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संसद: विपक्ष के हंगामे के बीच मानसून सत्र में पास हुए अहम विधेयक; लोकसभा से 12 और राज्यसभा से 15 बिल पारित
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Thu, 21 Aug 2025 11:36 AM IST
सार
संसद का मानसून सत्र हंगामे और विपक्ष के वॉकआउट के बीच समाप्त हुआ। लोकसभा ने 12 और राज्यसभा ने 15 विधेयक पास किए। विपक्ष ने ऑपरेशन सिंदूर और बिहार मतदाता सूची पुनरीक्षण पर चर्चा की मांग को लेकर लगातार हंगामा किया। सरकार का कहना है कि विपक्ष ने जिद्दी रवैया अपनाकर अहम विधेयकों पर बहस का मौका गंवा दिया।
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लोकसभा की कार्यवाही
- फोटो : संसद
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विस्तार
संसद का मानसून सत्र गुरुवार को समाप्त हो गया। इस दौरान लगातार हंगामा, कार्यवाही स्थगन और विपक्ष के वॉकआउट देखने को मिले। इसके बावजूद लोकसभा ने 12 और राज्यसभा ने 15 विधेयक पास किए। खास बात यह रही कि लगभग हर दिन विपक्ष के विरोध और मांगों के कारण सदन की कार्यवाही प्रभावित हुई। विपक्ष ने ‘ऑपरेशन सिंदूर’ और बिहार की विशेष मतदाता सूची पुनरीक्षण प्रक्रिया पर चर्चा की मांग को लेकर हंगामा किया।
लोकसभा में पास किए गए विधेयकों में कई अहम बिल शामिल रहे। इनमें गोवा में अनुसूचित जनजातियों के विधानसभा क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व समायोजन से जुड़े विधेयक, व्यापारी जहाजरानी विधेयक, मणिपुर जीएसटी संशोधन बिल और मणिपुर विनियोग विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक, आयकर विधेयक, कराधान कानून संशोधन विधेयक, भारतीय बंदरगाह विधेयक, खनन और खनिज संशोधन विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान संशोधन विधेयक और ऑनलाइन गेमिंग विनियमन विधेयक भी लोकसभा ने पारित किया।
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राज्यसभा में हुए अहम फैसले
राज्यसभा ने भी 15 बिल पारित किए या वापस किए। इनमें ‘बिल्स ऑफ लेडिंग बिल’, ‘कैरिज ऑफ गुड्स बाय सी बिल’, ‘कोस्टल शिपिंग बिल’, मणिपुर जीएसटी संशोधन बिल, मणिपुर विनियोग विधेयक और व्यापारी जहाजरानी बिल शामिल रहे। साथ ही गोवा के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व समायोजन से जुड़े बिल, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक और कराधान कानून संशोधन विधेयक भी राज्यसभा ने पास किए।
हंगामे की भेंट चढ़ी बहस
सरकारी सूत्रों के अनुसार, विपक्ष के लगातार शोर-शराबे और असहयोगी रवैये के कारण कई अहम विधेयकों पर व्यापक बहस नहीं हो सकी। अधिकांश बिल या तो थोड़ी-बहुत चर्चा के बाद पास हुए या विपक्ष के वॉकआउट के बाद सदन से पारित कराए गए। सूत्रों ने कहा कि इस बार विपक्ष ने केवल व्यवधान डाले और गंभीर चर्चा से दूरी बनाई।
ये भी पढ़ें- म्यांमार से घुसपैठ को लेकर बीरेन सिंह ने जताई चिंता; मणिपुर में सात उग्रवादी गिरफ्तार
सरकार का आरोप, विपक्ष ने खोया मौका
एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस बार संसद में बहुत हंगामा हुआ और विपक्ष ने सहयोग नहीं किया। इस जिद्दी रवैये के कारण विपक्ष महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा में शामिल नहीं हो पाया। राज्यसभा में केवल ‘बिल्स ऑफ लेडिंग बिल’ ही पहले दिन बिना व्यवधान पारित हुआ। बाकी विधेयक शोर-शराबे या विपक्षी दलों के वॉकआउट के बीच पास किए गए। सरकार का मानना है कि विपक्ष ने खुद को गंभीर चर्चाओं से अलग कर लिया और देशहित से जुड़े अहम फैसलों का हिस्सा बनने का मौका गंवा दिया।
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लोकसभा में पास किए गए विधेयकों में कई अहम बिल शामिल रहे। इनमें गोवा में अनुसूचित जनजातियों के विधानसभा क्षेत्रों में प्रतिनिधित्व समायोजन से जुड़े विधेयक, व्यापारी जहाजरानी विधेयक, मणिपुर जीएसटी संशोधन बिल और मणिपुर विनियोग विधेयक शामिल हैं। इसके अलावा राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक, आयकर विधेयक, कराधान कानून संशोधन विधेयक, भारतीय बंदरगाह विधेयक, खनन और खनिज संशोधन विधेयक, भारतीय प्रबंधन संस्थान संशोधन विधेयक और ऑनलाइन गेमिंग विनियमन विधेयक भी लोकसभा ने पारित किया।
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राज्यसभा में हुए अहम फैसले
राज्यसभा ने भी 15 बिल पारित किए या वापस किए। इनमें ‘बिल्स ऑफ लेडिंग बिल’, ‘कैरिज ऑफ गुड्स बाय सी बिल’, ‘कोस्टल शिपिंग बिल’, मणिपुर जीएसटी संशोधन बिल, मणिपुर विनियोग विधेयक और व्यापारी जहाजरानी बिल शामिल रहे। साथ ही गोवा के विधानसभा क्षेत्रों में अनुसूचित जनजातियों के प्रतिनिधित्व समायोजन से जुड़े बिल, राष्ट्रीय खेल प्रशासन विधेयक, राष्ट्रीय एंटी-डोपिंग संशोधन विधेयक और कराधान कानून संशोधन विधेयक भी राज्यसभा ने पास किए।
हंगामे की भेंट चढ़ी बहस
सरकारी सूत्रों के अनुसार, विपक्ष के लगातार शोर-शराबे और असहयोगी रवैये के कारण कई अहम विधेयकों पर व्यापक बहस नहीं हो सकी। अधिकांश बिल या तो थोड़ी-बहुत चर्चा के बाद पास हुए या विपक्ष के वॉकआउट के बाद सदन से पारित कराए गए। सूत्रों ने कहा कि इस बार विपक्ष ने केवल व्यवधान डाले और गंभीर चर्चा से दूरी बनाई।
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एक वरिष्ठ सरकारी अधिकारी ने कहा कि इस बार संसद में बहुत हंगामा हुआ और विपक्ष ने सहयोग नहीं किया। इस जिद्दी रवैये के कारण विपक्ष महत्वपूर्ण विधेयकों पर चर्चा में शामिल नहीं हो पाया। राज्यसभा में केवल ‘बिल्स ऑफ लेडिंग बिल’ ही पहले दिन बिना व्यवधान पारित हुआ। बाकी विधेयक शोर-शराबे या विपक्षी दलों के वॉकआउट के बीच पास किए गए। सरकार का मानना है कि विपक्ष ने खुद को गंभीर चर्चाओं से अलग कर लिया और देशहित से जुड़े अहम फैसलों का हिस्सा बनने का मौका गंवा दिया।
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