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MEA: 'हम अपनी धरती से अन्य देशों के खिलाफ गतिविधियों की अनुमति नहीं देते', यूनुस सरकार के आरोपों पर भारत

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: राहुल कुमार Updated Wed, 20 Aug 2025 10:09 PM IST
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सार

भारत सरकार ने बांग्लादेश के उस दावे को निराधार बताया है, जिसमें यूनुस सरकार ने भारत में अवामी लीग के सदस्यों की ओर से बांग्लादेश विरोधी गतिविधियां चलाने का आरोप लगाया गया था।

MEA says Government not allow political activities against other countries to be carried out from Indian soil
रणधीर जायसवाल, विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारतीय विदेश मंत्रालय ने बुधवार को बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के उस दावे को गलत बताया है, जिसमें आरोप लगाया गया था कि भारत में अवामी लीग के 'राजनीतिक कार्यालय' चल रहे हैं। मंत्रालय ने कहा कि नई दिल्ली अपनी धरती से अन्य देशों के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति नहीं देता है। बांग्लादेश की अंतरिम सरकार का प्रेस बयान गलत है। 

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विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बुधवार को स्पष्ट किया कि सरकार को भारत में अवामी लीग के सदस्यों की ओर से किसी बांग्लादेश विरोधी गतिविधि या भारतीय कानून के उल्लंघन की कोई जानकारी नहीं है। भारत अपने क्षेत्र से किसी भी देश के खिलाफ राजनीतिक गतिविधियों की अनुमति नहीं देता। उन्होंने बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के प्रेस बयान को गलत करार देते हुए खारिज कर दिया। प्रवक्ता ने यह भी दोहराया कि भारत की अपेक्षा है कि बांग्लादेश में जल्द से जल्द स्वतंत्र, निष्पक्ष और समावेशी चुनाव कराए जाएं, ताकि वहां की जनता की इच्छा और जनादेश का पता चल सके।
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बांग्लादेश ने लगाए थे ये आरोप
बांग्लादेश की अंतरिम सरकार ने पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना की पार्टी अवामी लीग को लेकर कहा था, बांग्लादेश की पूर्व सत्तारूढ़ पार्टी ने भारत की राजधानी दिल्ली और कोलकाता में अपने ऑफिस खोले हैं। उन्होंने इसे बांग्लादेश विरोधी गतिविधियों का हिस्सा बताते हुए भारत से तत्काल कार्रवाई की मांग की थी।

बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने एक आधिकारिक पत्र जारी कर कहा था कि अवामी लीग के कई वरिष्ठ नेता बांग्लादेश में मानवता के खिलाफ अपराधों के आरोप में वांछित हैं और वे भारत में शरण लिए हुए हैं। पत्र में यह भी दावा किया गया है कि 21 जुलाई को दिल्ली के प्रेस क्लब में एक गैर-सरकारी संगठन के नाम पर अवामी लीग के नेताओं ने कार्यक्रम आयोजित किया और पत्रकारों के बीच पुस्तिकाएं वितरित कीं। 

पत्र में यह भी कहा गया था कि यह घटनाक्रम भारत के साथ आपसी विश्वास और सम्मान से प्रेरित अच्छे पड़ोसी संबंधों को भी खतरे में डालता है, और बांग्लादेश में चल रहे राजनीतिक परिवर्तन के लिए गंभीर परिणाम पैदा कर रहा है। इससे बांग्लादेश में जनभावनाएं भी भड़क सकती हैं, जिसका असर दोनों पड़ोसियों के बीच संबंधों को और प्रगाढ़ बनाने के दोनों देशों के चल रहे प्रयासों पर पड़ सकता है। इसलिए भारतीय धरती पर प्रतिबंधित बांग्लादेश अवामी लीग के राजनीतिक कार्यालयों को तत्काल बंद किया जाए।

ये भी पढ़ें: Maharashtra: चुनाव विश्लेषक संजय कुमार के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज, मतदाताओं की गलत जानकारी देने का आरोप

अवामी लीग ने अतंरिम सरकार पर साधा निशाना
बांग्लादेश की सरकार के दावे को अवामी लीग ने इन आरोपों को खारिज करते हुए इसे यूनुस सरकार की दुर्भावनापूर्ण प्रचार का हिस्सा बताया था। पार्टी ने अपने बयान में कहा कि कोलकाता में कार्यालय खोलने की खबरें आधारहीन हैं और यूनुस प्रशासन की ओर से फैलाई गई अफवाहें हैं। अवामी लीग ने यह भी आरोप लगाया कि यूनुस सरकार देश में लोकतांत्रिक संस्थाओं को कमजोर कर रही है।

लिपुलेख पर नेपाल के दावे को भारत ने किया खारिज 

लिपुलेख दर्रे पर नेपाल सरकार के दावे को भारत ने खारिज कर दिया है। बुधवार को विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जयसवाल ने कहा, हमारी स्थिति स्पष्ट है। लिपुलेख दर्रे के माध्यम से भारत और चीन के बीच सीमा व्यापार 1954 में शुरू हुआ था और दशकों से चल रहा है। हाल के वर्षों में कोविड और अन्य घटनाओं के कारण यह व्यापार बाधित हुआ था। अब दोनों पक्ष इसे फिर से शुरू करने पर सहमत हुए हैं। क्षेत्रीय दावों के संबंध में, हमारा रुख यह है कि ऐसे दावे न तो उचित हैं और न ही ऐतिहासिक तथ्यों और साक्ष्यों पर आधारित हैं। एकतरफा क्षेत्रीय दावे अस्वीकार्य हैं। भारत बातचीत और कूटनीति के जरिये से लंबित सीमा मुद्दों को सुलझाने के लिए नेपाल के साथ रचनात्मक बातचीत के लिए तैयार है।

बता दें कि नेपाल सरकार ने लिपुलेख मार्ग से भारत और चीन के बीच प्रस्तावित सीमा व्यापार पर कड़ी आपत्ति जताई थी। नेपाल के विदेश मंत्रालय ने अपने औपचारिक बयान में कहा था कि लिपुलेख, लिम्पियाधुरा और कालापानी क्षेत्र ऐतिहासिक रूप से नेपाल का हिस्सा हैं। ऐसे में भारत और चीन के बीच किसी भी तरह का व्यापार या समझौता नेपाल की संप्रभुता का उल्लंघन माना जाएगा। मंत्रालय ने भारत और चीन, दोनों से आग्रह किया है कि वे नेपाल की चिंताओं को गंभीरता से लें और किसी भी तरह की गतिविधि से पहले उसकी सहमति लें।

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