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जारी रहेगा घमासान: सरकार के अड़ियल रवैये पर विपक्ष रहेगा हमलावर, संसद सत्र के बचे हुए चार दिन भी होंगे हंगामेदार

Shashidhar Pathak शशिधर पाठक
Updated Fri, 17 Dec 2021 01:05 PM IST
सार

बसपा के कुंवर दानिश अली, आप सांसद संजय सिंह, बसपा के रितेश पांडे समेत सभी टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं। विपक्ष के इस तेवर पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि लखीमपुर खीरी हिंसा का मामला अदालत में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी मामले की जांच कर रही है। इसलिए इस मामले पर संसद में चर्चा का कोई औचित्य नहीं है...

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opposition parties will countinue uproar on varius issues in the remaining four days of the Parliament winter session 2021
निलंबित सांसदों और संसद के अन्य सदस्यों ने संसद परिसर के बाहर विरोध प्रदर्शन किया - फोटो : Agency
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विस्तार
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संसद के शीतकालीन सत्र में शुक्रवार को छोड़ दें तो बस चार दिन बचे हैं। इसमें केंद्र सरकार को एंटी डोपिंग जैसे दो बड़े महत्वपूर्ण विधेयक के मसौदे को मंजूरी दिलानी है। टीएमसी के सांसद सौगत राय इसे लेकर जहां चिंतित हैं, वहीं सत्ता पक्ष को इसकी कोई विशेष चिंता नहीं है। विपक्ष ने संसद का शीतकालीन सत्र शुरू होने के एक दिन पहले रणनीति बनाई थी, इस वह जोर-शोर से सदन में अपने मुद्दे उठाएगा। ज्वलंत मुद्दे पर चर्चा करेगा और सत्ता पक्ष को घेरेगा। शिवसेना के संजय राउत कहते हैं कि हम सत्ता पक्ष को ऐसे छोड़ने वाले नहीं हैं। कांग्रेस सांसद राहुल गांधी आक्रामक हैं। समाजवादी पार्टी के नेताओं को लग रहा है कि अब समय ही कितना बचा है, इसके बाद तो बस उत्तर प्रदेश चुनाव हैं। ऐसे में अगले चार दिन संसद में जोरदार घमासान देखने को मिल सकता है।

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चर्चा से लगातार भाग रही सरकार

संसद का शीतकालीन सत्र पूरा होने के पहले दिन प्रधानमंत्री ने खुद मीडिया के सामने आकर कहा था कि सरकार सभी मुद्दों पर चर्चा के लिए तैयार है। उन्होंने इस दौरान विपक्ष को अपनी मर्यादा के अनुपालना की नसीहत भी दी थी, लेकिन कांग्रेस सांसद प्रधानमंत्री के इसी वचन पर सवाल उठा देते हैं। उनका कहना है कि पहले ही दिन केंद्र ने राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे की चर्चा की मांग को अनसुना करते हुए तीनों कृषि कानूनों को रद्द कराने का विधेयक पारित करा लिया। चर्चा से तो सरकार भाग रही है। उसे लोकतंत्र में भरोसा ही नहीं है। विपक्ष तो सदन से लेकर संसद भवन तक डटा हुआ है। विपक्ष के 12 सांसद लगातार महात्मा गांधी की प्रतिमा के सामने अपने निलंबन को लेकर धरना दे रहे हैं। शिवसेना की सांसद प्रियंका चतुर्वेदी इस मामले में सभापति और सरकार की माफी मांगने की अपील को साफ साफ खारिज कर देती हैं। उन्हीं के साथ धरने पर बैठे एक अन्य सांसद कहते हैं कि संसद में जब सरकार नहीं सुनेगी तो विपक्ष के सांसद विरोध का लोकतांत्रिक तरीका तो अपनाएंगे ही। उन्होंने तर्क दिया कि संसद के पिछले सत्र के आचरण को आधार बनाकर दूसरे सत्र में निलंबित किए जाने की कोई परंपरा नहीं रही है।

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लोकसभा में तो हम पूछ रहे हैं सवाल

लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी कहते हैं कि सदन में हम सरकार से चर्चा की मांग कर रहे हैं। सवाल पूछ रहे हैं। रंजन चौधरी के अनुसार सरकार सदन में चर्चा कराने और जवाब देने से भाग रही है। पार्टी नेताओं का कहना है कि केंद्र सरकार मंहगाई, खेती खलिहानी, किसानों के मुद्दे से लेकर चर्चा के सभी महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा से भाग रही है। दूसरी तरफ, कांग्रेस के सांसदों ने तय किया है कि वह गृह राज्य मंत्री अजय मिश्र टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग को जारी रखेंगे। इस मामले में और तेजी आएगी। बसपा के कुंवर दानिश अली, आप सांसद संजय सिंह, बसपा के रितेश पांडे समेत सभी टेनी को मंत्रिमंडल से बर्खास्त करने की मांग कर रहे हैं। विपक्ष के इस तेवर पर केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल का कहना है कि लखीमपुर खीरी हिंसा का मामला अदालत में लंबित है। सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में एसआईटी मामले की जांच कर रही है। इसलिए इस मामले पर संसद में चर्चा का कोई औचित्य नहीं है। यही जवाब संसदीय कार्यराज्य मंत्री प्रह्लाद जोशी की तरफ से भी आ रहा है।

संसद सत्र के बाद चढ़ेगा विधानसभा चुनाव का राजनीतिक तापमान

प्रधानमंत्री मोदी, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह घूम-फिरकर उद्घाटन लोकार्पण के बहाने उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव प्रचार को समय दे रहे हैं। कांग्रेस महासचिव प्रियंका गांधी लगातार उत्तर प्रदेश में कैंप कर रही हैं और प्रदेश के विभिन्न हिस्सों का दौरा कर रही हैं। बसपा प्रमुख मायावती प्रेस वार्ता, ट्वीट आदि के जरिए उत्तर प्रदेश सरकार को घेर रही हैं। जबकि कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी और सांसद राहुल गांधी संसद से सरकार पर सवाल उठा रहे हैं। इसके समानांतर समाजवादी पार्टी के अखिलेश यादव की रथ यात्रा चल रही है। संसद भवन राजनीति और लोकनीति की बड़ी पंचायत है। करीब-करीब विपक्ष के सभी दलों के सांसदों का मानना है कि प्रधानमंत्री मोदी और भाजपा के लिए उत्तर प्रदेश चुनाव काफी अहम है। यूपी से ही 2024 का रास्ता निकलता है। राज्य 80 सांसद चुनकर भेजता है। केंद्र सरकार के मंत्री भी इसकी अहमियत को समझते हैं। केंद्रीय कपड़ा मंत्री अपने संसदीय क्षेत्र अमेठी को विशेष तौर से सहेज रही हैं। एक केंद्रीय मंत्री कहते हैं कि जनवरी का महीना प्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री, गृह मंत्री, विदेश मंत्री आदि के लिए व्यस्तता भरा रहता है। 26 जनवरी को राष्ट्र गणतंत्र दिवस मनाता है और 29 जनवरी को समारोह का समापन होता है। चुनाव आयोग की तैयारियों को देखते हुए इसकी पूरी संभावना है कि 14-15 जनवरी तक उत्तर प्रदेश समेत राज्यों के विधानसभा चुनाव की तारीखों की घोषणा हो सकती है। इससे पहले उत्तर प्रदेश और केंद्र की डबल इंजन की सरकार अपनी सभी वर्तमान और भावी घोषणाओं को अमली जामा पहनाने का मैराथन प्रयास कर सकती हैं।

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