Maratha Quota Row: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण आंदोलन तेज; जरांगे बोले- मांग पूरी होने तक मुंबई नहीं छोड़ेंगे
मुंबई में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर मनोज जरांगे तीसरे दिन भी अनशन पर डटे हैं। उन्होंने एलान किया कि जब तक मराठा समाज को ओबीसी में आरक्षण नहीं मिलेगा, वे न तो आंदोलन खत्म करेंगे और न ही मुंबई छोड़ेंगे। इसके साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि वे सोमवार से पानी पीना भी छोड़ देंगे। उन्होंने सरकार पर 58 लाख मराठाओं के कुनबी दस्तावेज होने का दावा किया।

विस्तार
महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर जहां एक तरफ मनोज जरांगे लगातार तीसरे दिन अनशन पर बैठे है। वहीं दूसरी ओर अब राज्य सरकार में भी ऊहापोह तेज हो गई है। हालांकि अभी तक फडणवीस सरकार मामले में कोई स्पष्ट और साफ हाल नहीं निकाल पाई है। इसके बाद अब जरागें ने मामले में साफ कहा है कि जब तक मराठा समाज को ओबीसी में आरक्षण नहीं मिलेगा, वे मुंबई नहीं छोड़ेंगे और सोमवार से वे पानी पीना भी बंद कर देंगे।

जरांगे का कहना है कि सरकार के पास खुद 58 लाख मराठाओं को कुनबी (ओबीसी में शामिल एक कृषि जाति) के रूप में दर्ज करने के दस्तावेज मौजूद हैं, इसलिए उनकी मांग संविधान के दायरे में पूरी तरह वैध है। उन्होंने कहा कि हम ओबीसी में आरक्षण लेकर रहेंगे। बता दें कि मुंबई के आजाद मैदान में चल रहे आंदोलन को लेकर भारी संख्या में लोग छत्रपति शिवाजी महाराज टर्मिनस (सीएसएमटी) पहुंचे, जिससे ट्रैफिक पर असर पड़ा। मुंबई ट्रैफिक पुलिस ने लोगों से वैकल्पिक रास्ते अपनाने की अपील की है।
मनोज जरांगे ने समर्थकों से की अपील
इसके साथ ही मनोज जरांगे ने अपील की कि प्रदर्शन में आए लोग ट्रेन से आजाद मैदान पहुंचें और वाहनों को तय पार्किंग जगहों पर रखें। उन्होंने कहा कि सरकार इस आंदोलन को 'भीड़' न समझे, ये लोग दर्द लेकर आए हैं। जरांगे ने कहा कि आंदोलनकारियों को वाशी, चेंबूर, मसीद बंदर, सिवड़ी जैसे स्थानों पर खाना पहुंचाया जाए। साथ ही उन्होंने समर्थकों से कहा कि छाता और रेनकोट बांटने वालों को कोई पैसा न दें।
फडणवीस सरकार ने भेजा था प्रस्ताव
अनशन के बढ़ते प्रभाव को देखते हुए महाराष्ट्र सरकार ने शनिवार को जरांगे को बातचीत का प्रस्ताव भेजा। हालांकि महाराष्ट्र सरकार की एक टीम से बातचीत कर अनशन तोड़ने का प्रस्ताव मिलने के बावजूद उन्होंने इसे ठुकरा दिया, जिसके बाद मुंबई पुलिस ने शनिवार को उनके प्रदर्शन की अनुमति एक दिन और बढ़ा दी है।
जरांगे ने किस वजह से की फडणवीस की आलोचना
इस दौरान मनोज जरांगे ने महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस की आलोचना की क्योंकि उन्होंने खुद उनके साथ बातचीत करने के लिए सेवानिवृत्त हाईकोर्ट न्यायाधीश संदीप शिंदे को भेजा था। जरांगे ने कहा कि आरक्षण देने का फैसला न्यायाधीश का काम नहीं है और उनका अनशन इसी मांग को लेकर जारी रहेगा। वहीं फडणवीस सरकार ने कहा है कि वे संवैधानिक और कानूनी ढांचे के भीतर समाधान निकालने की कोशिश कर रहे हैं। जबकि एनसीपी के नेता शरद पवार ने कहा कि आरक्षण की सीमा बढ़ाने के लिए संवैधानिक संशोधन जरूरी है।
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क्या चाहते हैं जरांगे
अब बात अगर जरांगे की मांग की करें तो अनशन पर बैठे जरांगे चाहते हैं कि मराठाओं को कुंभी जाति के रूप में मान्यता दी जाए, क्योंकि कुंभी ओबीसी श्रेणी में आते हैं, जिससे मराठा समुदाय को सरकारी नौकरियों और शिक्षा में आरक्षण मिलेगा। साथ ही उन्होंने ये भी कहा कि मराठवाड़ा क्षेत्र के मराठाओं को कुंभी घोषित कर आरक्षण देना चाहिए और हैदराबाद और सातारा के गजट नोटिफिकेशन को कानून बनाया जाए। हालांकि ओबीसी नेता इस मांग का विरोध कर रहे हैं।
उधर जरांगे की इस मांग को लेकर सरकार की ओर से न्यायाधीश संदीप शिंदे ने बताया कि वे इस मामले में सीधे कोई रिपोर्ट देने के अधिकारी नहीं हैं, बल्कि यह पिछड़ा वर्ग आयोग का काम है। उन्होंने यह भी कहा कि जाति प्रमाणपत्र व्यक्तिगत स्तर पर दिया जाता है, न कि पूरे समुदाय के लिए।
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अनशन पर क्या बोले राधाकृष्ण विखे?
इस बीच, राज्य के मंत्री राधाकृष्ण विखे पाटील ने कहा कि मराठा आरक्षण संबंधी मुद्दों पर कैबिनेट की उप-समिति ने विस्तार से चर्चा की है और सरकार इसे सकारात्मक रूप से हल करने के लिए प्रतिबद्ध है। मराठा समाज के लिए यह आंदोलन उनके अंतिम प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, जिसमें हजारों समर्थक शामिल हैं और उनकी मांग है कि सरकार जल्द से जल्द मराठा आरक्षण प्रदान करे।
प्रदर्शन स्थल पर सुविधाओं को लेकर बीएमसी पर निशाना
दूसरी ओर इन सबके बीच प्रदर्शन स्थल पर पानी और शौचालय जैसी बुनियादी सुविधाओं की कमी को लेकर भी प्रदर्शनकारियों ने शिकायत की। मनोज जरांगे ने बृहन्मुंबई महानगर पालिका (बीएमसी) के आयुक्त और राज्य द्वारा नियुक्त प्रशासनिक अधिकारी भूषण गागरानी पर प्रदर्शनकारियों को भोजन और पानी उपलब्ध नहीं कराने का आरोप लगाया है।