Mizoram: मतगणना की तारीख बदलने की मांग को लेकर भूख हड़ताल पर बैठे 'वॉकथॉन मैन', राज्यभर में मतदान जारी
Mizoram: मिजोरम के एक सामाजिक कार्यकर्ता मतगणना के दिन को बदलने की मांग को लेकर चुनाव आयोग की चुप्पी के खिलाफ मंगलवार को भूख हड़ताल पर बैठे। 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए राज्य भर में मतदान जारी है।
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मिजोरम के एक सामाजिक कार्यकर्ता मतगणना के दिन को बदलने की मांग को लेकर चुनाव आयोग की चुप्पी के खिलाफ मंगलवार को भूख हड़ताल पर बैठे। 40 सदस्यीय विधानसभा के लिए राज्य भर में मतदान जारी है।
चुनाव आयोग ने मतगणना के लिए तीन दिसंबर की तारीख तय की है। ईसाई बहुल राज्य के सभी प्रमुख राजनीतिक दलों ने चुनाव आयोग से दिन बदलने का आग्रह किया है क्योंकि इसी दिन चर्च के भी कार्यक्रम हैं।
लालबियाकथांगा (66 वर्षीय) ने भी चुनाव आयोग से यही मांग करते हुए पत्र लिखा था। उन्होंने भूख हड़ताल के साथ अपना विरोध प्रदर्शन करने के लिए मतदान के दिन को चुना है। वह आइजोल के केंद्र में राज्य सरकार के स्वामित्व वाले सभागार 'वनपा हॉल' के सामने बैठे हैं।
मतदान खत्म होने तक जारी रहेगी भूख हड़ताल
लालबियाकथांगा ने बताया कि भूख हड़ताल सुबह सात बजे शुरू हुई और यह शाम चार बजे तक जारी रहेगी जब मतदान समाप्त हो जाएगा। उनको 'वॉकथॉन मैन' के नाम से भी जाना जाता है क्योंकि उन्होंने विभिन्न सामाजिक मुद्दों पर जागरूकता बढ़ाने के लिए कई बार सैकड़ों किलोमीटर की पैदल यात्रा की थी।
विरोध में मतदान नहीं करेंगे लालबियाकथांगा
उन्होंने समाचार एजेंसी पीटीआई से यह भी कहा कि वह विरोध दर्ज कराने के लिए अपना वोट नहीं डालेंगे। उन्होंने कहा, हालांकि, मैं अपना वोट डालना चाहता हूं, लेकिन यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि मैं ऐसा नहीं कर सकता क्योंकि चुनाव आयोग मतगणना की तारीख बदलने के हमारे अनुरोध पर कोई कार्रवाई करने में विफल रहा है।
मतगणना की तारीख बदलने का किया था आग्रह
सत्तारूढ़ मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) और भाजपा सहित राजनीतिक दलों, चर्च और छात्र निकायों ने चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मतगणना की तारीख बदलने का आग्रह किया था। 'वॉकथॉन मैन' ने 25 अक्तूबर को चुनाव आयोग को पत्र लिखकर मतगणना की तारीख शनिवार और रविवार के बजाय किसी अन्य दिन करने का आग्रह किया था।
आइजोल से चुराचांदपुर की पदयात्रा कर चुके लालबियाकथांगा
जातीय संघर्ष प्रभावित राज्य में शांति और सद्भाव को बढ़ावा देने के लिए लालबियाकथांगा इस साल मई में आइजोल से मणिपुर के चुराचंदपुर तक पहुंचने के लिए 10 दिनों तक पैदल चले थे।