतारने की तैयारी में है। इसके जरिए भाजपा परिवार की फूट को दिखाकर उसे भुनाने की कोशिश करेगी।’
मैनपुरी का क्या है समीकरण?
मैनपुरी में अभी करीब 17 लाख वोटर्स हैं। इनमें 9.70 लाख पुरुष और 7.80 लाख महिलाएं हैं। 2019 में इस सीट पर 58.5% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मुलायम सिंह यादव को कुल 5,24,926 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य के खाते में 4,30,537 मत पड़े थे। मुलायम को 94,389 मतों के अंतर से जीत मिली थी।
मैनपुरी में अभी करीब 17 लाख वोटर्स हैं। इनमें 9.70 लाख पुरुष और 7.80 लाख महिलाएं हैं। 2019 में इस सीट पर 58.5% लोगों ने अपने मताधिकार का प्रयोग किया था। मुलायम सिंह यादव को कुल 5,24,926 वोट मिले थे, जबकि दूसरे नंबर पर रहे भारतीय जनता पार्टी के प्रत्याशी प्रेम सिंह शाक्य के खाते में 4,30,537 मत पड़े थे। मुलायम को 94,389 मतों के अंतर से जीत मिली थी।
जातीय समीकरण की बात करें तो ये सीट पिछड़े वर्ग के मतदाताओं की बहुलता वाली सीट है। यहां सबसे ज्यादा यादव मतदाता हैं। इनकी संख्या करीब 3.5 लाख है। शाक्य, ठाकुर और जाटव मतदाता भी अच्छी संख्या में हैं। इनमें करीब एक लाख 60 हजार शाक्य, एक लाख 50 हजार ठाकुर, एक लाख 40 हजार जाटव, एक लाख 20 हजार ब्राह्मण, एक लाख लोधी राजपूतों के वोट हैं। वैश्य और मुस्लिम मतदाता भी एक लाख के करीब हैं। कुर्मी मतदाता भी एक लाख से ज्यादा हैं।
मैनपुरी लोकसभा सीट में विधानसभा की पांच सीटें आती हैं। इनमें चार सीटें- मैनपुरी, भोगांव, किशनी और करहल मैनपुरी जिले की हैं। इसके साथ ही इटावा जिले की जसवंतनगर विधानसभा सीट भी इस लोकसभा सीट का हिस्सा है। इस साल हुए विधानसभा चुनाव में मैनपुरी जिले की दो सीटों पर भाजपा, जबकि दो पर समाजवादी पार्टी के प्रत्याशी ने जीत हासिल की थी। इसमें मैनपुरी और भोगांव भाजपा के खाते में गई थी, जबकि किशनी और करहल सपा के। करहल से खुद अखिलेश यादव विधायक हैं। वहीं, इटावा की जसवंतनगर सीट पर सपा के टिकट पर शिवपाल सिंह यादव जीते थे।