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बदलाव: कल्याणकारी योजनाओं ने बदल दी जनजातीय समाज की तस्वीर, राष्ट्र-निर्माण में निभा रहे अहम भूमिका
अमर उजाला ब्यूरो
Published by: लव गौर
Updated Sat, 15 Nov 2025 05:49 AM IST
सार
कभी बुनियादी सुविधाओं से वंचित आदिवासी समाज आज राष्ट्र-निर्माण में अहम भूमिका निभा रहे हैं। कल्याणकारी योजनाओं नेजनजातीय समाज की तस्वीर बदल दी है।
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आदिवासी पंचायत (फाइल फोटो)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
एक दशक पहले आदिवासी शब्द का जिक्र होते ही जेहन में ऐसी तस्वीर उभरती थी जो वंचित तबके से आता है, दूरदराज के गांवों में बसे इस समुदाय के बच्चे बुनियादी शिक्षा से वंचित हैं, महिलाएं पानी की तलाश में मीलों दूर तक जाती है, अवसरों की तलाश में युवा अपने जंगलों से दूर हो रहे हैं। लेकिन अब तस्वीर एकदम बदल चुकी है।
कभी अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ता यह तबका अब सफलता की नई कहानियां लिख रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं, राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका भी निभा रहा है। इस बदलाव का श्रेय सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को ही जाता है।
2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई तब जनजातीय विकास के लिए महज एक मंत्रालय था। लेकिन अब 42 विभिन्न मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत सक्रियता से आदिवासी कल्याण में योगदान दे रहे हैं। आदिवासी-केंद्रित खर्च 2014 में 24,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.25 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। डीएपीएसटी के तहत आदिवासी विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, कौशल विकास और स्वच्छता से जुड़ी 200 से ज्यादा योजनाओं चलाई जा रही हैं।
पीएम जनमन व पीएम जुगा से हुआ कायाकल्प
हर आदिवासी घर को विकास की मुख्यधारा के साथ जोड़ने के लिए 15 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) योजना शुरू की गई। वहीं, दो अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (पीएम जुगा) योजना की शुरुआत हुई। 4 लाख से ज्यादा पक्के घर तैयार हुए, लगभग 700 छात्रावास बनाए जा रहे। 70 मोबाइल चिकित्सा इकाइयां अब दूरदराज के इलाकों तक पहुंच रही हैं। 26,500 गांवों में पाइप से पेयजल पहुंचा, 8,600 घरों को बिजली कनेक्शन मिले।
पीएम मोदी ने स्थापित किया सीधा जुड़ाव
प्रधानमंत्री की पहल पर ही 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरुआत हुई जो अब जनजातीय गौरव सप्ताह में तब्दील होने लगा है। विभिन्न मंत्रालय और राज्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन कर जनजातीय विरासत को जीवंत बनाते हैं। मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु का दौरा किया और उलगुलान आंदोलन के नायक को राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना के साथ जोड़ा।
2016 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय योजना के तहत 10 राज्यों में 11 संग्रहालयों की मंजूरी दी, जिसमें से तीन का अब तक उद्घाटन हो चुका है। रायपुर में पीएम ने शहीद वीर नारायण सिंहह के नाम पर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानिनयों पर भारत के पहले डिजिटल संग्रहालय का भी उद्घाटन किया।
ये भी पढ़ें: छत्तीसगढ़ में देश का पहला 'डिजिटल ट्राइबल म्यूजियम': एआई तकनीक से गूंज रही आदिवासी नायकों की शौर्यगाथा
सीड योजना से 53 हजार लोगों को मिला लाभ
विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों के उत्थान के लिए केंद्र सरकार ने 2019 में विमुक्त जनजातियों के विकास एवं कल्याण बोर्ड के अंतर्गत सीड योजना शुरू की जिसका 53,000 से अधिक लोगों को लाभ मिला। चार साल पहले हुई जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत भारत वर्ष ने जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत 2021 में की थी, जो आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को मनाया जाता है। आदिवासी समुदायों की संस्कृति और विरासत को सम्मानित करने के उद्देश्य से शुरू किए गए दिवस पर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और बलिदान को याद किया जाता है।
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कभी अपने अस्तित्व को बचाने की जंग लड़ता यह तबका अब सफलता की नई कहानियां लिख रहा है। सिर्फ इतना ही नहीं, राष्ट्र निर्माण में अहम भूमिका भी निभा रहा है। इस बदलाव का श्रेय सरकार की कल्याणकारी योजनाओं को ही जाता है।
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2014 में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार सत्ता में आई तब जनजातीय विकास के लिए महज एक मंत्रालय था। लेकिन अब 42 विभिन्न मंत्रालय अनुसूचित जनजातियों के लिए विकास कार्य योजना (डीएपीएसटी) के तहत सक्रियता से आदिवासी कल्याण में योगदान दे रहे हैं। आदिवासी-केंद्रित खर्च 2014 में 24,000 करोड़ रुपये से बढ़कर 2024-25 में 1.25 लाख करोड़ पर पहुंच गया है। डीएपीएसटी के तहत आदिवासी विकास के लिए शिक्षा, स्वास्थ्य, आजीविका, कौशल विकास और स्वच्छता से जुड़ी 200 से ज्यादा योजनाओं चलाई जा रही हैं।
पीएम जनमन व पीएम जुगा से हुआ कायाकल्प
हर आदिवासी घर को विकास की मुख्यधारा के साथ जोड़ने के लिए 15 नवंबर 2023 को प्रधानमंत्री जनजाति आदिवासी न्याय महाअभियान (पीएम जनमन) योजना शुरू की गई। वहीं, दो अक्टूबर 2024 को प्रधानमंत्री जनजातीय उन्नत ग्राम अभियान (पीएम जुगा) योजना की शुरुआत हुई। 4 लाख से ज्यादा पक्के घर तैयार हुए, लगभग 700 छात्रावास बनाए जा रहे। 70 मोबाइल चिकित्सा इकाइयां अब दूरदराज के इलाकों तक पहुंच रही हैं। 26,500 गांवों में पाइप से पेयजल पहुंचा, 8,600 घरों को बिजली कनेक्शन मिले।
पीएम मोदी ने स्थापित किया सीधा जुड़ाव
प्रधानमंत्री की पहल पर ही 15 नवंबर को जनजातीय गौरव दिवस मनाने की शुरुआत हुई जो अब जनजातीय गौरव सप्ताह में तब्दील होने लगा है। विभिन्न मंत्रालय और राज्य सांस्कृतिक कार्यक्रमों, प्रदर्शनियों और शैक्षणिक कार्यक्रमों का आयोजन कर जनजातीय विरासत को जीवंत बनाते हैं। मोदी ऐसे पहले प्रधानमंत्री हैं जिन्होंने झारखंड में भगवान बिरसा मुंडा की जन्मस्थली उलिहातु का दौरा किया और उलगुलान आंदोलन के नायक को राष्ट्र की सांस्कृतिक चेतना के साथ जोड़ा।
2016 के स्वतंत्रता दिवस संबोधन में जनजातीय स्वतंत्रता सेनानी संग्रहालय योजना के तहत 10 राज्यों में 11 संग्रहालयों की मंजूरी दी, जिसमें से तीन का अब तक उद्घाटन हो चुका है। रायपुर में पीएम ने शहीद वीर नारायण सिंहह के नाम पर जनजातीय स्वतंत्रता सेनानिनयों पर भारत के पहले डिजिटल संग्रहालय का भी उद्घाटन किया।
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सीड योजना से 53 हजार लोगों को मिला लाभ
विमुक्त, घुमंतू और अर्ध-घुमंतू जनजातियों के उत्थान के लिए केंद्र सरकार ने 2019 में विमुक्त जनजातियों के विकास एवं कल्याण बोर्ड के अंतर्गत सीड योजना शुरू की जिसका 53,000 से अधिक लोगों को लाभ मिला। चार साल पहले हुई जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत भारत वर्ष ने जनजातीय गौरव दिवस की शुरुआत 2021 में की थी, जो आदिवासी स्वतंत्रता सेनानी भगवान बिरसा मुंडा की जयंती 15 नवंबर को मनाया जाता है। आदिवासी समुदायों की संस्कृति और विरासत को सम्मानित करने के उद्देश्य से शुरू किए गए दिवस पर आदिवासी स्वतंत्रता सेनानियों के योगदान और बलिदान को याद किया जाता है।