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2001 Parliament Attack: संसद पर हमले में बलिदान हुए वीरों को किया गया याद, जानिए उस दिन की पूरी कहानी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: नितिन गौतम
Updated Fri, 13 Dec 2024 10:45 AM IST
सार
सीआईएसएफ जवानों ने कार्यक्रम के दौरान सलामी दी और इसके बाद एक मिनट का मौन रखा गया। पिछले साल तक सीआरपीएफ जवान सलामी देते थे। अब चूंकि संसद की सुरक्षा सीआईएसएफ के जिम्मे है, इसलिए इस बार सीआईएसएफ जवानों ने सलामी दी।
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संसद पर हमले की बरसी
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
आज संसद पर हुए आतंकवादी हमले की बरसी है। इस मौके पर देश अपने वीर बलिदानों को याद कर रहा है। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने संसद हमले के बलिदानों को विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की। राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने सोशल मीडिया पर साझा एक पोस्ट में लिखा कि 'मैं उन बहादुरों को अपनी विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित करती हूं जिन्होंने 2001 में आज के दिन हमारी संसद की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी थी। उनका साहस और निस्वार्थ सेवा हमें प्रेरित करती रहेगी। राष्ट्र उनके और उनके परिवारों के प्रति हमेशा कृतज्ञ रहेगा।' उन्होंने लिखा, 'इस दिन मैं आतंकवाद से लड़ने के लिए भारत के अटूट संकल्प को दोहराती हूं। हमारा देश आतंकी ताकतों के खिलाफ एकजुट है।'
संसद में दी गई बलिदानों को श्रद्धांजलि
23 साल पहले साल 2001 में संसद पर हुए हमले की बरसी को मौके पर शुक्रवार को संसद भवन परिसर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पुराने संसद भवन-संविधान सदन के बाहर आयोजित हुए एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और कई सांसदों और मंत्रियों ने आतंकी हमले में बलिदान हुए वीरों को पुष्पांजलि अर्पित की। सीआईएसएफ जवानों ने कार्यक्रम के दौरान सलामी दी और इसके बाद एक मिनट का मौन रखा गया। पिछले साल तक सीआरपीएफ जवान सलामी देते थे। अब चूंकि संसद की सुरक्षा सीआईएसएफ के जिम्मे है, इसलिए इस बार सीआईएसएफ जवानों ने सलामी दी। कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू आदि शामिल हुए।
13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुआ था आतंकी हमला
पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने 2001 में आज ही के दिन संसद परिसर पर हमला किया था, जिसमें नौ लोग मारे गए थे। सुरक्षा बलों ने सभी पांच आतंकवादियों को मार गिराया था। यह हमला पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने किया था, लेकिन संसद सुरक्षा सेवा, सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के जवानों ने हमले को विफल कर दिया और कोई भी आतंकवादी इमारत में प्रवेश नहीं कर सका। उस हमले में दिल्ली पुलिस के छह जवान, संसद सुरक्षा सेवा के दो जवान, एक माली और एक टीवी वीडियो पत्रकार की मौत हुई थी।
क्या हुआ था उस दिन
13 दिसंबर 2001 को दिन के करीब 11.40 बजे एक एंबेसडर कार संसद भवन के परिसर में घुसी। इस कार पर लाल बत्ती और गृह मंत्रालय के फर्जी स्टीकर लगे थे। अंदर पांच आतंकी सवार थे। जैसे ही कार संसद बिल्डिंग के गेट नंबर 12 की तरफ बढ़ी, जिस पर संसद भवन के एक सुरक्षा कर्मचारी को किसी गड़बड़ी का शक हुआ। इसके बाद सुरक्षा जवानों ने कार को वापस मोड़ने के लिए कहा। लेकिन वो मुड़े नहीं, बल्कि कार तेज गति में परिसर में खड़ी तत्कालीन उप राष्ट्रपति कृष्ण कांत की गाड़ी में जा भिड़ी।
इसके बाद आतंकी कार से नीचे उतरे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा जवानों ने भी आतंकियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। करीब 45 मिनट तक चले इस ऑपरेशन में सभी पांच आतंकी मारे गए। वहीं, एक माली समेत हमारे आठ सुरक्षा जवान भी शहीद हो गए। हमले में करीब 15 लोग घायल भी हुए थे। आतंकियों की कार से करीब 30 किलो आरडीएक्स बरामद हुआ था। उस समय संसद में करीब 200 सांसद व मंत्री भी मौजूद थे। लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में बताया था कि 'भारत की संसद पर आतंकी हमला करने की साजिश पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने मिलकर रची थी। इन दोनों सगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से मदद मिली। हमला करने वाले सभी आतंकी पाकिस्तानी थे।' संसद पर हमले के आरोप में मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन गुरु, शौकत की पत्नी अफसाना और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एसआर गिलानी को गिरफ्तार किया था। दोषी पाए जाने के बाद अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी की सजा दी गई। वहीं शौकत हुसैन गुरु को 10 साल जेल की सजा हुई थी। बाकी लोगों को रिहा कर दिया गया था।
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संसद में दी गई बलिदानों को श्रद्धांजलि
23 साल पहले साल 2001 में संसद पर हुए हमले की बरसी को मौके पर शुक्रवार को संसद भवन परिसर में एक कार्यक्रम का आयोजन किया गया। पुराने संसद भवन-संविधान सदन के बाहर आयोजित हुए एक कार्यक्रम में उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला और कई सांसदों और मंत्रियों ने आतंकी हमले में बलिदान हुए वीरों को पुष्पांजलि अर्पित की। सीआईएसएफ जवानों ने कार्यक्रम के दौरान सलामी दी और इसके बाद एक मिनट का मौन रखा गया। पिछले साल तक सीआरपीएफ जवान सलामी देते थे। अब चूंकि संसद की सुरक्षा सीआईएसएफ के जिम्मे है, इसलिए इस बार सीआईएसएफ जवानों ने सलामी दी। कार्यक्रम में कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे, गृह मंत्री अमित शाह, लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी, संसदीय कार्यमंत्री किरेन रिजिजू आदि शामिल हुए।
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13 दिसंबर 2001 को भारतीय संसद पर हुआ था आतंकी हमला
पाकिस्तान स्थित लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद के आतंकवादियों ने 2001 में आज ही के दिन संसद परिसर पर हमला किया था, जिसमें नौ लोग मारे गए थे। सुरक्षा बलों ने सभी पांच आतंकवादियों को मार गिराया था। यह हमला पांच हथियारबंद आतंकवादियों ने किया था, लेकिन संसद सुरक्षा सेवा, सीआरपीएफ और दिल्ली पुलिस के जवानों ने हमले को विफल कर दिया और कोई भी आतंकवादी इमारत में प्रवेश नहीं कर सका। उस हमले में दिल्ली पुलिस के छह जवान, संसद सुरक्षा सेवा के दो जवान, एक माली और एक टीवी वीडियो पत्रकार की मौत हुई थी।
क्या हुआ था उस दिन
13 दिसंबर 2001 को दिन के करीब 11.40 बजे एक एंबेसडर कार संसद भवन के परिसर में घुसी। इस कार पर लाल बत्ती और गृह मंत्रालय के फर्जी स्टीकर लगे थे। अंदर पांच आतंकी सवार थे। जैसे ही कार संसद बिल्डिंग के गेट नंबर 12 की तरफ बढ़ी, जिस पर संसद भवन के एक सुरक्षा कर्मचारी को किसी गड़बड़ी का शक हुआ। इसके बाद सुरक्षा जवानों ने कार को वापस मोड़ने के लिए कहा। लेकिन वो मुड़े नहीं, बल्कि कार तेज गति में परिसर में खड़ी तत्कालीन उप राष्ट्रपति कृष्ण कांत की गाड़ी में जा भिड़ी।
इसके बाद आतंकी कार से नीचे उतरे और अंधाधुंध फायरिंग शुरू कर दी। सुरक्षा जवानों ने भी आतंकियों पर गोलियां बरसानी शुरू कर दी। करीब 45 मिनट तक चले इस ऑपरेशन में सभी पांच आतंकी मारे गए। वहीं, एक माली समेत हमारे आठ सुरक्षा जवान भी शहीद हो गए। हमले में करीब 15 लोग घायल भी हुए थे। आतंकियों की कार से करीब 30 किलो आरडीएक्स बरामद हुआ था। उस समय संसद में करीब 200 सांसद व मंत्री भी मौजूद थे। लेकिन किसी को कोई नुकसान नहीं पहुंचा।
तत्कालीन गृह मंत्री लालकृष्ण आडवाणी ने लोकसभा में बताया था कि 'भारत की संसद पर आतंकी हमला करने की साजिश पाकिस्तान के आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद ने मिलकर रची थी। इन दोनों सगठनों को पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई से मदद मिली। हमला करने वाले सभी आतंकी पाकिस्तानी थे।' संसद पर हमले के आरोप में मोहम्मद अफजल गुरु, शौकत हुसैन गुरु, शौकत की पत्नी अफसाना और दिल्ली यूनिवर्सिटी के प्रोफेसर एसआर गिलानी को गिरफ्तार किया था। दोषी पाए जाने के बाद अफजल गुरु को 9 फरवरी 2013 को फांसी की सजा दी गई। वहीं शौकत हुसैन गुरु को 10 साल जेल की सजा हुई थी। बाकी लोगों को रिहा कर दिया गया था।