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कैसे एकजुट होगा विपक्ष?: अखिलेश-ममता से केजरीवाल तक, जानें किसे कौन सा फॉर्मूला दे रहे हैं नीतीश-तेजस्वी

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Tue, 25 Apr 2023 12:05 PM IST
सार
चर्चा है कि विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात के दौरान एक फॉर्मूले का भी जिक्र किया जा रहा है। इसी फॉर्मूले के आधार पर दलों को साथ आने के लिए कहा जा रहा है। आखिर वो फॉर्मूला क्या है? कैसे विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिशें हो रहीं हैं? आगे किन मुद्दों पर ये दल साथ आ सकते हैं? आइए जानते हैं... 
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opposition unite: From Akhilesh-Mamata to Kejriwal, know which formula Nitish-Tejashwi is giving to whom
विपक्ष - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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विपक्षी दलों को एकजुट करने के लिए बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कोशिशें तेज कर दी हैं। अब तक अलग-अलग दलों के कई नेताओं से दोनों मुलाकात कर चुके हैं। इसकी शुरुआत 12 अप्रैल से हुई, जब दोनों ने दिल्ली में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी। 


चर्चा है कि विपक्षी दलों के नेताओं से मुलाकात के दौरान एक फॉर्मूले का भी जिक्र किया जा रहा है। इसी फॉर्मूले के आधार पर दलों को साथ आने के लिए कहा जा रहा है। आखिर वो फॉर्मूला क्या है? कैसे विपक्षी दलों को एकजुट करने की कोशिशें हो रहीं हैं? आगे किन मुद्दों पर ये दल साथ आ सकते हैं? आइए जानते हैं... 

 

कौन होगा विपक्ष से पीएम पद का उम्मीदवार
कौन होगा विपक्ष से पीएम पद का उम्मीदवार - फोटो : अमर उजाला
कैसे एकजुट हो रहे विपक्षी दल?
विपक्षी एकता के लिए जदयू और राजद साथ काम कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस भी अपनी ओर से अलग से कोशिशें कर रही है।  

1. कांग्रेस दक्षिण को साधने में लगी: दक्षिण भारत के राज्यों के क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की जिम्मेदारी कांग्रेस के पास है। कुछ राज्यों में क्षेत्रीय दल पहले से ही कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं। अब इन दलों से बातचीत करके 2024 लोकसभा चुनाव में प्रस्तावित महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं।
 दक्षिण के साथ-साथ वामदलों को भी एकसाथ लाने पर कांग्रेस काम कर रही है। 12 अप्रैल को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने शरद पवार, अरविंद केजरीवाल से भी बात की थी। 

2. जदयू-राजद का फोकस उत्तर भारत पर : नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद उत्तर भारत के विपक्षी दलों को एकसाथ लाने में जुटी हैं। खासतौर पर आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों को एकजुट करने का काम नीतीश और तेजस्वी कर रहे हैं। इसके  अलावा अन्य छोटे दलों को भी साथ लाने के लिए दोनों नेता लगातार कोशिश कर रहे हैं।  
 

अब तक किन-किन नेताओं के बीच हुई बातचीत
12 अप्रैल को सबसे पहले बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव ने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की। इसी के साथ नीतीश ने ये भी साफ कर दिया कि विपक्षी एकता बगैर कांग्रेस को साथ लाए संभव नहीं है। 

राहुल-खरगे से मिलने के बाद नीतश कुमार और तेजस्वी यादव ने आम आदमी पार्टी के मुखिया अरविंद केजरीवाल से मुलाकात की। वहीं, दूसरी ओर खरगे और राहुल ने एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मिलकर बातचीत की। 

खरगे ने अरविंद केजरीवाल और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन से भी फोन पर बात की। इसके बाद नीतीश कुमार और तेजस्वी ने सोमवार को पहले पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से मुलाकात की और फिर लखनऊ आकर समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव से मिले। 
 

विपक्ष
विपक्ष - फोटो : अमर उजाला
किस फॉर्मूला के सहारे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश हो रही?
इसे समझने के लिए हमने कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं से बात की। एक कांग्रेसी नेता ने कहा, 'नीतीश, तेजस्वी संग खरगे और राहुल की बैठक में विपक्षी एकजुटता को लेकर कई बिंदुओं पर सहमति बनी है। अब उसी फॉर्मूले के सहारे विपक्ष के अन्य दलों को एकसाथ लाने की कोशिश हो रही है। इस फॉर्मूले पर अंतिम मुहर तब लगेगी जब एकसाथ सारे विपक्षी दलों के नेता बैठक करेंगे।' इस फार्मूले में जो ये अहम बिंदु हैं…
 

1. भाजपा के खिलाफ वैचारिक एकजुटता: नीतीश कुमार ने खरगे और राहुल से मुलाकात के दौरान ये बात कही थी। उन्होंने कहा था कि भाजपा के खिलाफ विपक्ष को वैचारिक तौर पर एकजुट होना होगा। कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर विपक्ष की राय एक है। इन्हीं मुद्दों के सहारे सभी को एक होकर भाजपा से लड़ना होगा। राहुल और खरगे ने भी इसे स्वीकार किया। 
 

2. विपक्षी एकता की अगुआई कांग्रेस करे: नीतीश ने ही इसका प्रस्ताव भी रखा। उन्होंने कहा कि कांग्रेस को ही विपक्ष के सभी दलों की अगुआई करनी चाहिए, लेकिन इसमें कहीं से भी ये न लगे कि किसी दल की उपेक्षा की जा रही है। सभी के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए। 
 

लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी करता विपक्ष।
लोकसभा चुनाव के लिए तैयारी करता विपक्ष। - फोटो : अमर उजाला
3. चुनाव में सीट बंटवारे का फॉर्मूला: नीतीश ने कहा कि चुनाव के वक्त जिस पार्टी का जिस भी राज्य या क्षेत्र में दबदबा हो वहां उसे लीड करने दिया जाए। मसलन बिहार में राजद-जदयू का प्रभाव है। ऐसे में यहां की ज्यादातर सीटों पर इन्हीं दो पार्टियों के उम्मीदवार उतारे जाएं। इसके अलावा अन्य पार्टी जिसका कुछ जनाधार हो, उन्हें भी कुछ सीटों पर मौका दिया जाए। 

इसी तरह यूपी में सपा को ज्यादा सीटें दी जा सकती हैं। राजस्थान-छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश जैसे राज्यों में कांग्रेस लीड कर सकती है। जहां विवाद की स्थिति बने, वहां आपस में बैठकर मसला हल किया जा सकता है। 
 
 

दो मुद्दे जिनपर विपक्ष की एक राय है

1. विपक्षी दलों पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई: इस वक्त सोनिया गांधी-राहुल गांधी से लेकर केसीआर, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल तक कई मामलों में फंसे हुए हैं। ये एक ऐसा मुद्दा है, जिसको लेकर सभी दलों की राय एक है। सभी ने इसके खिलाफ सरकार पर हमला बोला है। 

2. अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर: विपक्ष ने लगातार आरोप लगाया है कि सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम कर रही है। सरकार पर सांप्रदायिक होने का भी आरोप लगाया जा रहा है। ऐसे में इस मुद्दे पर भी विपक्ष सहमति बना सकता है।
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