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SCO Meet: राजनाथ सिंह के एससीओ में साझा घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर न करने की सामने आई वजह, जानें क्या है मामला

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Fri, 27 Jun 2025 04:19 PM IST
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सार

भारत ने चीन में हुए एससीओ बैठक में एक सख्त और स्पष्ट संदेश दिया है कि वह बिना आतंकवाद के खिलाफ ठोस प्रतिबद्धता के किसी भी साझा दस्तावेज को स्वीकार नहीं करेगा। एससीओ जैसी क्षेत्रीय सुरक्षा संस्था में आतंकवाद जैसे मुद्दे को नजरअंदाज किया जाना भारत के लिए अस्वीकार्य है।

No Balochistan, Pahalgam or Terrorism mentioned in SCO declaration, say sources
एससीओ बैठक में रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह - फोटो : ANI
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विस्तार
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भारत ने शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) की रक्षा मंत्रियों की बैठक में अंतिम साझा घोषणा-पत्र पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया। इसके पीछे मुख्य वजह यह रही कि उस दस्तावेज में आतंकवाद, पहलगाम हमले या बलूचिस्तान का कोई जिक्र नहीं था। सूत्रों के मुताबिक, कुछ मीडिया रिपोर्ट्स में दावा किया गया था कि चीन में हुई इस बैठक के दौरान बलूचिस्तान संकट का जिक्र हुआ था लेकिन पहलगाम हमले की अनदेखी की गई, जिससे भारत नाराज हुआ। 
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आतंकवाद पर कोई दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए- राजनाथ
लेकिन अब सूत्रों ने साफ किया है कि ये दावे पूरी तरह गलत हैं — न तो 'बी' (बलूचिस्तान), न 'पी' (पहलगाम) और न ही 'टी' (आतंकवाद) शब्द का जिक्र साझा दस्तावेज में कहीं भी था। इसी वजह से भारत ने इस दस्तावेज पर हस्ताक्षर नहीं किए। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने चीन के किंगदाओ में हुई इस बैठक में स्पष्ट शब्दों में कहा कि आतंकवाद पर कोई दोहरा रवैया नहीं अपनाया जाना चाहिए और जो देश आतंकवाद को बढ़ावा देते हैं, उनकी आलोचना में सदस्य देशों को पीछे नहीं हटना चाहिए।

SCO का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है- जयशंकर
वहीं विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने शुक्रवार को दिल्ली में मीडिया से बात करते हुए बताया, 'एससीओ का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद से लड़ना है। जब हमारे रक्षा मंत्री बैठक में गए और साझा बयान पर चर्चा हुई, तो एक देश ने आतंकवाद का जिक्र हटाने की बात कही। आप अंदाजा लगा सकते हैं कि वो देश कौन था।'

'सर्वसम्मति पर चलती है एससीओ की कार्यप्रणाली'
विदेश मंत्री जयशंकर ने आगे कहा, 'रक्षा मंत्री ने साफ कहा कि अगर आतंकवाद का जिक्र नहीं किया जाएगा, तो भारत इस दस्तावेज को स्वीकार नहीं करेगा। एससीओ की कार्यप्रणाली सर्वसम्मति पर चलती है। अगर एक देश नहीं मानता, तो सभी को रुकना पड़ता है।' विदेश मंत्रालय ने भी इस पर आधिकारिक बयान जारी किया है, जिसमें कहा गया कि आतंकवाद के मुद्दे पर आम सहमति न बनने के कारण साझा बयान नहीं जारी किया जा सका।

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इस बयान में कहा गया, 'भारत चाहता था कि साझा दस्तावेज में आतंकवाद के मुद्दे को शामिल किया जाए, लेकिन एक सदस्य देश ने इसका विरोध किया। भारत ने सभी देशों से आतंकवाद के खिलाफ एकजुट होने और उसके जिम्मेदार लोगों को जवाबदेह ठहराने की अपील की। रक्षा मंत्री ने क्षेत्रीय स्थिरता और सुरक्षा के लिए सहयोग की जरूरत पर जोर दिया।'

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