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भक्ति और पढ़ाई एक साथ कैसे: अमोघ लीला दास ने युवाओं को दिए टिप्स; कहा- यह 'मंत्र' अपनाकर बीटेक में आए 83% अंक
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल / नई दिल्ली।
Published by: ज्योति भास्कर
Updated Thu, 26 Jun 2025 11:38 PM IST
सार
युवा अपने करियर में पढ़ाई, भक्ति और अध्यात्म के बीच संतुलन कैसे बनाए? इस सवाल पर मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास ने खुद की मिसाल दी और कहा कि इंजीनियरिंग की कठिन पढ़ाई (बीटेक) के दौरान वे संतुलन बनाने में सफल रहे। यही कारण था कि उन्होंने भक्ति के साथ-साथ बीटेक की पढ़ाई जारी रखी और 83 फीसदी अंक भी हासिल किए। उन्होंने युवाओं को बेहद जरूरी टिप्स भी दिए।
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अमर उजाला के मंच पर अमोघ लीला दास
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
अमर उजाला 'संवाद' पहली बार मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में आयोजित हुआ। इस मंच पर राजनीति, खेल, सिनेमा के अलावा सेहत और अध्यात्म जैसे विषयों पर भी सारगर्भित चर्चाएं हुईं। युवा लोग ईश्वर की भक्ति और पढ़ाई एक साथ कैसे करें? इस सवाल पर मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास ने युवाओं को बेहद जरूरी टिप्स दिए। उन्होंने कहा कि 'संतुलन का मंत्र' अपनाकर उन्होंने अपनी इंजीनियरिंग की पढ़ाई की। यही कारण था कि बीटेक में उन्होंने 83% अंक हासिल किए।
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हम हर समय खुशी की तलाश में क्यों रहते हैं?
एक सवाल पर अमोघ लीला दास ने कहा, भौतिक चीजों में खुशी की तलाश करते रहना मृगतृष्णा जैसा है। उन्होंने कहा कि जीवन में नौकरी को लेकर भी लोगों का यही रवैया होता है। कई बार उन्हें लगता है कि प्रोमोशन मिलने से खुशी मिलेगी, लेकिन ऐसा होता नहीं है। इसलिए हम जिस समय जहां होते हैं, वहीं अपना बेस्ट देने का प्रयास करना चाहिए।
बीटेक की पढ़ाई के दौरान वे सुबह-सुबह भगवान का नाम लेते थे
अध्यात्म से जुड़ने और वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर एक युवा ने पूछा कि वे पढ़ाई के साथ-साथ भक्ति मार्ग पर कैसे आ सकते हैं। इस सवाल पर अमोघ लीला दास ने अपने कॉलेज के दिनों का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि बीटेक की पढ़ाई के दौरान वे सुबह-सुबह भगवान का नाम लेते थे। कॉलेज पहुंचने पर वे पढ़ाई करते थे, लाइब्रेरी, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सबकुछ चलता था। बस से जाते समय रास्ते में भगवतगीता पढ़ते थे। हरे कृष्ण की माला जपते थे। सबकुछ करते हुए अपनी ग्रैजुएशन में 83 फीसदी नंबर लाए। आप भी भक्ति और पढ़ाई एक साथ कर सकते हैं।
ये भी पढ़ें- Amogh Lila Das: कॉलेज में छोले-भटूरे... उसी समय परीक्षा में दोस्त के फेल होने की खबर; इनसे जीवन में क्या सीखा?
अध्यात्म से जुड़ने और वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर एक युवा ने पूछा कि वे पढ़ाई के साथ-साथ भक्ति मार्ग पर कैसे आ सकते हैं। इस सवाल पर अमोघ लीला दास ने अपने कॉलेज के दिनों का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि बीटेक की पढ़ाई के दौरान वे सुबह-सुबह भगवान का नाम लेते थे। कॉलेज पहुंचने पर वे पढ़ाई करते थे, लाइब्रेरी, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सबकुछ चलता था। बस से जाते समय रास्ते में भगवतगीता पढ़ते थे। हरे कृष्ण की माला जपते थे। सबकुछ करते हुए अपनी ग्रैजुएशन में 83 फीसदी नंबर लाए। आप भी भक्ति और पढ़ाई एक साथ कर सकते हैं।
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वातावरण और माहौल का ध्यान रखना भी जरूरी
एक अन्य युवा ने पूछा कि वे हरेकृष्ण जाप के समय संघर्ष करता है? इस पर अमोघ लीला दास ने कहा, नाप जप करते समय नींद आती है। नींद पूरी करनी चाहिए। कीर्तन, ऊंची आवाज में मंत्र जाप जैसे विकल्प अपनाएं। वातावरण और माहौल का ध्यान रखना भी जरूरी है। हम क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब तलाशना भी जरूरी है। इसके बाद मंत्रजाप से लाभ मिलेगा।
ये भी पढ़ें- Social Media Menace: युवाओं को लगी इंटरनेट की लत कितनी खतरनाक? 'संवाद' के मंच से अमोघ लीला दास ने किया आगाह
एक अन्य युवा ने पूछा कि वे हरेकृष्ण जाप के समय संघर्ष करता है? इस पर अमोघ लीला दास ने कहा, नाप जप करते समय नींद आती है। नींद पूरी करनी चाहिए। कीर्तन, ऊंची आवाज में मंत्र जाप जैसे विकल्प अपनाएं। वातावरण और माहौल का ध्यान रखना भी जरूरी है। हम क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब तलाशना भी जरूरी है। इसके बाद मंत्रजाप से लाभ मिलेगा।
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पढ़ाई के लिए स्मार्टफोन को छोड़ना ही एकमात्र विकल्प
सोशल मीडिया के दौर में मन को शांत कैसे करें? एक छात्रा के सवाल पर अमोघ लीला दास ने कहा, स्मार्टफोन को छोड़ना ही एकमात्र विकल्प है। एक सप्ताह तक उंगलियां मचलेंगी, लेकिन इसे सहन कर लेने के बाद आप खुद के एक नए संस्करण से परिचित होंगे। आज के डॉक्टरों को नब्ज देखने में परेशानी होती है। नब्ज पकड़ने के लिए दो साल का ब्रह्मचर्य होना चाहिए। पढ़ाई जरूरी है। युवाओं का पढ़ना जरूरी है। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग करने वाले भारत के 98 फीसदी लोगों को कोडिंग करनी नहीं आती। इसका कारण है लोगों को एंटरटेनमेंट का चस्का लगना। एआई इनकी नौकरी छीनेगा। अपराध बढ़ेंगे क्योंकि हम प्लेजर के आदी हो चुके हैं।
सोशल मीडिया के दौर में मन को शांत कैसे करें? एक छात्रा के सवाल पर अमोघ लीला दास ने कहा, स्मार्टफोन को छोड़ना ही एकमात्र विकल्प है। एक सप्ताह तक उंगलियां मचलेंगी, लेकिन इसे सहन कर लेने के बाद आप खुद के एक नए संस्करण से परिचित होंगे। आज के डॉक्टरों को नब्ज देखने में परेशानी होती है। नब्ज पकड़ने के लिए दो साल का ब्रह्मचर्य होना चाहिए। पढ़ाई जरूरी है। युवाओं का पढ़ना जरूरी है। कंप्यूटर प्रोग्रामिंग करने वाले भारत के 98 फीसदी लोगों को कोडिंग करनी नहीं आती। इसका कारण है लोगों को एंटरटेनमेंट का चस्का लगना। एआई इनकी नौकरी छीनेगा। अपराध बढ़ेंगे क्योंकि हम प्लेजर के आदी हो चुके हैं।
अमर उजाला के मंच से स्वस्तिवाचन... भारतीय परंपरा और संस्कृति पर गर्व करने का मौका
इससे पहले उन्होंने बताया कि कैसे आने वाले समय में भारत देश की अगुवाई कर सकता है। उन्होंने कुछ गंभीर चिंताओं को भी रेखांकित किया। अमोघ लीला दास ने वैदिक परंपरा से जुड़े स्वस्तिवाचन से कार्यक्रम का आगाज करने को लेकर अमर उजाला की जमकर सराहना भी की। अमोघ लीला दास ने अमर उजाला संवाद के मंच से स्वस्तिवाचन की पहल की सराहना करते हुए कहा, ऐसा करने के लिए अमर उजाला बधाई का पात्र है। इससे अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व होता है।
इससे पहले उन्होंने बताया कि कैसे आने वाले समय में भारत देश की अगुवाई कर सकता है। उन्होंने कुछ गंभीर चिंताओं को भी रेखांकित किया। अमोघ लीला दास ने वैदिक परंपरा से जुड़े स्वस्तिवाचन से कार्यक्रम का आगाज करने को लेकर अमर उजाला की जमकर सराहना भी की। अमोघ लीला दास ने अमर उजाला संवाद के मंच से स्वस्तिवाचन की पहल की सराहना करते हुए कहा, ऐसा करने के लिए अमर उजाला बधाई का पात्र है। इससे अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व होता है।