जायका: जो स्वाद फुटपाथ पर है वह संसद कैंटीन में कहां, सुप्रिया सुले अपनी टीम संग आ जाती हैं जंतर-मंतर का स्वाद चखने
अमर उजाला से चर्चा में सौगत राय ने कहा कि उन्हें यहां जंतर-मंतर पर ढाबे के खाने का स्वाद काफी स्वादिष्ट लगता है। राय ने कहा, सस्ता होने के बावजूद यहां के खाने का स्वाद उन्हें खींच लाता है। बताते हैं बाबा का ढाबा के खाने में साफ सफाई भी रहती है। यही स्वाद सुप्रिया सुले को भी खींच लाता है...
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लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने संसद कैंटीन में सांसदों को अशोका होटल का स्वाद उपलब्ध कराया है। लेकिन पांच सितारा होटल का लजीज खाना भी सांसदों को अपनी तरफ बहुत नहीं खींच पा रहा है। जब जाइए, कैंटीन में सांसदों की संख्या बहुत कम मिलती है। वहीं कुछ सांसद हैं, जो अपने निराले अंदाज के लिए जाने जाते हैं। इनमें एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले का कोई जवाब नहीं है। दोपहर के लंच के समय अकसर सुप्रिया का साथ गोड्डा (झारखंड) से भाजपा के सांसद निशिकांत दुबे तो सपा छोड़कर भाजपा में आए नीरज शेखर देते हैं। गुरुवार को जंतर-मंतर पर टीएमसी के सौगत राय भी थे। सभी ने जंतर-मंतर पर खाने का स्वाद लिया।
अमर उजाला से चर्चा में सौगत राय ने कहा कि उन्हें यहां जंतर-मंतर पर ढाबे के खाने का स्वाद काफी स्वादिष्ट लगता है। राय ने कहा, सस्ता होने के बावजूद यहां के खाने का स्वाद उन्हें खींच लाता है। बताते हैं बाबा का ढाबा के खाने में साफ सफाई भी रहती है। यही स्वाद सुप्रिया सुले को भी खींच लाता है। सुप्रिया कहती हैं कि वे अकसर यहां चली आती हैं। खाना खाते समय की फोटो लेने के सवाल पर कहती हैं कि उन्हें और दादा को आपत्ति नहीं है, लेकिन आप निशिकांत और नीरज जी से पूछ लीजिए। जब परोसकर आई थाली में सरसों का साग देखकर साथी सांसद नीरज शेखर नाक-भौं सिकोड़ते हैं, तो बड़ी सहजता से सुप्रिया कहती हैं कि रहने दीजिए। उसे हम अपनी थाली में ले लेंगे। दरअसल नीरज शेखर को साग कम अच्छा लगता है। इसी तरह से निशिकांत दुबे को भी मसालेदार छोले-राजमा जरा कम पसंद हैं।
जनप्रतिनिधि, जनता का भोजनालय और फुटपाथ पर खाने का आनंद
सौगत दादा का सफेद कुर्ता, धोती में बंगाली स्टाइल भी निराला है। सुप्रिया सुले माहौल को हल्का बनाते हुए दादा की टिपिकल बंगाली स्टाइल पर टिप्पणी भी करती हैं। उन्होंने बताया कि वह लोग अक्सर लंच के लिए यहां आ जाते हैं। वहीं नीरज शेखर अपनी गंभीर फिलॉस्फर वाली मुद्रा में मुस्करा कर रह जाते हैं। मजे की बात है, पांचों सांसद जनता के प्रतिनिधि हैं। जंतर-मंतर लोकतंत्र में जनता की आवाज उठाने का स्थान है। यहां सांसदों का आकर फुटपाथ पर भोजन करने का आनंद ही कुछ और है। इसी जंतर-मंतर पर जनता दल का वह एतिहासिक कार्यालय और सरदार वल्लभ भाई पटेल भवन भी है, जहां जेपी आंदोलन के बाद देश में चुनी गई सरकार के प्रधानमंत्री मोरारजी देसाई राजनीतिक गतिविधियों को धार देने के लिए रोज बैठा करते थे।