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Auroville Foundation: 'ऑरोविल को मिले राष्ट्रीय महत्व के संस्थान का दर्जा', संसद समिति ने सरकार से की सिफारिश
ब्यूरो, नई दिल्ली।
Published by: निर्मल कांत
Updated Mon, 22 Dec 2025 04:42 AM IST
सार
Auroville Foundation: संसद की स्थायी समिति ने सरकार से पुडुचेरी के ऑरोविल फाउंडेशन को राष्ट्रीय महत्व का संस्थान घोषित करने की सिफारिश की है। समिति ने इसके लिए 1988 के ऑरोविल फाउंडेशन अधिनियम में संशोधन करने पर विचार करने को कहा है।
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संसद की फाइल तस्वीर
- फोटो : अमर उजाला प्रिंट
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विस्तार
संसद की एक स्थायी समिति ने सरकार को पुडुचेरी स्थित ऑरोविल फाउंडेशन को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता देने की सिफारिश की है। कांग्रेस सांसद दिग्विजय सिंह की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति ने पिछले सप्ताह संसद में पेश की अपनी रिपोर्ट में कहा कि सरकार ऑरोविल फाउंडेशन अधिनियम, 1988 में संशोधन करने पर विचार करे, ताकि ऑरोविल को राष्ट्रीय महत्व के संस्थान के रूप में मान्यता दी जा सके।
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समिति ने यह भी कहा कि यूनेस्को ने 1966 से इस परियोजना के समर्थन में कई प्रस्ताव पारित किए हैं और अंतरराष्ट्रीय समझ व शांति को बढ़ावा देने में इसके योगदान को मान्यता दी है। भारत में राष्ट्रीय महत्व का संस्थान (आईएनआई) एक प्रमुख उच्च शिक्षा निकाय होता है, जिसे संसद के एक अधिनियम द्वारा ऐसा घोषित किया जाता है। ऐसे संस्थान कुशल पेशेवरों को तैयार करने और इंजीनियरिंग (आईआईटी, एनआईटी), चिकित्सा (एम्स) और प्रबंधन (आईआईएम) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में राष्ट्रीय विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि फाउंडेशन अपनी आय स्वयं भी उत्पन्न करता है, लेकिन सरकारी अनुदान अब भी इसके संचालन और परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
समिति का मानना है कि वार्षिक अनुदान के बजाय, फाउंडेशन को भविष्य में स्वयं को बनाए रखने के लिए पर्याप्त राशि प्रदान की जानी चाहिए।
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समिति ने यह भी कहा कि यूनेस्को ने 1966 से इस परियोजना के समर्थन में कई प्रस्ताव पारित किए हैं और अंतरराष्ट्रीय समझ व शांति को बढ़ावा देने में इसके योगदान को मान्यता दी है। भारत में राष्ट्रीय महत्व का संस्थान (आईएनआई) एक प्रमुख उच्च शिक्षा निकाय होता है, जिसे संसद के एक अधिनियम द्वारा ऐसा घोषित किया जाता है। ऐसे संस्थान कुशल पेशेवरों को तैयार करने और इंजीनियरिंग (आईआईटी, एनआईटी), चिकित्सा (एम्स) और प्रबंधन (आईआईएम) जैसे प्रमुख क्षेत्रों में राष्ट्रीय विकास को गति देने के लिए महत्वपूर्ण हैं। रिपोर्ट में कहा गया कि फाउंडेशन अपनी आय स्वयं भी उत्पन्न करता है, लेकिन सरकारी अनुदान अब भी इसके संचालन और परियोजनाओं के लिए वित्त पोषण का एक महत्वपूर्ण स्रोत है।
समिति का मानना है कि वार्षिक अनुदान के बजाय, फाउंडेशन को भविष्य में स्वयं को बनाए रखने के लिए पर्याप्त राशि प्रदान की जानी चाहिए।
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