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Winter Session of Parliament 2021: दिल्ली में ठंड बढ़ेगी पर मुद्दों की गरमाहट होगी संसद में, इन पांच मुद्दों पर घिर सकती है सरकार

Pratibha Jyoti प्रतिभा ज्योति
Updated Sat, 27 Nov 2021 04:25 PM IST
सार
सरकार कई विधेयकों के साथ संसद के शीतकालीन सत्र के लिए तैयार है। बताया जा रहा है कि सरकार के लिए यह सत्र व्यस्त रहने वाला है, बशर्ते विपक्ष संसद चलने दे। संसद का मानसून सत्र विवादास्पद कृषि कानूनों के साथ साथ दूसरे कई मुद्दों को लेकर विपक्ष के शोर-शराबे और हंगामे की बलि चढ़ गया था। 
 
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parliament winter session 2021 parliament session is set to be uproar, government will bring many bills including farm Laws repeal bill
Parliament Winter Session 2021: विपक्ष के निशाने पर होगी सरकार - फोटो : PTI

विस्तार
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दिल्ली में ठंड बढ़ने लगी है और इसी के साथ तीन कृषि कानून वापस लिए की घोषणा और किसान आंदोलन के जारी रहने के बीच 29 नवंबर यानी सोमवार से संसद का शीतकालीन सत्र शुरू हो रहा है। जहां एक तरफ सरकार कई विधेयक लाकर कामकाज को आगे बढ़ाना चाहती हैं, वहीं विपक्ष कई मुद्दों पर सरकार को घेरने के लिए पूरी तरह तैयार है। सबसे ज्यादा तैयारी के साथ कांग्रेस है, जो 15-16 मुद्दों के साथ सरकार पर हमलावर होगी। इसी सिलसिले में 25 नवंबर को कांग्रेस अध्यक्ष सोनिया गांधी के आवास पर कांग्रेस संसदीय रणनीति समूह की बैठक हुई।


वहीं तृणमूल कांग्रेस, शिवसेना और एनसीपी ने भी सरकार की चौतरफा घेरेबंदी की योजना बना ली है। राज्यसभा में सदन के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने मीडिया को बताया कि हम महंगाई, किसानों आंदोलन, बेरोजगारी समेत 15 से 16 मुद्दे सदन में उठाएंगे। खड़गे ने कहा कि हम संसद में इन मुद्दों पर विपक्षी दलों को एक साथ लाने के लिए अपने प्रयासों के तहत विभिन्न दलों के नेताओं को बुलाएंगे। टीएमसी बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाए जाने और त्रिपुरा में अपने कार्यकर्ताओं पर हुई हिंसा का मुद्दा उठा सकती है। कांग्रेस से टीएमसी में शामिल हुई और राज्यसभा के लिए चुनी गईं सुष्मिता देव ने कुछ समय पहले अमर उजाला डिजिटल को बताया था कि वे सदन में विपक्ष की आवाज बनेंगी और राष्ट्रीय मुद्दों को उठाएंगी।   


इन वजहों से यह सत्र हंगामेदार होने वाला है।

1.तीनों कृषि कानून देर से वापस लिए जाने पर उठेंगे सवाल  

प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 19 नवंबर को सबको चौंकाते हुए तीनों विवादस्पद कृषि कानूनों को रद्द करने की घोषणा की जिसकी मांग लेकर पिछले एक साल से किसान आंदोलन पर बैठे थे। पीएम ने किसानों से आंदोलन को खत्म करने और अपने घर लौटने की अपील भी की। लेकिन किसानों ने अब तक आंदोलन वापस नहीं लिया है और वे एमएसपी पर गारंटी कानून बनाने की मांग कर रहे हैं। किसान संगठनों का साफ कहना है कि वे एमएसपी पर कानून बनने के बाद ही घर लौटेंगे।

किसान महापंचायत में राकेश टिकैत
किसान महापंचायत में राकेश टिकैत - फोटो : अमर उजाला
किसान संगठनों का दावा है कि आंदोलन के दौरान करीब 700 किसान शहीद हुए हैं। विपक्षी दलों का कहना है कि सरकार चाहती तो यह कानून पहले ही वापस ले सकती थी। इससे शहीद होने वाले किसानों की जान बचाई जा सकती थी। लिहाजा माना जा रहा है कि कृषि कानून न केवल सत्र के फोकस में होगा बल्कि इस पर सबसे ज्यादा हंगामा हो सकता है। विपक्ष ने लखीमपुर खीरी हिंसा का मुद्दा भी जोरदार तरीके से उठाने की योजना बनाई है। 

पेगासस जासूसी कांड का मुद्दा भी उठ सकता है
कृषि कानूनों को वापस लेने के मुद्दे के अलावा, पेगासस स्पाइवेयर का मुद्दा भी उठ सकता है। इसी मुद्दे ने संसद के मानसून सत्र को हिलाकर रख दिया था। संसद के दोनों सदनों में इस मुद्दे पर अभूतपूर्व विरोध हुआ था। इस मुद्दे पर केंद्र बैकफुट पर है। विपक्ष का आरोप है कि सरकार ने इजरायल के स्पाइवेयर पेगासस की मदद से राजनेताओं, पत्रकारों और अन्य लोगों पर जासूसी की।

विपक्ष के इन आरोपों की जांच के लिए सुप्रीम कोर्ट ने अक्टूबर में एक स्वतंत्र विशेषज्ञ तकनीकी समिति नियुक्त की है। आदेश पारित करते हुए, शीर्ष अदालत ने कहा था,  “लोकतांत्रिक समाज के सदस्यों की गोपनीयता को लेकर चिंता उचित है। नागरिकों को निजता के उल्लंघन से बचाने की जरूरत है।"

जयराम रमेश, नेता, कांग्रेस
जयराम रमेश, नेता, कांग्रेस - फोटो : self
डेटा संरक्षण विधेयक भी सरकार के लिए एक सिरदर्द  
माना जा रहा है कि यदि सरकार इन दोनों तूफानी मुद्दों से निबट लेती है और विपक्ष को संतोषजनक जवाब मिल जाता है तो इस बात की गारंटी नहीं कि सरकार डेटा संरक्षण विधेयक पर विपक्ष को शांत करा पाएगी। इस विधेयक को संसद के आगामी सत्र में भी पेश किया जाना है। विधेयक को लेकर पहले ही कांग्रेस नेताओं जयराम रमेश, गौरव गोगोई और मनीष तिवारी के साथ-साथ टीएमसी नेता महुआ मोइत्रा और डेरेक ओ ब्रायन ने विधेयक पर असंतोष जताते हुए अपने नोट जमा कर दिए हैं।

बताया जा रहा है कि इन नेताओं की मुख्य आपत्ति विधेयक की धारा 35 को लेकर है जो सरकार को संघीय एजेंसियों को डेटा संरक्षण कानून से छूट देने का अधिकार देता है। डेटा संरक्षण विधेयक 2019, व्यक्तियों के व्यक्तिगत डेटा की सुरक्षा प्रदान करने और एक डेटा सुरक्षा प्राधिकरण स्थापित करने के लिए 2019 में संसद में पेश किया गया था। विपक्षी सदस्यों की मांग पर विस्तृत चर्चा के लिए इसे संयुक्त समिति के पास भेजा गया था।

पीएम मोदी के साथ ममता बनर्जी।
पीएम मोदी के साथ ममता बनर्जी। - फोटो : ANI
बीएसएफ का अधिकार क्षेत्र बढ़ाने का मुद्दा
पांच राज्यों में सीमा सुरक्षा बल का दायरा बढ़ाकर 50 किलोमीटर तक किए जाने के केंद्र के फैसले के खिलाफ भी विपक्ष ने सरकार को घेरने की योजना बनाई है। केंद्र सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा विरोध पश्चिम बंगाल और पंजाब में किया जा रहा है। पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी और पंजाब के मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी का कहना है कि बीएसएफ का दायरा बढ़ाया जाना संघीय ढांचे में दखल देने का प्रयास है। पंजाब और पश्चिम बंगाल विधानसभा ने केंद्र सरकार के फैसले को रद्द कर दिया है।

इसी सप्ताह दिल्ली दौरे पर आईं ममता बनर्जी ने पीएम नरेंद्र मोदी से मुलाकात के दौरान भी यह मुद्दा उठाया है। विपक्ष ने हाल ही में जांच के लिए बीएसएफ के अधिकार क्षेत्र को बढाने वाले नियम की समीक्षा के लिए संसद की गृह मामलों की समिति में "सीमा प्रबंधन" विषय को शामिल किया है।

सीबीआई और ईडी निदेशकों के कार्यकाल बढ़ाने पर भी हो सकता है हंगामा 
सरकार ने पिछले रविवार को सीबीआई  और ईडी के निदेशकों का कार्यकाल पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। इसके लिए सरकार दो अध्यादेश  लेकर आई है। अब तक सीबीआई और ईडी दोनों के निदेशकों को दो साल की निश्चित अवधि के लिए नियुक्त किया जाता था। जबकि उनका कार्यकाल समाप्त होने से पहले उन्हें (कुछ अपवादों के साथ) बर्खास्त नहीं किया जा सकता है। सरकार चाहे तो इन निदेशकों को एक विस्तार दिया जा सकता है। माना जा रहा है कि इस मुद्दे को लेकर भी सदन में खूब हंगामा हो सकता है। टीएमसी पहले ही इन अध्यादेशों पर आपत्ति जताते हुए राज्यसभा में वैधानिक प्रस्तावों के लिए नोटिस भेज चुकी है।

टीएमसी के राज्यसभा सांसद डेरेक ओ ब्रायन ने सरकार के इस फैसले के बाद ट्वीट करके अपना इरादा जाहिर कर दिया था। उन्होंने कहा ‘अध्यादेशों से ईडी और सीबीआई निदेशक के कार्यकाल को पांच साल के लिए बढ़ा दिया है। संसद का शीतकालीन सत्र अब से दो सप्ताह बाद शुरू हो रहा है। भारत को एक निर्वाचित निरंकुशता में बदलने से रोकने के लिए विपक्षी दल हर संभव प्रयास करेंगे’। 

 

क्रिप्टोकरेंसी
क्रिप्टोकरेंसी - फोटो : pixabay

संसद के शीतकालीन सत्र में आने वाले प्रमुख विधेयकों पर एक नजर

तीन कृषि कानूनों को निरस्त करने से संबंधित विधेयक 

क्रिप्टोकरेंसी एवं आधिकारिक डिजिटल मुद्रा विनियमन विधेयक 2021 

मादक पदार्थ एवं मन:प्रभावी औषधि संशोधन विधेयक 2021

केंद्रीय सतर्कता आयोग संशोधन विधेयक 2021 

दिल्ली विशेष पुलिस स्थापना संशोधन विधेयक 2021 

बिजली (संशोधन) विधेयक 2021

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