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OPS Vs NPS: टैंक-हथियार बनाने वाले कर्मियों को 15 साल की नौकरी के बाद एनपीएस में मिली 2506 रुपये पेंशन!

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Tue, 20 Sep 2022 04:24 PM IST
सार

OPS Vs NPS: रक्षा असैनिक कर्मियों के सबसे बड़े एवं मान्यता प्राप्त संगठन, अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने केंद्र सरकार को बिना गारंटी वाली पेंशन योजना यानी ‘राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली’ एनपीएस को समाप्त करने तथा सीएसएस पेंशन नियम 1972 के अंतर्गत पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की अपील की है...

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Old Pension Vs NPS: central govt employees are unhappy with new pension scheme, protest on sept 26
OPS Vs NPS - फोटो : Agency (File Photo)
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विस्तार
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पुरानी पेंशन बहाली और एनपीएस खत्म करने को लेकर केंद्रीय कर्मचारी संगठनों का आंदोलन तेज होता जा रहा है। रक्षा मंत्रालय के अंतर्गत एचवीएफ अवाडी (एक आयुध निर्माणी) से रिटायर हुए कर्मचारियों को एनपीएस के जरिए जो लाभ मिले हैं, वे हैरान करने वाले हैं। टैंक, हथियार एवं सेना के लिए कई तरह के उपकरण बनाने वाले कर्मियों को रिटायरमेंट (13 से 17 साल) पर दो हजार रुपये से पांच हजार रुपये की एनपीएस पेंशन मिली है। आर रामचंद्रन का मूल वेतन 30500 था। उन्हें 13 साल की सेवा के बाद 2417 रुपये एनपीएस पेंशन के मिले हैं, जबकि पुरानी पेंशन व्यवस्था में इन्हें 15250 रुपये की मासिक पेंशन मिलती। के. भास्कर राव का मूल वेतन 34300 रुपये था। इन्हें 15 साल बाद 2506 रुपये पेंशन मिली है। पुरानी पेंशन व्यवस्था में इन्हें 17150 रुपये मिलने थे। एस शिवाशंकरन का मूल वेतन 56900 रुपये था, इन्हें 17 वर्ष के बाद 4900 रुपये पेंशन मिली है, जबकि ओपीएस में इन्हें 28450 रुपये मिलने थे। इन्हीं मांगों की खातिर दिल्ली में 26 सितंबर को विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। 22 सितंबर को रक्षा क्षेत्र की सभी यूनिटों के कर्मचारी संगठन, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को ओपीएस लागू करने बाबत ज्ञापन प्रेषित करेंगे।

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एनपीएस एक परिभाषित पेंशन योजना नहीं

रक्षा असैनिक कर्मियों के सबसे बड़े एवं मान्यता प्राप्त संगठन, अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) ने केंद्र सरकार को बिना गारंटी वाली पेंशन योजना यानी ‘राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली’ एनपीएस को समाप्त करने तथा सीएसएस पेंशन नियम 1972 के अंतर्गत पुरानी पेंशन योजना को बहाल करने की अपील की है। जो कर्मचारी एक जनवरी 2004 के बाद सेवा में आए हैं, उन्हें पुरानी पेंशन के साथ जीपीएफ का लाभ प्रदान किया जाए।

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एनपीएस एक परिभाषित पेंशन योजना नहीं है। यह एक अंशदायी पेंशन योजना है जिसमें, कर्मचारी और नियोक्ता के रूप में सरकार, प्रत्येक माह अपना-अपना अंशदान करते हैं। एआईडीईएफ ने शुरू से ही अन्य विभागों जैसे रेलवे, डाक एवं दूसरे महकमों के साथ केंद्र सरकार की इस योजना का विरोध किया है। मंत्रिपरिषद के सचिव की अध्यक्षता वाली नेशनल काउंसिल ‘जेसीएम’ के साथ-साथ विभिन्न मंचों से इस मुद्दे को उठाया गया है, लेकिन सरकार ने कोई सुनवाई नहीं की।

15 साल की सेवा के बाद मिल रही मामूली पेंशन

एआईडीईएफ के महासचिव सी श्रीकुमार के अनुसार, एनपीएस के लागू होने के 18 वर्ष बाद देखने को मिल रहा है कि जो कर्मचारी अब सेवानिवृत्त हो रहे हैं, उन्हें 2500 रुपये से पांच हजार रुपये प्रतिमाह की मामूली पेंशन मिली है। यदि वही कर्मचारी, पुरानी पेंशन योजना के तहत रिटायर होता, तो उसे बड़ा फायदा मिलता। कर्मचारी को उसके अंतिम वेतन के आधार पर प्रतिमाह 17 हजार रुपये से ज्यादा की राशि पेंशन के रूप में मिलती। एनपीएस में मुद्रा स्फीति के मुआवजे के लिए महंगाई भत्ता व महंगाई राहत का कोई तत्व नहीं है। पुरानी पेंशन योजना में मूल्यवृद्धि की क्षतिपूर्ति के लिए, साल में दो बार महंगाई भत्ता दिया जाता है। बतौर श्रीकुमार, इन्हीं मांगों की खातिर दिल्ली में 26 सितंबर को विशाल प्रदर्शन किया जाएगा। 22 सितंबर को रक्षा क्षेत्र की सभी यूनिटों के कर्मचारी संगठन, केंद्रीय मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह को ज्ञापन प्रेषित करेंगे।

ये हैं पुरानी पेंशन योजना के लाभ

पुरानी पेंशन योजना, सुपरिभाषित लाभ वाली योजना है। जिन कर्मियों की न्यूनतम दस वर्ष की क्वालिफाइंग सर्विस होती है, वह पेंशन के लिए पात्र होते हैं। उनको अंतिम आहरित वेतन का 50 प्रतिशत मासिक पेंशन के रूप में दिया जाता है। यह गारंटीशुदा पेंशन राशि 9000 रुपये, महंगाई भत्ते की बढ़ोतरी के आधीन होती है। इस मासिक पेंशन में से 40 फीसदी के बराबर की धनराशि को सेवानिवृत्ति के अवसर पर परिवर्तित किया जा सकता है (अर्थात जिसको अग्रिम तौर पर लिया जा सकता है तथा 15 वर्ष के बाद इसकी वापसी एवं बहाली की जाती है) एवं अग्रिम तौर पर एकमुश्त भुगतान प्राप्त कर सकते हैं। कम्युटेशन के पश्चात शेष पेंशन और पूर्ण पेंशन पर महंगाई भत्ते का, 15 वर्ष तक भुगतान किया जाता है। यदि 15 वर्ष से पहले पेंशनभोगी की मृत्यु हो जाती है तो शेष परिवर्तित पेंशन के पुनर्भुगतान की कोई आवश्यकता नहीं होती। इसके अलावा 80 वर्ष की आयु के बाद पेंशनधारक को बीस फीसदी बढ़ोतरी का लाभ मिलता है। 85 वर्ष के बाद तीस फीसदी, 90 वर्ष की आयु के बाद 40 फीसदी वृद्धि, 95 साल की आयु पूरी होने पर 50 फीसदी और 100 साल के पेंशनधारक को सौ फीसदी वृद्धि का लाभ प्राप्त होता है। जब भी वेतन आयोग द्वारा कर्मियों के वेतनमानों का रिवीजन किया जाता है तो उसी के अनुरुप पेंशन का भी रिवीजन होता है। अपंगता के मामले में असाधारण पेंशन दी जाती है। ग्रेच्युटी एवं कम्युटेशन के भुगतान पर किसी भी प्रकार का आयकर नहीं लगता है।

एनपीएस में क्या होता है?

एनपीएस में कर्मी को मूल वेतन और महंगाई भत्ते का 10 फीसदी अंशदान देना होता है। सरकार भी मैचिंग ग्रांट के रूप में समान धनराशि का अंशदान करती है। हालांकि बाद में सरकार ने अपने अंशदान को बढ़ाकर 14 प्रतिशत कर दिया है। संपूर्ण धनराशि को  भारतीय जीवन बीमा, एसबीआई, एवं यूटीआई के तीन फंड मैनेजरों के बीच बांट दिया गया है। पंद्रह फीसदी के बराबर की धनराशि को शेयर मार्केट में तथा 85 फीसदी के बराबर की धनराशि को, सरकारी एवं निजी बांड में निवेश करते हैं। एनपीएस में निवेश के ऊपर रिटर्न की कोई गारंटी नहीं है। इसमें मूल धनराशि में भी नुकसान का जोखिम होने का खतरा मौजूद रहता है। केंद्र सरकार के कर्मियों के मामले में, 60 वर्ष की आयु प्राप्त करने पर, एनपीएस कर्मी के रिटायर होने के समय उपलब्ध धनराशि में से 60 फीसदी के बराबर धनराशि का भुगतान, सेवानिवृत्त होने वाले कर्मचारी को किया जाता है। शेष 40 फीसदी धनराशि को प्रतिभूतियों में निवेश करते हैं।

रिटायर्ड कर्मी को मिलता है ये विकल्प

सेवानिवृत्त कर्मचारी को यह विकल्प दिया जाता है कि वह किस कंपनी की प्रतिभूति में निवेश करना चाहता है। पेंशन वेल्थ की 40 फीसदी धनराशि का प्रतिभूतियों में निवेश करना अनिवार्य है। 60 वर्ष की आयु पूरी होने से पहले कर्मचारी के स्वैच्छिक रुप से सेवानिवृत्त होने वाले केस में भी, उस कर्मी को पेंशन वेल्थ की केवल 60 फीसदी धनराशि का ही भुगतान किया जाता है। पेंशन वेल्थ का 40 फीसदी हिस्सा, प्रतिभूतियों में निवेश होता है। अन्य तरीकों से सेवा में नहीं रहने वाले कर्मचारी को केवल 20 फीसदी का भुगतान किया जाता है। शेष 80 फीसदी भाग को पेंशन के लिए प्रतिभूति में निवेश किया जाता है। हालांकि यह कहा गया है कि इस 40 फीसदी अथवा 80 फीसदी धनराशि के ऊपर किसी प्रकार का टैक्स नहीं लगेगा, लेकिन निवेश की गई वास्तविक धनराशि पर 18 फीसदी जीएसटी लगाया जाता है।

हाल ही में रिटायर हुए कर्मियों का तुलनात्मक अध्ययन

 

एनपीएस कर्मियों को जीपीएफ का लाभ नहीं...

एनपीएस में शामिल कर्मियों को जीपीएफ का लाभ देने से मना कर दिया गया है। ईपीएफ अधिनियम के अंतर्गत भविष्य निधि योजना, सामाजिक सुरक्षा योजना का एक अंग है। भविष्यनिधि योजना, सभी कामगारों के लिए लागू है। हालांकि ईपीएफ अधिनियम, केंद्र सरकार के कर्मचारियों के ऊपर लागू नहीं होता है, क्योंकि उनके लिए अलग से जीपीएफ के नियम बनाए गए हैं। एनपीएस कर्मियों को न तो जीपीएफ का लाभ दिया जा रहा है, और न ही ईपीएफ का लाभ मिल रहा है। एनपीएस कर्मचारियों को जीपीएफ का लाभ देने वाली, स्टाफ साइड की मांग पर सरकार की तरफ से पक्षपूर्ण तरीके से विचार नहीं किया गया है। 26 सितंबर को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर भारी संख्या में रक्षा उद्योग से जुड़े कर्मी पहुंचेंगे। इसके अलावा 22 सितंबर को देश की 436 डिफेंस यूनिटों में केंद्रीय कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग के राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह के नाम ज्ञापन सौंपा जाएगा। पश्चिम बंगाल सरकार ने अपने यहां एनपीएस को लागू ही नहीं किया। झारखंड, छत्तीसगढ़ व राजस्थान में भी पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू हो गई है। पंजाब में भी इस बाबत विचार हो रहा है। पुरानी पेंशन ख़त्म कर, भाजपा ने बुज़ुर्गों को आत्मनिर्भर से निर्भर बना दिया। कांग्रेस पार्टी के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी ने मंगलवार को अपने ट्विट में कहा, देश को मज़बूत करने वाले सरकारी कर्मचारियों का हक़ है पुरानी पेंशन। हमने राजस्थान, छत्तीसगढ़ में पुरानी पेंशन बहाल की। अब गुजरात में भी कांग्रेस सरकार आएगी, पुरानी पेंशन लाएगी।

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