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Parliament Attack: 11 गोलियां लगीं, फिर भी CRPF की महिला जवान ने नहीं छोड़ा वायरलेस सेट; पढ़ें वीरता की कहानी
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सार
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CRPF
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Amar Ujala
विस्तार
संसद भवन पर हमले के दौरान सबसे पहले आतंकियों का सामना सीआरपीएफ की 88 महिला बटालियन की सदस्य कमलेश से हुआ था। उनके हाथ में केवल एक वायरलैस सैट था। आतंकियों की 11 गोलियां लगने के बाद भी न तो उसके हाथ से वायरलेस सेट छूटा और न ही जुबान बंद हुई। सबसे पहले हमले की सूचना उसने ही कंट्रोल रूम को दी थी। उसी की सूचना पर त्वरित कार्रवाई करते हुए सुरक्षा बलों ने मानव बम सहित सभी आतंकियों को मार गिराया था। भारत सरकार ने सीआरपीएफ की महिला जवान कमलेश को मरणोपरांत 'अशोक चक्र' प्रदान किया गया था।
13 फरवरी 2001 को सुबह 11 बजकर 40 मिनट पर कमलेश कुमारी संसद भवन परिसर के गेट नंबर 12 के स्केनर पर तैनात थी। उसने देखा कि विजय चौक से एक कार जिस पर गृह मंत्रालय और संसद भवन का स्टीकर लगा हुआ था, गेट नंबर 12 की तरफ आ रही है। जैसे ही वह कार निकट पहुंची, तो उसमें से चार आतंकी बाहर निकले। वह गेट बंद करने के लिए दौड़ी। हालांकि इस दौरान वह वायरलैस सैट पर कंट्रोल रूम को सूचना भी दे रही थी। दोबारा से अपनी पिकेट पर पहुंचने के बाद कमलेश ने आसपास के जवानों को चेताया।
तभी उसकी नजर मानव बम पर पड़ी। जैसे ही उसने यह सूचना कंट्रोल रूम को दी, उसी वक्त गेट नंबर 11 की ओर से कई आतंकी उसकी तरफ आ रहे थे। हाथ में वायरलैस सैट लिए वह अपनी पिकेट से बाहर निकली। कमलेश दौड़ रही थी, तभी आतंकियों ने उस पर गोलियों की बौछार कर दी। कोई एक दो नहीं, बल्कि 11 गोलियां, कमलेश के शरीर में प्रवेश कर चुकी थी। उसकी सूचना पर ही सीआरपीएफ एवं दूसरे बलों ने सारा घटना क्रम समझकर आतंकियों को ढेर किया था।
कमलेश के पति अवधेश सिंह कन्नौज में पैट्रोल पंप चलाते हैं। जैसे ही उसकी दोनों बेटियां टीवी पर संसद भवन देखती हैं, तो उनकी आंखें भर आती हैं। जब उसकी बेटियों को पता चला कि उनकी मां को 11 गोलियां लगी थीं, तो वे थोड़ा उदास हो जाती हैं। अपनी मां के बलिदान पर उन्हें नाज है। बता दें कि कमलेश के परिवार को जब यह बात मालूम हुई कि संसद भवन हमले के मुख्य आरोपी अफजल गुरू ने तत्कालीन राष्ट्रपति डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम के पास दया याचिका लगाई है, तो उन्होंने इसके विरोध में अशोक चक्र वापस लौटाने की धमकी दे दी थी। उनका कहना था कि संसद हमले के दोषी अफजल गुरू को किसी भी सूरत में बख्शा नहीं जा सकता।
देश के 9 वीर जवानों ने अपनी जान की परवाह किए बिना जैश-ए-मोहम्मद के पांच आतंकवादियों को संसद भवन में घुसने से रोका था। सुरक्षा कर्मियों ने सभी आतंकियों को ढेर कर दिया था। उस हमले में नौ जवानों ने शहादत दी थी, जबकि 16 जवान घायल हुए थे। शहादत देने वालों में जगदीश प्रसाद यादव, मातबर सिंह नेगी, नानक चंद, रामपाल, सीआरपीएफ की महिला कांस्टेबल कमलेश, ओमप्रकाश, बिजेन्द्र सिंह, घनश्याम कुमारी और सीपीडब्ल्यूडी के एक कर्मचारी देशराज शामिल थे। हमले के मास्टरमाइंड अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को सजा-ए-मौत दे दी गई थी।