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Pahalgam Attack: पहलगाम आतंकी हमले में बड़ा खुलासा, NIA ने बताया क्यों बायसरन घाटी को ही बनाया गया निशाना?
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Thu, 28 Aug 2025 06:52 PM IST
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सार
जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में बायसरन घाटी में हुए आतंकी हमले पर एनआईए ने खुलासा किया है कि इसे इसलिए चुना गया क्योंकि यहां पर्यटकों की भीड़ रहती है और यह इलाका सुरक्षा के लिहाज से थोड़ा अलग-थलग भी है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोगों की हत्या हुई थी। जांच में तीन पाकिस्तानी आतंकी शामिल पाए गए जिन्हें बाद में मार गिराया गया था।

एनआईए
- फोटो : पीटीआई
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विस्तार
राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने खुलासा किया है कि जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए बड़े आतंकी हमले में बायसरन घाटी को इसलिए निशाना बनाया गया क्योंकि वहां पर्यटकों की भीड़ अधिक रहती है और यह इलाका अपेक्षाकृत अलग-थलग है। 22 अप्रैल को हुए इस हमले में 26 लोगों की बेरहमी से हत्या कर दी गई थी। एनआईए ने ये भी बताया कि पाकिस्तान के तीन आतंकी सीधे इस हमले में शामिल थे।
रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आतंकी संगठन ने बायसरन को इसलिए चुना क्योंकि यहां पर्यटकों की मौजूदगी अधिक रहती है और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया में समय लगता। इसीलिए इसे आसान और बड़ा निशाना माना गया। हमले के दौरान आतंकी खासतौर पर उन लोगों को निशाना बना रहे थे जो खाने-पीने की दुकानों, टट्टू सवारी या परिवार संग पिकनिक का आनंद ले रहे थे। खूबसूरत नजारों के कारण बायसरन को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है।
पाकिस्तानी आतंकी और स्थानीय मददगार
एनआईए ने जून में दो लोगों परवेज अहमद जोठार और बशीर अहमद जोठार को गिरफ्तार किया था। ये दोनों स्थानीय लोग आतंकियों को पनाह देने, खाना और रसद उपलब्ध कराने में शामिल थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि हमला करने वाले तीनों आतंकी पाकिस्तान से आए थे और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। एनआईए ने बताया कि यह हमला पाकिस्तान से बनी साजिश का हिस्सा था।
ये भी पढ़ें- भारत के प्रदूषण में 40 फीसदी कटौती हुई तो उम्र में होगी दो साल की बढ़ोतरी, EPIC रिपोर्ट में बड़ा दावा
ऑपरेशन सिंदूर: आतंकियों के ठिकानों पर सटीक प्रहार
इस हमले के जवाब में भारतीय सेना ने सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर प्रहार किया। इसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और प्रशिक्षण केंद्रों को निशाना बनाया गया। इन संगठनों से ही भारत पर आतंकी हमलों की साजिश रची जा रही थी। इस ऑपरेशन में नौ ठिकानों को तबाह किया गया।
ये भी पढ़ें- सिद्धारमैया सरकार पर BJP हमलावर, कहा- समयबद्ध हो SIT जांच; 'धर्मस्थल चलो' रैली का भी एलान
सुरक्षाबलों की कार्रवाई और ऑपरेशन महादेव
हमले के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों की तलाश तेज की और 28 जुलाई को श्रीनगर के बाहरी इलाके में ‘ऑपरेशन महादेव’ में तीनों पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया। जांच में पता चला कि ये आतंकी हमले के बाद से डाचीगाम-हरवन के जंगलों में छिपे हुए थे। सुरक्षाबलों की यह कार्रवाई बड़े पैमाने पर की गई, ताकि आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।

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रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि आतंकी संगठन ने बायसरन को इसलिए चुना क्योंकि यहां पर्यटकों की मौजूदगी अधिक रहती है और सुरक्षा बलों की प्रतिक्रिया में समय लगता। इसीलिए इसे आसान और बड़ा निशाना माना गया। हमले के दौरान आतंकी खासतौर पर उन लोगों को निशाना बना रहे थे जो खाने-पीने की दुकानों, टट्टू सवारी या परिवार संग पिकनिक का आनंद ले रहे थे। खूबसूरत नजारों के कारण बायसरन को ‘मिनी स्विट्जरलैंड’ कहा जाता है।
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पाकिस्तानी आतंकी और स्थानीय मददगार
एनआईए ने जून में दो लोगों परवेज अहमद जोठार और बशीर अहमद जोठार को गिरफ्तार किया था। ये दोनों स्थानीय लोग आतंकियों को पनाह देने, खाना और रसद उपलब्ध कराने में शामिल थे। उनकी गिरफ्तारी के बाद खुलासा हुआ कि हमला करने वाले तीनों आतंकी पाकिस्तान से आए थे और लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े थे। एनआईए ने बताया कि यह हमला पाकिस्तान से बनी साजिश का हिस्सा था।
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ऑपरेशन सिंदूर: आतंकियों के ठिकानों पर सटीक प्रहार
इस हमले के जवाब में भारतीय सेना ने सात मई को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ चलाकर पाकिस्तान में आतंकी ठिकानों पर प्रहार किया। इसमें लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के मुख्यालय और प्रशिक्षण केंद्रों को निशाना बनाया गया। इन संगठनों से ही भारत पर आतंकी हमलों की साजिश रची जा रही थी। इस ऑपरेशन में नौ ठिकानों को तबाह किया गया।
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सुरक्षाबलों की कार्रवाई और ऑपरेशन महादेव
हमले के बाद सुरक्षाबलों ने आतंकियों की तलाश तेज की और 28 जुलाई को श्रीनगर के बाहरी इलाके में ‘ऑपरेशन महादेव’ में तीनों पाकिस्तानी आतंकियों को मार गिराया। जांच में पता चला कि ये आतंकी हमले के बाद से डाचीगाम-हरवन के जंगलों में छिपे हुए थे। सुरक्षाबलों की यह कार्रवाई बड़े पैमाने पर की गई, ताकि आतंकी नेटवर्क को ध्वस्त किया जा सके।
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