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Monsoon Session: विमान हादसे के बाद पायलटों के 'सिक लीव' में बढ़ोतरी; जल जीवन मिशन में देरी के पीछे ये है वजह
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: पवन पांडेय
Updated Thu, 24 Jul 2025 04:46 PM IST
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संसद भवन
- फोटो : अमर उजाला
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केंद्र सरकार ने लोकसभा को जानकारी दी है कि अहमदाबाद में पिछले महीने हुए भयावह विमान हादसे के बाद एअर इंडिया के पायलटों की तरफ से 'बीमार' (सिक लीव) छुट्टियां लेने के मामलों में थोड़ी बढ़ोतरी दर्ज की गई है। अहमदाबाद में एअर इंडिया के भीषण विमान हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई थी। इसमें 241 विमान में सवार थे और 19 घटनावाली जगह मौजूद लोग मारे गए हैं।
एक नजर में अहमदाबाद विमान हादसा
12 जून को अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 टेकऑफ के तुरंत बाद एक इमारत से टकरा गई थी। इस दुखद हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई- जिनमें 241 यात्री और 19 जमीन पर मौजूद लोग शामिल थे। सिर्फ एक यात्री बच पाया। नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोळ ने लोकसभा में बताया कि, हादसे के बाद 16 जून 2025 को 112 पायलटों ने बीमार छुट्टी ली, जिनमें 51 कप्तान (कमांडर) और 61 फ़र्स्ट ऑफ़िसर थे। यह सभी एयर इंडिया की अलग-अलग फ्लाइट श्रेणियों से थे। हालांकि सरकार ने यह भी साफ किया कि इसे 'मास सिक रिपोर्टिंग' यानी जानबूझकर सामूहिक छुट्टी नहीं माना गया, बल्कि यह एक 'हल्की बढ़ोतरी' थी।
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एक नजर में अहमदाबाद विमान हादसा
12 जून को अहमदाबाद से लंदन गैटविक जा रही एयर इंडिया की फ्लाइट एआई-171 टेकऑफ के तुरंत बाद एक इमारत से टकरा गई थी। इस दुखद हादसे में 260 लोगों की मौत हो गई- जिनमें 241 यात्री और 19 जमीन पर मौजूद लोग शामिल थे। सिर्फ एक यात्री बच पाया। नागर विमानन राज्य मंत्री मुरलीधर मोहोळ ने लोकसभा में बताया कि, हादसे के बाद 16 जून 2025 को 112 पायलटों ने बीमार छुट्टी ली, जिनमें 51 कप्तान (कमांडर) और 61 फ़र्स्ट ऑफ़िसर थे। यह सभी एयर इंडिया की अलग-अलग फ्लाइट श्रेणियों से थे। हालांकि सरकार ने यह भी साफ किया कि इसे 'मास सिक रिपोर्टिंग' यानी जानबूझकर सामूहिक छुट्टी नहीं माना गया, बल्कि यह एक 'हल्की बढ़ोतरी' थी।
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मानसिक स्वास्थ्य को लेकर दिशा-निर्देश
विमानन नियामक संस्था डीजीसीए ने फरवरी 2023 में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया कि पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के लिए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम अनिवार्य किए जाएं। एयरलाइंस को 'पीयर सपोर्ट प्रोग्राम (पीएसपी)' लागू करना चाहिए। इसके तहत कर्मचारी बिना डर के मानसिक समस्याओं की पहचान और समाधान में मदद ले सकते हैं। वहीं एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री मोहोळ ने कहा कि वर्तमान में विमान दुर्घटनाओं में जमीन पर मारे गए लोगों के लिए कोई विशेष मुआवजा नीति नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास नहीं है।
विमानन नियामक संस्था डीजीसीए ने फरवरी 2023 में एक सर्कुलर जारी किया था, जिसमें कहा गया कि पायलटों और एयर ट्रैफिक कंट्रोलर्स के लिए मानसिक स्वास्थ्य से जुड़े प्रशिक्षण कार्यक्रम अनिवार्य किए जाएं। एयरलाइंस को 'पीयर सपोर्ट प्रोग्राम (पीएसपी)' लागू करना चाहिए। इसके तहत कर्मचारी बिना डर के मानसिक समस्याओं की पहचान और समाधान में मदद ले सकते हैं। वहीं एक अन्य प्रश्न के उत्तर में मंत्री मोहोळ ने कहा कि वर्तमान में विमान दुर्घटनाओं में जमीन पर मारे गए लोगों के लिए कोई विशेष मुआवजा नीति नागरिक उड्डयन मंत्रालय के पास नहीं है।
इस वजह से धीमी पड़ रही नल जल योजना
केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि ग्रामीण भारत में हर घर तक नल से जल पहुंचाने वाली 'जल जीवन मिशन' की गति कई राज्यों में धीमी हो गई है। इसमें पहला पानी की कमी- खासतौर पर सूखा प्रभावित और रेगिस्तानी क्षेत्रों में विश्वसनीय जल स्रोत नहीं हैं। दूसरा जमीन की कठिनाई- पहाड़ी या बिखरे हुए गांवों में पाइपलाइन बिछाना मुश्किल है। तीसरा राज्य सरकारों की तरफ से फंड में देरी- कई राज्य केंद्र सरकार की स्कीम के तहत अपनी हिस्सेदारी समय पर नहीं दे रहे। चौथा भूमिगत जल प्रदूषण - कुछ क्षेत्रों में फ्लोराइड या आर्सेनिक की समस्या है। पांचवां स्थानीय स्तर पर तकनीकी स्टाफ की कमी - गांवों में प्रशिक्षित मिस्त्री या इंजीनियर नहीं मिल पा रहे। छटा निर्माण लागत में वृद्धि- महंगाई के कारण बजट से अधिक खर्च हो रहा है।
2024 से बढ़ाकर 2028 कर दी गई योजना की डेडलाइन
शुरुआत में योजना का लक्ष्य था कि 2024 तक हर ग्रामीण घर को नल से पानी मिले। लेकिन अब सरकार ने इसकी समय सीमा बढ़ाकर 2028 कर दी है।
केंद्र सरकार ने लोकसभा में बताया कि ग्रामीण भारत में हर घर तक नल से जल पहुंचाने वाली 'जल जीवन मिशन' की गति कई राज्यों में धीमी हो गई है। इसमें पहला पानी की कमी- खासतौर पर सूखा प्रभावित और रेगिस्तानी क्षेत्रों में विश्वसनीय जल स्रोत नहीं हैं। दूसरा जमीन की कठिनाई- पहाड़ी या बिखरे हुए गांवों में पाइपलाइन बिछाना मुश्किल है। तीसरा राज्य सरकारों की तरफ से फंड में देरी- कई राज्य केंद्र सरकार की स्कीम के तहत अपनी हिस्सेदारी समय पर नहीं दे रहे। चौथा भूमिगत जल प्रदूषण - कुछ क्षेत्रों में फ्लोराइड या आर्सेनिक की समस्या है। पांचवां स्थानीय स्तर पर तकनीकी स्टाफ की कमी - गांवों में प्रशिक्षित मिस्त्री या इंजीनियर नहीं मिल पा रहे। छटा निर्माण लागत में वृद्धि- महंगाई के कारण बजट से अधिक खर्च हो रहा है।
2024 से बढ़ाकर 2028 कर दी गई योजना की डेडलाइन
शुरुआत में योजना का लक्ष्य था कि 2024 तक हर ग्रामीण घर को नल से पानी मिले। लेकिन अब सरकार ने इसकी समय सीमा बढ़ाकर 2028 कर दी है।
इस साल अब तक एयरलाइनों के 183 विमान तकनीकी खराबी के शिकार
भारत की पांच प्रमुख एयरलाइनों ने इस साल 21 जुलाई तक कुल 183 तकनीकी खराबियों की जानकारी नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए को दी है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने लोकसभा में लिखित जवाब के रूप में दी। एयर इंडिया ग्रुप (जिसमें एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस शामिल हैं) ने सबसे ज्यादा 85 तकनीकी खराबियों की सूचना दी। इसके बाद इंडिगो ने 62, आकासा एयर ने 28, और स्पाइसजेट ने 8 तकनीकी खामियों की रिपोर्ट दी।
पिछले वर्षों की तुलना
भारत की पांच प्रमुख एयरलाइनों ने इस साल 21 जुलाई तक कुल 183 तकनीकी खराबियों की जानकारी नागरिक उड्डयन नियामक डीजीसीए को दी है। यह जानकारी केंद्र सरकार ने लोकसभा में लिखित जवाब के रूप में दी। एयर इंडिया ग्रुप (जिसमें एयर इंडिया और एयर इंडिया एक्सप्रेस शामिल हैं) ने सबसे ज्यादा 85 तकनीकी खराबियों की सूचना दी। इसके बाद इंडिगो ने 62, आकासा एयर ने 28, और स्पाइसजेट ने 8 तकनीकी खामियों की रिपोर्ट दी।
पिछले वर्षों की तुलना
- 2024 में अब तक कुल 421 तकनीकी खराबियां रिपोर्ट की गई हैं।
- 2023 में यह संख्या 448 थी।
- 2022 में सबसे अधिक 528 खराबियां सामने आई थीं।
- 2021 में यह संख्या 514 थी (तब आकासा एयर शुरू नहीं हुई थी)।