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PM Modi On Vande Mataram: 'जिन्ना की वजह से नेहरू को अपना सिंहासन डोलता दिखा', PM मोदी के संबोधन की बड़ी बातें
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: कीर्तिवर्धन मिश्र
Updated Mon, 08 Dec 2025 02:18 PM IST
सार
Vande Mataram Debate In Parliament: 'वंदे मातरम' के 150 वर्ष पूरे होने के मौके पर संसद में चर्चा हो रही है। लोकसभा में चर्चा की शुरुआत प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की। उन्होंने स्वतंत्रता आंदोलन के कई मौकों का उल्लेख किया। साथ ही विपक्ष को भी घेरा। जानिए उनके संबोधन की अहम बातें...
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संसद के शीत सत्र में वंदे मातरम पर चर्चा में पीएम मोदी ने रखी अपनी बात।
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सोमवार को जब लोकसभा में वंदे मातरम पर चर्चा की शुरुआत की, तो उन्होंने विपक्ष को जमकर घेरा। उन्होंने वंदे मातरम को लेकर मोहम्मद अली जिन्ना के नेतृत्व वाली मुस्लिम लीग के विरोध का जिक्र और तत्कालीन कांग्रेस अध्यक्ष जवाहरलाल नेहरू की भूमिका पर सवाल उठाए। उन्होंने कहा कि 1905 में जो वंदे मातरम महात्मा गांधी को राष्ट्र गान के रूप में दिखता था, फिर भी पिछली सदी में इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ। वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? अन्याय क्यों हुआ? वो कौन-सी ताकत थी, जिसकी इच्छा खुद पूज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ गई? जिसने वंदे मातरम जैसी पवित्र भावना को भी विवादों में घसीटा गया।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि महात्मा गांधी ने 2 दिसंबर 1905 में लिखा था, 'जिस गीत वंदे मातरम को बंकिमचंद्र ने रचा है, वह पूरे बंगाल में लोकप्रिय हो गया है। स्वदेशी आंदोलन में बंगाल में विशाल सभाएं हुईं। लाखों लोगों ने इकट्ठे होकर वंदे मातरम गीत गाया। यह गीत इतना लोकप्रिय हो गया है, जैसा यह हमारा राष्ट्र गान बन गया हो। इसकी भावनाएं महान हैं और यह अन्य राष्ट्रों के गीतों से अधिक मधुर है। इसका एकमात्र उद्देश्य हम में देशभक्ति की भावना जगाना है। यह भारत को मां के रूप में देखता है और उसकी स्तुति देखता है।'
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प्रधानमंत्री ने आगे कहा, ''1905 में जो वंदे मातरम महात्मा गांधी को राष्ट्र गान के रूप में दिखता था, पिछली सदी में उसके इसके साथ इतना बड़ा अन्याय क्यों हुआ? वंदे मातरम के साथ विश्वासघात क्यों हुआ? अन्याय क्यों हुआ? वो कौन-सी ताकत थी, जिसकी इच्छा खुद पूज्य बापू की भावनाओं पर भी भारी पड़ गई? किसने वंदे मातरम जैसी पवित्र भावना को भी विवादों में घसीटा?''
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पढ़िए, उनके संबोधन के मुख्य बिंदु...
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