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Winter Session 2021: क्या 12 सांसदों के निलबंन पर सांसदों के शोर में जनता की आवाज हो जाएगी गुम, विपक्षी दलों का क्या होगा अगला कदम

प्रतिभा ज्योति, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: प्रतिभा ज्योति Updated Fri, 03 Dec 2021 05:04 PM IST
सार
खासतौर पर अगले साल पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर  विपक्ष चाहता है कि कोरोना, प्रदूषण, महंगाई, शहीद किसानों का मुआवजा, एमएसपी और चीन यह ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे है जिस पर सरकार को घेरा जाए। लगभग सभी पार्टियों के नेता यह चाहते हैं कि वे इन मुद्दों को लेकर अपने क्षेत्र की समस्या को संसद में उठाएं।  
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parliament winter session will the voice of the public be lost in the noise of the mpss on the suspension of 12 mpss, what will be the next step of opposition parties
12 सांसदों के निलंबन के खिलाफ प्रदर्शन करते विपक्षी सांसद - फोटो : Amar Ujala

विस्तार
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संसद के शीतकालीन सत्र के दौरान पक्ष और विपक्ष आर-पार की लड़ाई के मूड में आ गया है। एक तरफ विपक्षी दल राज्यसभा के 12 सांसदों के निलंबन का विरोध कर रहे हैं, दूसरी तरफ विपक्ष के विरोध में शुक्रवार को भाजपा सांसद भी उतर आए। संसद परिसर में गांधी प्रतिमा के पास इकट्ठा हुए भाजपा सांसद विपक्ष के विरोध में नारेबाजी करने लगे। 


मानसून सत्र के दौरान संसद में हुए हंगामे और कथित मारपीट के आरोप के कारण सोमवार को शीतकालीन सत्र की शुरुआत होते ही 12 सांसदों पर कार्रवाई की गई थी। इसमें कांग्रेस के छह, टीएमसी व शिवसेना के दो-दो, सीपीआई और सीपीएम के एक-एक सांसद शामिल हैं। विपक्षी पार्टियां इस निलंबन का लगातार विरोध कर रही हैं। 


जनता के मुद्दों पर होगी चर्चा
ऐसे में आशंका जताई जा रहा है कि क्या इस वजह से संसद में जनता के जिन मुद्दों पर चर्चा होनी चाहिए थी वह हो पाएगी या नहीं? प्रदूषण, महंगाई,एमएसपी और चीन यह ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे है जिस पर देश की जनता को यह जानने का हक है कि उनके जनप्रतिनिधि इन मुद्दों पर क्या सोचते हैं और क्या कदम उठाए जा रहे हैं। संसद का शीतकालीन सत्र सोमवार से शुरू हुआ और 23 दिसंबर तक चलेगा।
 

मल्लिका अर्जुन खड़गे
मल्लिका अर्जुन खड़गे - फोटो : ANI
संसद सत्र से पहले रविवार को हुए सर्वदलीय बैठक में विपक्ष ने कृषि कानून, एमएसपी, महंगाई और कोरोना समेत कई मुद्दे उठाए थे। बैठक के बाद राज्यसभा में विपक्ष के नेता मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा कि रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में हुई बैठक में करीब 15 मुद्दे उठाए गए। उन्होंने बताया था कि विपक्षी नेताओं ने बैठक के दौरान कई मुद्दे उठाए और सरकार से इस संबंध में सक्रिय रूप से कुछ करने का आग्रह किया। वहीं लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी ने भी कहा था कि सरकार 26 विधेयक लाई है और विपक्ष 15-20 मुद्दों को उठाना चाहता है और हर चीज के लिए बहुत कम समय है।

क्या है विपक्ष की रणनीति
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक विपक्ष राज्यसभा में सांसदों के निलंबन का विरोध करता रहेगा, लेकिन कोरोना किसानों के लिए मुआवजा, चीन और महंगाई समेत प्रमुख मुद्दों पर चर्चा की मांग करेगा। खासतौर पर अगले साल पांच राज्यों में होने वाले चुनाव के मद्देनजर  विपक्ष चाहता है कि कोरोना,  प्रदूषण, महंगाई, शहीद किसानों का मुआवजा, एमएसपी और चीन यह ऐसे महत्वपूर्ण मुद्दे है इस पर सरकार को घेरा जाए। लगभग सभी पार्टियों के नेता यह चाहते हैं कि वे इन मुद्दों को लेकर अपने क्षेत्र की समस्या को संसद में उठाएं। 

संसद
संसद - फोटो : पीटीआई
सूत्रों ने बताया कि विपक्ष ने 12 सदस्यों के निलंबन के मुद्दे पर अपना विरोध जता दिया है लेकिन अब वॉकआउट करने से बच रही है। एक वरिष्ठ विपक्षी नेता के मुताबिक पूरे सत्र में  हम वॉकआउट करते रहेंगे तो सत्ता पक्ष को यह कहने का मौका मिल जाएगा कि हम चर्चा नहीं चाहते हैं। इसलिए हम अब चर्चाओं में भाग ले रहे हैं। गुरुवार को डैम सेफ्टी बिल पर सबने राज्यसभा में चर्चा में भाग लिया। लंबी चर्चा के बाद वोटिंग की गई, जिसके बाद इस विधेयक को पास किया गया।

लोकसभा में कोरोना पर गुरुवार को देर रात तक चर्चा चली। उन्होंने कहा हम सरकार को चर्चा से भागने नहीं देंगे। हम तो तीनों कृषि कानूनों की वापसी वाले विधेयक पर भी चर्चा चाहते थे लेकिन सरकार ने विधेयक को आनन-फानन में पारित करा लिया। हालांकि विपक्ष के सभी सांसदों ने यह तय किया है कि अपना भाषण देने के बाद सभी सांसद अपनी बात इस बात से समाप्त करेंगे कि 12 सांसदों का निलंबन गलत तरीके से हुआ है और उन्हें वापस लिया जाए।

सरकार पर विपक्ष हमलावर (फाइल फोटो)
सरकार पर विपक्ष हमलावर (फाइल फोटो) - फोटो : ANI
सरकार के खिलाफ महंगाई सबसे बड़ा मुद्दा 
वाम दल के एक वरिष्ठ नेता ने कहा यह मत समझिए कि तीनों कृषि कानून वापस हो गए तो हमारे पास बात करने के लिए कुछ भी नहीं है। महंगाई हमारा मुख्य मुद्दा है क्योंकि यह सभी वर्गों के लोगों के जीवन को प्रभावित कर रहा है। सीएए और एनआरसी के अलावा एलपीजी सिलेंडर, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में तेज वृद्धि जैसे मामलों को भी उठाया जाएगा। 

सत्ता पक्ष के सदस्य कुछ और सोचते हैं
भाजपा के एक राज्यसभा सांसद ने कहा तीन कृषि कानून बिना चर्चा के लाए गए थे, उसी तरह  उन्हें बिना किसी भी तरह की चर्चा के निरस्त कर दिया गया है। विपक्ष ने इसे लेकर शोर मचाने की कोशिश की, लेकिन वास्तव में इन तीन कानूनों को रद्द करने में पांच मिनट लग गए। ऐसे में विपक्ष के पास सरकार के खिलाफ कोई ऐसा मुद्दा नहीं है जिस पर वे बात कर सकते हैं।

एमएसपी पर बात करने से बचना चाहती है सरकार
सरकार संसद में एमएसपी पर बात करने से बचना चाहती है। इसले किसी भी सांसद को एमएसपी पर प्राइवटे मेंबर बिल भी लाने की इजाजत नहीं दी गई। इसके पीछे तर्क यह दिया जा रहा है कि एमएसपी और अन्य मुद्दों पर चर्चा के लिए एक समिति गठित करने के लिए केंद्र ने संयुक्त किसान मोर्चा से पांच नाम मांगे हैं। इस बारे में किसान नेताओं की चार दिसंबर को बैठक होनी है। जब इस पर कोई नतीजा निकलेगा तो सदन को इस बारे में बता दिया जाएगा। 
 
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