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Mission 2024: भाजपा ने अगड़ा, पिछड़ा व एससी-एसटी का नया समीकरण किया तैयार, 2024 पर है पूरी नजर

हिमांशु मिश्र, नई दिल्ली Published by: यशोधन शर्मा Updated Wed, 13 Dec 2023 07:26 AM IST
सार

छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में भाजपा ने सरकार का चेहरा और भावी स्वरूप तय करते समय राज्य का ही नहीं, बल्कि लोकसभा चुनाव के जातिगत और सियासी समीकरण का खास ख्याल रखा है।

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Mission 2024 BJP has prepared new equation of forward, backward and SC-ST, with full eye 2024
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छत्तीसगढ़, मध्य प्रदेश के बाद राजस्थान में भाजपा ने सरकार का चेहरा और भावी स्वरूप तय करते समय राज्य का ही नहीं, बल्कि लोकसभा चुनाव के जातिगत और सियासी समीकरण का खास ख्याल रखा है। इन तीनों राज्यों में सीएम और डिप्टी सीएम पद के मामले में अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, पिछड़ा और अगड़ा वर्ग के प्रतिनिधित्व के सहारे पार्टी लोकसभा चुनाव में विपक्ष के जाति गणना के सहारे ओबीसी कार्ड के जरिये मोदी सरकार को घेरने की रणनीति पर पानी फेरने की योजना पर आगे बढ़ी है।

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पार्टी ने इसके साथ ही भविष्य में हर स्तर पर नया नेतृत्व उभारने का सख्त संदेश भी दिया है। इन तीन राज्यों में सीएम, डिप्टी सीएम और विधानसभा अध्यक्ष के लिए चेहरे तय करते समय पार्टी ने संबंधित राज्य के जातिगत समीकरण का खास ख्याल रखा है। मसलन छत्तीसगढ़ में सरकार की कमान आदिवासी, मध्य प्रदेश में ओबीसी और राजस्थान में अगड़ा वर्ग को दी है। उप मुख्यमंत्रियों की बात करें तो छग में प्रभावशाली ओबीसी, अगड़ा, मध्य प्रदेश में अगड़ा और अनुसूचित जाति के साथ राजस्थान में अगड़ा और अनुसूचित जाति को आगे बढ़ाया है।
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कई प्रदेशों पर दिखेगा तीन राज्यों का असर
इन तीन राज्यों में सीएम और डिप्टी सीएम के लिए अलग-अलग वर्ग के नेताओं का चयन का असर कई प्रदेशों पर दिखेगा। मसलन छत्तीसगढ़ में एसटी वर्ग के सीएम विष्णुदेव साय का प्रभाव झारखंड, ओडिशा, मध्य प्रदेश में भी दिखेगा। इसी प्रकार मप्र में सीएम बनाए गए मोहन यादव का प्रभाव इस बिरादरी के प्रभाव वाले राज्यों उत्तर प्रदेश, बिहार और हरियाणा में दिखेगा। राजस्थान में ब्राह्मण बिरादरी के शर्मा की ताजपोशी के बाद यह बिरादरी भाजपा और मोदी सरकार में खुद को उपेक्षित महसूस नहीं करेगी।

मोदी की लाइन चिंता का शबब
पीएम मोदी की सलाह है कि इस अवधारणा को खत्म करना चाहिए कि राजनीति में आने का मतलब विधायक, सांसद, मंत्री बनना है। पीएम की इच्छा है कि पार्टी के स्थायित्व और स्वीकार्यता के लिए सबसे अहम सेवा भाव है। इससे यह संदेश गया है कि आगामी लोकसभा चुनाव में सांसदों के लिए अपना टिकट बचाना मुश्किल होगा।

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