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MP Politics: आखिर क्यों रात इस्तीफा देकर सुबह पलट गए भाजपा विधायक पटेरिया, ये है पर्दे के पीछे की कहानी!
डिजिटल ब्यूरो, अमर उजाला
Published by: पवन पांडेय
Updated Fri, 11 Oct 2024 08:30 PM IST
सार
गुरुवार 10 अक्टूबर को भाजपा विधायक बृज बिहारी पटेरिया ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधायक पद से इस्तीफे की पेशकश की। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था कि उनके क्षेत्र के केसली थाने में पीड़ित के पक्ष में एफआईआर दर्ज नहीं होने से आहत हूं, पीड़ित हूं, व्यथित हूं, जिसकी वजह से इस्तीफा दे रहा हूं।
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बृज बिहारी पटेरिया, विधायक, देवरी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
मध्य प्रदेश में भाजपा विधायकों की नाराजगी अब सामने आने लगी है। देवरी के विधायक बृज बिहारी पटेरिया का विधायकी से इस्तीफा देने का पत्र सोशल मीडिया पर वायरल है। इस त्यागपत्र के सामने आने के बाद कई विधायकों ने उनका समर्थन किया। इस मसले पर भाजपा के वरिष्ठ नेता और विधायक गोपाल भार्गव का बयान सामने आया है। गोपाल भार्गव ने प्रशासनिक अधिकारियों की तरफ से विधायकों की न सुने जाने पर नाराजगी जताई है। इस मामले में कांग्रेस ने भी मोहन सरकार पर हमला किया है। हालांकि एक दिन के बाद और प्रदेश भाजपा आलाकमान से चर्चा के बाद पटेरिया ने अपना इस्तीफा वापस ले लिया। पटेरिया का कहना है कि, आक्रोश में लिया गया कदम दुर्भाग्यपूर्ण था। यह कदम गुस्से में उठाया था, लेकिन मुख्यमंत्री मोहन यादव मेरे साथ हैं। पूरा संगठन साथ है, जिन कार्यकर्ताओं ने इस पद तक पहुंचाया है उनके आदेश का पालन करूंगा।
क्या था पूरा मामला?
दरअसल, गुरुवार 10 अक्टूबर को भाजपा विधायक बृज बिहारी पटेरिया ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधायक पद से इस्तीफे की पेशकश की। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था कि उनके क्षेत्र के केसली थाने में पीड़ित के पक्ष में एफआईआर दर्ज नहीं होने से आहत हूं, पीड़ित हूं, व्यथित हूं, जिसकी वजह से इस्तीफा दे रहा हूं। पटेरिया गुरुवार शाम एक पीड़ित की शिकायत पर केसली थाने पहुंचे थे। यहां वे एक डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे थे। विधायक के कहने पर जब थाना प्रभारी ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो वे नाराज होकर थाने के बाहर धरने पर बैठ गए। इसके साथ ही उन्होंने विधायक पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। इस संबंध में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया। इस्तीफे के बाद राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई थीं। हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की समझाइश के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।
कांग्रेस से भाजपा में आए थे बृजबिहारी पटेरिया
बृजबिहारी पटेरिया विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा में आए थे। पटेरिया पहले देवरी से ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक थे। चुनाव के दौरान तत्कालीन मंत्री भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में भाजपा ज्वाइन की थी। शिवराज सिंह खेमे से उन्हें टिकट मिला था, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री हर्ष यादव को शिकस्त दी थी। इससे पहले रीवा मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल अपनी सुनवाई न होने के कारण पहले आईजी ऑफिस पहुंचकर, फिर एसएसपी के सामने दंडवत हो गए थे। यह मामला काफी चर्चा में छाया है। वहीं सागर के ही नरयावली से भाजपा विधायक प्रदीप लारिया अपने इलाके में अवैध शराब, जुआ-सट्टा से परेशान होकर बार-बार पुलिस को ज्ञापन देते नजर आ रहे थे। कई महीनों तक ज्ञापन देने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी।
पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की एंट्री से बदल गया मामला
जैसे ही विधायक पटेरिया का इस्तीफा वायरल होने की जानकारी पूर्व मंत्री और विधायक गोपाल भार्गव को लगी तो उन्होंने तत्काल उनसे फोन पर बातचीत की। भार्गव ने इस्तीफा स्पीकर को ना भेजने के लिए मनाया। गोपाल भार्गव ने तत्काल कलेक्टर और एसपी से बातचीत की। विधायक की सुनवाई न होने पर नाराजगी जताई। इस्तीफा वायरल होने के कारण पुलिस प्रशासन भी दबाव में आया। इसके बाद तत्काल एसपी, कलेक्टर ने एडिशनल एसपी लोकेश सिन्हा को केसली भेजा। मौके पर पहुंचे एएसपी ने मामले की गंभीरता समझी और विधायक की मांग के अनुसार एफआईआर दर्ज करवाई और केसली थाना के प्रभारी अजय बैगा को लाइन हाजिर करने का मौखिक आश्वासन दिया। इसके बाद विधायक माने। हालांकि इस दौरान भाजपा संगठन और भाजपा सरकार की जिम्मेदार पदों पर बैठे किसी भी पदाधिकारी नेता ने किसी तरह का हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं की।
अरुण यादव ने मोहन सरकार पर उठाए सवाल
जानकारी के अनुसार, विधायक पटेरिया इस बात पर नाराज थे कि ना तो भाजपा के जिला अध्यक्ष गौरव सीरोठिया उनका फोन उठा रहे थे और ना ही सागर एसपी उनका फोन उठा रहे थे। इसी कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने प्रदेश की बदहाली पर किया एक्स पर किया पोस्ट भाजपा के ही पूर्व वरिष्ठ मंत्री एवं विधायक उठा रहे है सवाल। गोपाल भार्गव, अजय बिश्नोई, संजय पाठक, प्रदीप पटेल, प्रीतम लोधी और बृजबिहारी पटेरिया यह सब भाजपा सरकार के वो विधायक हैं, जिन्होंने सरकार की हकीकत जनता के सामने रख दी है कि महिलाएं असुरक्षित, माफियाओं का बोलबाला, भारी भ्रष्टाचार व्याप्त, आम जनमानस असुरक्षित है।
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क्या था पूरा मामला?
दरअसल, गुरुवार 10 अक्टूबर को भाजपा विधायक बृज बिहारी पटेरिया ने विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखकर विधायक पद से इस्तीफे की पेशकश की। उन्होंने अपने इस्तीफे में लिखा था कि उनके क्षेत्र के केसली थाने में पीड़ित के पक्ष में एफआईआर दर्ज नहीं होने से आहत हूं, पीड़ित हूं, व्यथित हूं, जिसकी वजह से इस्तीफा दे रहा हूं। पटेरिया गुरुवार शाम एक पीड़ित की शिकायत पर केसली थाने पहुंचे थे। यहां वे एक डॉक्टर के खिलाफ एफआईआर दर्ज कराने पहुंचे थे। विधायक के कहने पर जब थाना प्रभारी ने एफआईआर दर्ज नहीं की तो वे नाराज होकर थाने के बाहर धरने पर बैठ गए। इसके साथ ही उन्होंने विधायक पद से इस्तीफे का ऐलान कर दिया। इस संबंध में उन्होंने विधानसभा अध्यक्ष को अपना इस्तीफा भेज दिया। इस्तीफे के बाद राजनीतिक चर्चाएं शुरू हो गई थीं। हालांकि, भाजपा के वरिष्ठ नेताओं की समझाइश के बाद उन्होंने अपना इस्तीफा वापस ले लिया है।
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कांग्रेस से भाजपा में आए थे बृजबिहारी पटेरिया
बृजबिहारी पटेरिया विधानसभा चुनाव के दौरान कांग्रेस से भाजपा में आए थे। पटेरिया पहले देवरी से ही कांग्रेस के टिकट पर विधायक थे। चुनाव के दौरान तत्कालीन मंत्री भूपेंद्र सिंह के नेतृत्व में भाजपा ज्वाइन की थी। शिवराज सिंह खेमे से उन्हें टिकट मिला था, जिसके बाद उन्होंने कांग्रेस विधायक व पूर्व मंत्री हर्ष यादव को शिकस्त दी थी। इससे पहले रीवा मऊगंज से भाजपा विधायक प्रदीप पटेल अपनी सुनवाई न होने के कारण पहले आईजी ऑफिस पहुंचकर, फिर एसएसपी के सामने दंडवत हो गए थे। यह मामला काफी चर्चा में छाया है। वहीं सागर के ही नरयावली से भाजपा विधायक प्रदीप लारिया अपने इलाके में अवैध शराब, जुआ-सट्टा से परेशान होकर बार-बार पुलिस को ज्ञापन देते नजर आ रहे थे। कई महीनों तक ज्ञापन देने के बाद भी उनकी सुनवाई नहीं हो रही थी।
पूर्व मंत्री गोपाल भार्गव की एंट्री से बदल गया मामला
जैसे ही विधायक पटेरिया का इस्तीफा वायरल होने की जानकारी पूर्व मंत्री और विधायक गोपाल भार्गव को लगी तो उन्होंने तत्काल उनसे फोन पर बातचीत की। भार्गव ने इस्तीफा स्पीकर को ना भेजने के लिए मनाया। गोपाल भार्गव ने तत्काल कलेक्टर और एसपी से बातचीत की। विधायक की सुनवाई न होने पर नाराजगी जताई। इस्तीफा वायरल होने के कारण पुलिस प्रशासन भी दबाव में आया। इसके बाद तत्काल एसपी, कलेक्टर ने एडिशनल एसपी लोकेश सिन्हा को केसली भेजा। मौके पर पहुंचे एएसपी ने मामले की गंभीरता समझी और विधायक की मांग के अनुसार एफआईआर दर्ज करवाई और केसली थाना के प्रभारी अजय बैगा को लाइन हाजिर करने का मौखिक आश्वासन दिया। इसके बाद विधायक माने। हालांकि इस दौरान भाजपा संगठन और भाजपा सरकार की जिम्मेदार पदों पर बैठे किसी भी पदाधिकारी नेता ने किसी तरह का हस्तक्षेप करने की कोशिश नहीं की।
अरुण यादव ने मोहन सरकार पर उठाए सवाल
जानकारी के अनुसार, विधायक पटेरिया इस बात पर नाराज थे कि ना तो भाजपा के जिला अध्यक्ष गौरव सीरोठिया उनका फोन उठा रहे थे और ना ही सागर एसपी उनका फोन उठा रहे थे। इसी कारण उन्होंने इस्तीफा दे दिया। इस पूरे घटनाक्रम को लेकर कांग्रेस के वरिष्ठ नेता अरुण यादव ने प्रदेश की बदहाली पर किया एक्स पर किया पोस्ट भाजपा के ही पूर्व वरिष्ठ मंत्री एवं विधायक उठा रहे है सवाल। गोपाल भार्गव, अजय बिश्नोई, संजय पाठक, प्रदीप पटेल, प्रीतम लोधी और बृजबिहारी पटेरिया यह सब भाजपा सरकार के वो विधायक हैं, जिन्होंने सरकार की हकीकत जनता के सामने रख दी है कि महिलाएं असुरक्षित, माफियाओं का बोलबाला, भारी भ्रष्टाचार व्याप्त, आम जनमानस असुरक्षित है।