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Mizoram: पूर्व आईपीएस जो बन सकते हैं मिजोरम के नए मुख्यमंत्री, कभी इन पर था इंदिरा गांधी की सुरक्षा का जिम्मा

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, आइजोल Published by: आदर्श शर्मा Updated Mon, 04 Dec 2023 05:09 PM IST
सार

जेडपीएम पार्टी कैसे अस्तित्व में आई और कैसे पार्टी के प्रमुख पूर्व आईपीएस लालडुहोमा ने राज्य के राजनीति समीकरण को ही बदल दिया। आइये जानते हैं...

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Mizoram: Will ZPM become the largest party, how did it change the political mood?
जोराम पीपुल्स मूवमेंट के नेता लालडुहोमा। - फोटो : Amar Ujala
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विस्तार
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मिजोरम में चुनावी नतीजे आ गए हैं। यहां सत्तासीन मिजो नेशनल फ्रंट (एमएनएफ) की सरकार को बड़ा झटका लगा है। तो वहीं एक नई पार्टी राज्य में बंपर जीत के साथ उभरी है। यह पार्टी है जेडपीएम, जिसने 40 सीटों वाली मिजोरम विधानसभा में 21 सीटों के बहुमत के आंकड़े को पार कर लिया है। चौंकाने वाली बात यह है कि मिजोरम में जिस जेडपीएम को इतना बड़ा जनादेश मिलता दिख रहा है, उसका गठन ही महज चार साल पहले हुआ है। 

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इस बीच ये जानना जरूरी है कि जेडपीएम पार्टी कैसे अस्तित्व में आई और कैसे पार्टी के प्रमुख पूर्व आईपीएस लालडुहोमा ने राज्य के राजनीति समीकरण को ही बदल दिया।
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जेडपीएम ने कैसे कायम किया 'जलवा'
पूर्व आईपीएस लालडुहोमा ने जोराम नेशनलिस्ट पार्टी नाम से एक दल बनाया, जिसके जरिए वे राज्य की राजनीति में सक्रिय हुए। वहीं दूसरी ओर, राज्य के पांच अन्य छोटे दलों के साथ लालडुहोमा की पार्टी ने गठबंधन कर लिया। जिसके बाद वह गठबंधन राजनीतिक पार्टी में तब्दील हो गया, जो 2017 में जेडपीएम (ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट) पार्टी के नाम से अस्तित्व में आया।



आखिर कौन है पूर्व आईपीएस लालडुहोमा?  
मिज़ोरम में सबसे बड़ी पार्टी के तौर पर उभरी जेडपीएम के अध्यक्ष लालडुहोमा मिज़ोरम के एक पूर्व आईपीएस अधिकारी हैं। एक स्थानीय रिपोर्ट के मुताबिक, 1972 से 1977 तक लालडुहोमा ने मिजोरम के मुख्यमंत्री के प्रधान सहायक के तौर पर काम किया था। अपनी स्नातक की पढ़ाई के बाद उन्होंने भारतीय सिविल सेवा परीक्षा दी। 1977 में आईपीएस बनने के बाद उन्होंने गोवा में एक स्क्वाड लीडर के तौर पर काम किया। तैनाती के दौरान उन्होंने तस्करों पर बड़ी कार्रवाई की। पुलिस अधिकारी के तौर पर उनकी उपलब्धियां सामाचार पत्रों की सुर्खियां बनने लगी थीं। 1982 में पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उन्हें अपना सुरक्षा प्रभारी नियुक्त किया था। पुलिस उपायुक्त के रूप में विशेष पदोन्नति दी गई थी। राजीव गांधी की अध्यक्षता में 1982 एशियाई खेलों की आयोजन समिति के सचिव भी थे।

कैसे लालडुहोमा की हुई राजनीतिक 'एंट्री'
1984 में पुलिस सेवा से इस्तीफा देने के बाद वे कांग्रेस में शामिल हो गए। उसी वर्ष दिसंबर माह में लोकसभा चुनाव में जीत दर्ज कर लालडुहोमा संसद पहुंचे थे। 1988 में कांग्रेस की सदस्यता से इस्तीफा देने के बाद उन्हें दलबदल विरोधी कानून के तहत अयोग्य घोषित किया गया था, जिसके कारण उन्हें लोकसभा की सदस्यता गंवानी पड़ी थी।

लालडुहोमा के प्रयास से जेडपीएम(ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट) अस्तित्व में आया। पिछले विधानसभा चुनाव में लालडुहोमा ने तत्कालीन मुख्यमंत्री लालथनहलवा को करारी शिकस्त दी, जिसके बाद से वे राजनीतिक गलियारों में सुर्खियां बन गए। उस वक्त लालडुहोमा की गठित पार्टी को चुनाव आयोग से मान्यता नहीं मिल सकी, जिसके कारण उन्हें निर्दलीय प्रत्याशी के तौर पर चुनावी मैदान में उतरना पड़ा था।

कुछ समय बाद, जेडपीएम को चुनाव आयोग से राजनीतिक दल के तौर पर मान्यता मिली। इस दौरान पार्टी के अध्यक्ष के तौर पर लालडुहोमा को चुना गया। इस आधार पर उन्हें अपनी विधानसभा सदस्यता को गंवाना पड़ा। बता दें 27 नवंबर 2020 को मिज़ोरम राज्य में विधानसभा की सदस्यता गंवाने वाले लालडुहोमा पहले विधायक बन गए थे। हालांकि राजनीतिक विशेषज्ञ इस घटना को लालडुहोमा के लिए संजीवनी बताते हैं। 2021 में सेरछिप सीट पर हुए उपचुनाव में उन्होंने इसे मुद्दा बना दिया। इस उपचुनाव में उन्हें फिर से विधानसभा पहुंचा दिया था।
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