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Samwad 2025: स्वस्तिवाचन से 'संवाद' का आगाज सराहनीय; अमोघ लीला दास ने अमर उजाला की सराहना कर कही यह बात

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, भोपाल / नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Thu, 26 Jun 2025 06:52 PM IST
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सार

अमर उजाला 'संवाद' का मंच एक बार फिर शिक्षा, रक्षा, खेल, राजनीति और अध्यात्म जगत की हस्तियों से सजा। इस बार मौका इसलिए खास था क्योंकि आयोजन पहली बार देश के हृदय प्रदेश कहे जाने वाले मध्य प्रदेश में यह मंच सजा। राजधानी भोपाल में सजे मंच पर अमोघ लीला दास ने आयोजन के दौरान देश की संस्कृति को रेखांकित करने के लिए अमर उजाला की सराहना भी की। जानिए उन्होंने क्या कहा?

MP Samwad 2025 motivational speakers amogh lila das Hails amar ujala effort on Indian Culture
अमर उजाला संवाद के मंच पर अमोघ लीला दास - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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मध्य प्रदेश की राजधानी भोपाल में पहली बार 'अमर उजाला संवाद' का आयोजन हुआ। इस मंच पर जुटी हस्तियों ने प्रदेश के साथ-साथ देश के विकास, अध्यात्मिक जगत में भारत की भूमिका जैसे विषयों पर विस्तार से अपनी बातें रखीं। संवाद के मंच पर एक बार फिर पहुंचे मोटिवेशनल स्पीकर अमोघ लीला दास ने बताया कि कैसे आने वाले समय में भारत देश की अगुवाई कर सकता है। उन्होंने कुछ गंभीर चिंताओं को भी रेखांकित किया। अमोघ लीला दास ने वैदिक परंपरा से जुड़े स्वस्तिवाचन से कार्यक्रम का आगाज करने को लेकर अमर उजाला की जमकर सराहना भी की।

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अमर उजाला के मंच से स्वस्तिवाचन... भारतीय परंपरा और संस्कृति पर गर्व करने का मौका
अमोघ लीला दास ने अमर उजाला संवाद के मंच से स्वस्तिवाचन की पहल की सराहना करते हुए कहा, ऐसा करना चाहिए। अमर उजाला ऐसा करने के लिए बधाई का पात्र है। उन्होंने कहा कि ऐसा करने से अपनी संस्कृति और परंपरा पर गर्व होता है।

एक मुस्लिम बच्ची ने जीती प्रतियोगिता, इस घटना से बड़ी सीख मिली
उन्होंने कहा कि भारत को पूरी दुनिया की अगुवाई करनी चाहिए थी, हमें अध्यात्मिक गुरु होना चाहिए, लेकिन हम नहीं कर पा रहे हैं। कितने ही लोगों को यह भी नहीं पता है कि भगवद्गीता में 700 श्लोक में हैं। उन्होंने एक अनुभव का जिक्र किया और बताया कि गीता सार से जुड़ी प्रतियोगिता में एक मुस्लिम लड़की ने जीता। उसे इस्कॉन के मंच पर सम्मानित किया गया। उसने कहा कि मुस्लिम होने के नाते वह कुरान की प्रति हमेशा साथ लेकर चलती है, लेकिन हिंदू साथियों के पास वे गीता नहीं देखतीं। उन्हें भी ऐसा करना चाहिए। उस बच्ची की राय से वे खुद भी सहमत हैं।

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पढ़ाई के साथ भक्ति मार्ग पर चलना...
अध्यात्म से जुड़ने और वर्क लाइफ बैलेंस को लेकर एक युवा ने पूछा कि वे पढ़ाई के साथ-साथ भक्ति मार्ग पर कैसे आ सकते हैं। इस सवाल पर अमोघ लीला दास ने अपने कॉलेज के दिनों का अनुभव साझा किया। उन्होंने बताया कि बीटेक की पढ़ाई के दौरान वे सुबह-सुबह भगवान का नाम लेते थे। कॉलेज पहुंचने पर वे पढ़ाई करते थे, लाइब्रेरी, कंप्यूटर प्रोग्रामिंग सबकुछ चलता था। बस से जाते समय रास्ते में भगवतगीता पढ़ते थे। हरे कृष्ण की माला जपते थे। सब कुछ करते हुए अपनी ग्रैजुएशन में 83 फीसदी नंबर लाए। आप भी भक्ति और पढ़ाई एक साथ कर सकते हैं।

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वातावरण और माहौल का ध्यान रखना भी जरूरी
एक अन्य युवा ने पूछा कि वे हरेकृष्ण जाप के समय संघर्ष करता है? इस पर अमोघ लीला दास ने कहा, नाप जप करते समय नींद आती है। नींद पूरी करनी चाहिए। कीर्तन, ऊंची आवाज में मंत्र जाप जैसे विकल्प अपनाएं। वातावरण और माहौल का ध्यान रखना भी जरूरी है। हम क्यों कर रहे हैं? इसका जवाब तलाशना भी जरूरी है। इसके बाद मंत्रजाप से लाभ मिलेगा।

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