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उपराष्ट्रपति चुनाव: अंतरात्मा की आवाज विपक्ष पर ही पड़ गई भारी, सांसदों में दिखा दोस्ताना माहौल
हिमांशु मिश्र
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Wed, 10 Sep 2025 07:59 AM IST
सार
कांग्रेस ने इस चुनाव में संविधान बचाने को प्रमुख मुद्दा बनाते हुए मतदाताओं से अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की अपील की थी। पार्टी को लगता था कि तेलुगु पृष्ठभूमि के रेड्डी को उम्मीदवार बनाने के कारण तेलुगु गौरव के नाम पर तेलंगाना में बीआरएस और आंध्र प्रदेश में टीडीपी के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न होगी। हालांकि उसका यह दांव फेल हो गया।
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मुंह मीठा कीजिए...जीत के बाद राधाकृष्णन के साथ गृह मंत्री अमित शाह व रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह।
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
उपराष्ट्रपति चुनाव में संख्या बल की दृष्टि से तय हार के बावजूद इंडिया ब्लॉक की रणनीति विपक्षी एकजुटता साबित करने और सेंधमारी के सहारे सत्तारूढ़ राजग के खेमे में सियासी हलचल मचाने की थी। हालांकि नतीजे बताते हैं कि विपक्ष, सत्तारूढ़ राजग के खेमे में सेंधमारी तो दूर अपना ही घर नहीं संभाल पाया। अंतरात्मा की आवाज पर मतदान करने की अपील भी विपक्ष पर ही भारी पड़ गई और उसके 14 सदस्यों ने क्रॉस वोटिंग कर दी।
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कांग्रेस ने इस चुनाव में संविधान बचाने को प्रमुख मुद्दा बनाते हुए मतदाताओं से अंतरात्मा की आवाज पर वोट करने की अपील की थी। पार्टी को लगता था कि तेलुगु पृष्ठभूमि के रेड्डी को उम्मीदवार बनाने के कारण तेलुगु गौरव के नाम पर तेलंगाना में बीआरएस और आंध्र प्रदेश में टीडीपी के समक्ष असमंजस की स्थिति उत्पन्न होगी। हालांकि उसका यह दांव तब फेल हो गया जब बीआरएस ने राजनीतिक कारणों से मतदान से दूरी बना ली, जबकि टीडीपी और जनसेना ने राजग उम्मीदवारों के पक्ष में मत दिया।
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राजग उम्मीदवार को अपने और इंडिया गठबंधन से समान दूरी रखने वाले दलों के रुख से लाभ मिला। बीआरएस, बीजद, अकाली दल और एक निर्दलीय सांसद ने मतदान से दूरी बनाई। इसका परोक्ष लाभ राजग उम्मीदवार को मिला। इसके अलावा भाजपा ने राजग की सभी सांसदों के साथ वाईएसआरसीपी के सांसदों का अपने उम्मीदवार के पक्ष में वोट डलवाने और विपक्षी गठबंधन में शामिल नाराज सांसदों का अपने पक्ष में वोट डलवाने की रणनीति कारगर रही।
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इस जीत के जरिये भाजपा केंद्र सरकार के भविष्य में स्थिर रहने और गठबंधन में शामिल दलों में एकजुटता कायम रखने का सियासी संदेश देने में सफल रही। दूसरी ओर विपक्ष क्रॉस वोटिंग और अमान्य घोषित किए गए वोट के कारण आपसी एकजुटता का संदेश देने में नाकाम रही।
बड़ी जीत के लिए राजग ने की थी खास तैयारी
संख्याबल की दृष्टि से राधाकृष्णन की जीत पहले से तय थी। हालांकि, भाजपा के रणनीतिकारों की जीत का अंतर बड़ा करने की रणनीति थी। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के नेतृत्व में गठित टीम ने जहां गैर राजग-गैर भाजपा दलों से संपर्क साधा, वहीं विपक्षी गठबंधन के सहयोगी दलों के असंतुष्ट सांसदों से भी लगातार संपर्क रखा। राजग के सभी 427 सांसद वोट डालें, इसके लिए गृह राज्यमंत्री नित्यानंद राय ने गठबंधन के सभी सदस्यों को मतदान से पहले ही इकट्ठा किया।
पक्ष-विपक्ष के सांसदों में दिखा दोस्ताना माहौल
मतदान के दौरान चुनावी सरगर्मी नहीं, बल्कि पिकनिक सा माहौल दिखा। राजग और इंडिया ब्लॉक के सांसदों के बीच भी दोस्ताना व्यवहार देखने को मिला। एक तरफ नितिन गडकरी और मल्लिकार्जुन खरगे हाथ में हाथ डालकर चलते दिखे, तो वहीं फोटो सेशन कराते शत्रुघ्न सिन्हा ने सबका ध्यान खींचा। कतार में लगे सभी पार्टियों के सांसद बारी आने से पहले समय काटने के लिए आपस में चुहलबाजी करते दिखे।
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अमान्य वोटों पर भी उठ रहे सवाल
चुनाव में 15 वोट अमान्य घोषित किए गए हैं। सूत्रों का कहना है कि इनमें ज्यादातर कांग्रेस और कुछ सपा के भी सांसद हैं। ऐसे में सवाल उठ रहे हैं कि क्या जानबूझ कर कुछ सांसदों ने मतदान के लिए अलग स्याही वाली कलम का इस्तेमाल तो नहीं किया? गौरतलब है कि इस चुनाव में व्हिप जारी नहीं होने के कारण क्रॉस वोटिंग या संबंधित दल या गठबंधन के प्रत्याशी को वोट नहीं देने के कारण संसद की सदस्यता पर तलवार लटकने का खतरा नहीं होता।