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क्या फाइनल है विपक्षी एकता?: उद्धव से मिले नीतीश-तेजस्वी, गठबंधन के फॉर्मूले के साथ इनसे हो चुकी बात

स्पेशल डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: हिमांशु मिश्रा Updated Thu, 11 May 2023 05:06 PM IST
सार
आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये मुलाकात कितना कारगर साबित होगी? क्या विपक्षी दलों का गठबंधन फाइनल है? इस गठबंधन को लेकर नीतीश कुमार विपक्षी दलों के नेताओं को क्या फॉर्मूला दे रहे हैं? आइए जानते हैं... 
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opposition unity against BJP final? : Nitish-Tejashwi met these leaders, gave formula for grand alliance
विपक्ष - फोटो : अमर उजाला

विस्तार
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आज सियासी तौर पर कई बड़े घटनाक्रम घटित हुए। सुप्रीम कोर्ट ने दो बड़े फैसले सुनाए। दिल्ली में अरविंद केजरीवाल सरकार को अफसरों-कर्मचारियों की ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार मिल गया। वहीं, महाराष्ट्र में एकनाथ शिंदे की सरकार फिलहाल बच गई। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट की टिप्पणी से उद्धव ठाकरे गुट को भी बड़ी खुशी मिली है। कोर्ट ने महाराष्ट्र के राज्यपाल और विधानसभा अध्यक्ष की भूमिका पर सवाल खड़े किए। इसे उद्धव गुट अपनी नैतिक जीत बता रहा है। 



इन सबके बीच एक तीसरी राजनीतिक घटना भी चर्चा में रही। बिहार के मुख्यमंत्री और जदयू प्रमुख नीतीश कुमार और उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव महाराष्ट्र पहुंचे। यहां उन्होंने मातोश्री में उद्धव ठाकरे और एनसीपी प्रमुख शरद पवार से मुलाकात की। ये मुलाकात ठीक उसी वक्त हो रही थी, जब शिवसेना के विवाद को लेकर सुप्रीम कोर्ट अपना फैसला सुना रही थी। 


इससे पहले नीतीश कुमार देश के कई बड़े विपक्षी नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। नीतीश कहते हैं कि उनका सिर्फ एक मकसद है और वह यह है कि 2024 लोकसभा चुनाव में कैसे भाजपा को सत्ता से बाहर किया जाए। इसके लिए सभी विपक्षी दलों को एकसाथ लाने के लिए वह कोशिश कर रहे हैं। 

ऐसे में आज हम आपको बताएंगे कि आखिर ये मुलाकात कितनी कारगर साबित होगी? क्या भाजपा के खिलाफ विपक्षी दलों का गठबंधन फाइनल है? इस गठबंधन को लेकर नीतीश कुमार विपक्षी दलों के नेताओं को क्या फॉर्मूला दे रहे हैं? आइए जानते हैं... 

पहले जानिए विपक्ष के किन-किन नेताओं से मिल चुके हैं नीतीश?
नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव ने सबसे पहले 12 अप्रैल को राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे से मुलाकात की थी। इसके बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल, फिर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और टीएमसी प्रमुख ममता बनर्जी, समाजवादी पार्टी के मुखिया अखिलेश यादव, कम्युनिस्ट पार्टी के नेता सीताराम येचुरी और डी राजा, ओडिशा के मुख्यमंत्री नवीन पटनायक, उद्धव ठाकरे, शरद पवार, हेमंत सोरेन समेत कई नेताओं से मुलाकात कर चुके हैं। इसके अलावा तमिलनाडु के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन से फोन पर बात कर चुके हैं। 

विपक्षी एकता के लिए किसने क्या कहा? 

राहुल गांधी और मल्लिकार्जुन खरगे : 12 अप्रैल को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव दिल्ली पहुंचे। यहां उन्होंने कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे और राहुल गांधी से मुलाकात की थी। इस मुलाकात के बाद राहुल और मल्लिकार्जुन खरगे ने मीडिया को संबोधित किया। सभी ने एक स्वर में कहा कि देश को बचाना है तो भाजपा को सत्ता से बाहर करना होगा। इसके लिए सभी एकसाथ मिलकर लड़ाई लड़ेंगे। 

अरविंद केजरीवाल : इस समय देश मुश्किल दौर से गुजर रहा है। यह जरूरी है कि देश की सब विपक्षी पार्टियां साथ आकर सरकार को बदले। नीतीश कुमार ने जो पहल की है, हम उसके साथ हैं। इस वक्त देश में आजादी के बाद की सबसे भ्रष्ट सरकार है। केंद्र के खिलाफ हम सबको मिलकर रहना होगा। अब बहुत जरूरी है कि सभी विपक्ष और सारा देश एक साथ आकर केंद्र सरकार बदले। ऐसी सरकार आनी चाहिए, जो इस देश को विकास दे सके। देश के लोगों को उनकी समस्याओं से मुक्ति दिला सके।

ममता बनर्जी :  हम सब साथ हैं। मुझे कोई ऐतराज नहीं है। देश की जनता भाजपा के खिलाफ लड़ेगी। विकास के बारे में नीतीश जी से बात हुई है। राजनीति पर भी चर्चा हुई है। मैंने नीतीश कुमार से बस एक ही निवेदन किया है कि जयप्रकाश जी का आंदोलन बिहार से हुआ था, तो हम भी बिहार में ऑल पार्टी मीटिंग करें। इससे हम तय कर सकेंगे कि हमें आगे कहां जाना है।

अखिलेश यादव : मैं नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव का स्वागत करता हूं। लोकतंत्र और संविधान को बचाने के लिए और बीजेपी को हटाने में हम आपके (नीतीश कुमार) साथ हैं। बीजेपी हटे देश बचे उस अभियान में हम आपके साथ हैं। महंगाई अब तक के सबसे ऊंचे स्तर पर है और बीजेपी सरकार को अविलंब हटाने की जरूरत है।

सीताराम येचुरी : वामपंथी दलों का मानना है कि सभी जनवादी ताकतों को इकट्ठा होना चाहिए, जिससे 2024 में भाजपा को हराया जा सके। इसके लिए प्रयास किए जा रहे थे, वो अब परिणाम में बदलने लगे हैं। जल्द ही दूसरी पार्टियों की भी मुलाकात होगी। इस गठबंधन का नेतृत्व कौन करेगा अभी ये तय नहीं है। नेतृत्व का सवाल बाद में आएगा। सभी राज्यों और पार्टियों की स्थिति अलग-अलग है, इसलिए सीटों का बंटवारा भी राज्य स्तर पर होगा। 

उद्धव ठाकरे : देश को बचाना है तो सभी को एकसाथ आना होगा। इस मसले पर हमारी एक राय है। 

शरद पवार : नीतीश कुमार एक अच्छे मिशन के लिए निकले हैं। आज सभी विपक्षी दलों को एकसाथ आना होगा। 

कैसे एकजुट हो रहे विपक्षी दल?
विपक्षी एकता के लिए जदयू और राजद साथ काम कर रहे हैं। वहीं, कांग्रेस भी अपनी ओर से अलग से कोशिशें कर रही है।  

1. कांग्रेस दक्षिण को साधने में लगी: दक्षिण भारत के राज्यों के क्षेत्रीय दलों को एकजुट करने की जिम्मेदारी कांग्रेस के पास है। कुछ राज्यों में क्षेत्रीय दल पहले से ही कांग्रेस के साथ गठबंधन में हैं। अब इन दलों से बातचीत करके 2024 लोकसभा चुनाव में प्रस्तावित महागठबंधन में शामिल होने के लिए आमंत्रित कर रहे हैं। दक्षिण के साथ-साथ वामदलों को भी एकसाथ लाने पर कांग्रेस काम कर रही है। 12 अप्रैल को नीतीश कुमार और तेजस्वी यादव से मुलाकात के बाद कांग्रेस अध्यक्ष खरगे ने शरद पवार, अरविंद केजरीवाल से भी बात की थी। इसके अलावा नीतीश-तेजस्वी भी इन दलों के प्रमुखों से जाकर मुलाकात कर रहे हैं। सभी को विपक्ष की बड़ी बैठक के लिए आमंत्रित किया जा रहा है। 

2. जदयू-राजद का फोकस उत्तर भारत पर : नीतीश कुमार की अगुआई में जदयू और तेजस्वी यादव के नेतृत्व में राजद उत्तर भारत के विपक्षी दलों को एकसाथ लाने में जुटी हैं। खासतौर पर आम आदमी पार्टी, समाजवादी पार्टी, तृणमूल कांग्रेस जैसे दलों को एकजुट करने का काम नीतीश और तेजस्वी कर रहे हैं। इसके अलावा अन्य छोटे दलों को भी साथ लाने के लिए दोनों नेता लगातार कोशिश कर रहे हैं। इसके अलावा दक्षिण के कुछ राज्यों पर भी नीतीश व्यक्तिगत तौर पर फोकस कर रहे हैं। ये वो राज्य हैं, जहां के नेताओं से नीतीश के निजी संबंध हैं।  

किस फॉर्मूला के सहारे विपक्ष को एकजुट करने की कोशिश हो रही?
इसे समझने के लिए हमने कांग्रेस के कुछ बड़े नेताओं से बात की। एक कांग्रेसी नेता ने कहा, 'नीतीश, तेजस्वी संग खरगे और राहुल की बैठक में विपक्षी एकजुटता को लेकर कई बिंदुओं पर सहमति बनी है। अब उसी फॉर्मूले के सहारे विपक्ष के अन्य दलों को एकसाथ लाने की कोशिश हो रही है। इस फॉर्मूले पर अंतिम मुहर तब लगेगी जब एकसाथ सारे विपक्षी दलों के नेता बैठक करेंगे।' इस फार्मूले में जो ये अहम बिंदु हैं…
 
1. भाजपा के खिलाफ वैचारिक एकजुटता: भाजपा के खिलाफ विपक्ष को वैचारिक तौर पर एकजुट होना होगा। कई ऐसे मुद्दे हैं, जिनपर विपक्ष की राय एक है। इन्हीं मुद्दों के सहारे सभी को एक होकर भाजपा से लड़ना होगा। नीतीश कुमार के इस प्रस्ताव पर सभी विपक्षी दल सहमत हैं। 
 
2. विपक्षी एकता की अगुआई कांग्रेस करे: नीतीश ने ही इसका प्रस्ताव भी रखा। कांग्रेस अभी विपक्ष में सबसे बड़ी पार्टी है। ऐसे में कांग्रेस को ही विपक्ष के सभी दलों की अगुआई करनी चाहिए, लेकिन इसमें कहीं से भी ये न लगे कि किसी दल की उपेक्षा की जा रही है। सभी के सम्मान का ख्याल रखना चाहिए। इसपर अभी सभी दल सहमत नहीं हो पाए हैं। ऐसे में इस मसले पर तब चर्चा होगी जब सभी विपक्षी दलों के नेता एकसाथ बैठक करेंगे। 

3. चुनाव में सीट बंटवारे का फॉर्मूला: चुनाव के वक्त राज्य के हिसाब से सीटों का बंटवारा किया जाएगा। जिस पार्टी का जिस भी राज्य या क्षेत्र में दबदबा हो वहां उसे लीड करने दिया जाए। मसलन बिहार में राजद-जदयू का प्रभाव है। ऐसे में यहां की ज्यादातर सीटों पर इन्हीं दो पार्टियों के उम्मीदवार उतारे जाएं। इसके अलावा अन्य पार्टी जिसका कुछ जनाधार हो, उन्हें भी कुछ सीटों पर मौका दिया जाए। इसी तरह यूपी में सपा को ज्यादा सीटें दी जा सकती हैं। राजस्थान-छत्तीसगढ़, हिमाचल प्रदेश, कर्नाटक जैसे राज्यों में कांग्रेस लीड कर सकती है। जहां विवाद की स्थिति बने, वहां आपस में बैठकर मसला हल किया जा सकता है। 
 

दो मुद्दे जिनपर विपक्ष की एक राय है

1. विपक्षी दलों पर जांच एजेंसियों की कार्रवाई: इस वक्त सोनिया गांधी-राहुल गांधी से लेकर केसीआर, तेजस्वी यादव, उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी और अरविंद केजरीवाल तक कई मामलों में फंसे हुए हैं। ये एक ऐसा मुद्दा है, जिसको लेकर सभी दलों की राय एक है। सभी ने इसके खिलाफ सरकार पर हमला बोला है। 

2. अल्पसंख्यकों के मुद्दे पर: विपक्ष ने लगातार आरोप लगाया है कि सरकार अल्पसंख्यकों के खिलाफ काम कर रही है। सरकार पर सांप्रदायिक होने का भी आरोप लगाया जा रहा है। ऐसे में इस मुद्दे पर भी विपक्ष सहमति बना सकता है।
 
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