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Amogh Lila Das: कॉलेज में छोले-भटूरे... उसी समय परीक्षा में दोस्त के फेल होने की खबर; इनसे जीवन में क्या सीखा?

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल / नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Thu, 26 Jun 2025 11:41 PM IST
सार

अमर उजाला 'संवाद' के मंच पर मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास ने अपने कॉलेज के दिनों को याद कर बताया कि एक समय उन्हें इस बात का डर था कि बीटेक के फाइनल ईयर में वे पास नहीं होंगे। हालांकि, उनका दोस्त परीक्षा में फेल हुआ। जिस समय ये खबर मिली, वे अपने कॉलेज कैंटीन में क्रिस्पी छोटे भटूरे का नाश्ता एंजॉय कर रहे थे। इस घटना का जिक्र कर उन्होंने समझाया कि इंसान को जीवन में हर समय खुशी बाहरी चीजों से नहीं मिला करती।

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MP Samwad 2025 motivation tips amogh lila das college days lunch with friend and lesson of happiness success
अमर उजाला के मंच पर अमोघ लीला दास - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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अक्सर युवाओं को सार्थक उदाहरण देकर प्रेरित करने को लेकर चर्चा में रहने वाले अमोघ लीला दास ने अमर उजाला 'संवाद' के मंच पर कई रोचक प्रसंग सुनाए। उन्होंने अपने कॉलेज के दिनों को याद कर प्रेरक किस्सा भी सुनाया। उन्होंने कहा, कॉलेज के दिनों में कंप्यूटर इंजीनियरिंग की पढ़ाई के दौरान एक सेमेस्टर की पढ़ाई के दौरान उनके सामने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) का विकल्प आया। उन्हें डर था कि फाइनल ईयर में एआई का विकल्प है, अगर सफल नहीं हुए तो चार साल की पढ़ाई पांच साल की हो जाएगी।

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खुशी और सफलता के मायने
बकौल अमोघ लीला दास, एक दिन वह अपने दोस्त के साथ कॉलेज के कैफेटेरिया में लंच कर रहे थे। वहां का छोला-भटूरा बेहद लजीज था। इसके साथ वे कोल्ड ड्रिंक भी पी रहे थे। इसी समय एक और दोस्त चीखता हुआ आया कि रिजल्ट आ गया। उन्होंने पूछा कि एआई में क्लियर हुआ या नहीं, ये बताओ। उसने बताया कि पास हो गया है। उन्होंने उसी समय दोस्त का रिजल्ट पूछा, उसने हताशा में कहा कि तीन सब्जेक्ट में वह फेल हो गया है और बैक लग गया है।
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दोस्त की हताशा... उसी समय क्रिस्पी छोले-भटूरे का नाश्ता; इनसे जीवन में क्या सीखा?
कॉलेज के दिनों में रिजल्ट को लेकर दोस्त की हताशा का उल्लेख करते हुए अमोघ लीला दास ने बताया कि कुछ ही समय पहले जब तक रिजल्ट नहीं आया था वे और उनके दोस्त क्रिस्पी छोले-भटूरे का नाश्ता एंजॉय कर रहे थे। रिजल्ट आने पर जैसे ही उसे पता लगा कि वह असफल हो गया है उसके लिए लजीज नाश्ते की खुशी बेमानी हो गई। दोस्त की हताशा देख जब उन्होंने पूछा कि इतना डरा हुआ क्यों है? इस पर दोस्त ने बताया कि उसके पिता जाट हैं। पिता ने कहा है कि अगर बीटेक की पढ़ाई समय से पूरी नहीं हुई तो गोली मार दूंगा।

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हर समय फिजिकल कंफर्ट का मतलब खुशी नहीं
अमोघ लीला दास ने बताया कि दोस्त को सांत्वना देते हुए उन्होंने कहा, पिता डराते हैं, ऐसा होगा नहीं। लेकिन उनके दोस्त ने कहा कि सात बेटे हैं। एक को मारने से पिता को कोई फर्क नहीं पड़ेगा। रिजल्ट के कारण वह वहां से चला गया। इस घटना से साफ है कि चीजों से हमेशा खुशियां मिलेंगी, ऐसा सोचना सही नहीं है। इसके साफ मायने हैं कि हर समय फिजिकल कंफर्ट का मतलब खुशी नहीं होता। सारा खेल मन का है।

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अध्यात्म की तरफ रुझान को लेकर युवाओं का रवैया कैसा?
अमोघ लीला दास ने कहा, जो लोग जवान होते हैं उनकी धारणा ऐसा होती है कि अध्यात्म से जुड़ने का समय बुढ़ापे में आता है। अक्सर जवान लोग अपने माता-पिता को कहते हैं कि उन्हें मंदिर जाना चाहिए। वे उन्हें पहुंचाकर मॉल चले जाते हैं। माता-पिता से कहते हैं कि जब आपका समय हो जाए तो फोन पर मिस्ड कॉल देना हम पिक कर लेंगे। ऐसे लोग खुद बूढ़े होने पर मंदिर जाना शुरू करते हैं। फिर इनके बच्चे भी यही कहते हैं कि बूढ़े लोगों को पता नहीं है कि लाइफ कैसे एंजॉय करते हैं। ऐसे लोग सही रास्ते पर आते हैं लेकिन तब तक काफी देर हो जाती है। आदतें जीवन में मजबूत जड़ें जमा लेती हैं। पौधे के पेड़ बनने के बाद आदतें नहीं बदलतीं।

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इंसान के जीवन में सफलता को लेकर अलग-अलग दृष्टिकोण
इससे पहले अमर उजाला 'संवाद' मध्य प्रदेश में मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास ने इंसान के जीवन में सफलता को लेकर अलग-अलग नजरियों पर बातचीत की। उन्होंने ऐसे विषयों पर बात की जिनसे सार्थक जीवन की राह निकलती है। उन्होंने संवाद में शिरकत करने वाले लोगों से बात की और कहा कि सबके जीवन में एक कॉमन लक्ष्य है, और वह है खुशी। सब अपने जीवन में खुश होना चाहते हैं। अमोघ लीला दास ने कहा कि जीवन में लोग खुश होने के लिए अलग-अलग काम करते हैं। लोग शॉपिंग करते हैं। यहां तक कि आत्महत्या करने वाले लोग भी कहते हैं कि उन्हें ऐसा करने से खुशी मिलती है।
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