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Aravalli Controversy: Political turmoil over Aravalli intensifies in Rajasthan, Ashok Gehlot enraged!
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Aravalli Controversy:राजस्थान में अरावली पर सियासी घमासान हुआ तेज, भड़के अशोक गहलोत!
वीडियो डेस्क, अमर उजाला डॉट कॉम Published by: भास्कर तिवारी Updated Mon, 22 Dec 2025 06:45 AM IST
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दुनिया की सबसे प्राचीन पर्वत श्रृंखलाओं में शामिल अरावली आज सबसे बड़े संकट में क्यों है? क्या विकास के नाम पर उत्तर भारत की प्राकृतिक सुरक्षा दीवार को कमजोर किया जा रहा है? सुप्रीम कोर्ट की नई परिभाषा से आखिर अरावली का कितना हिस्सा कानूनी संरक्षण से बाहर चला गया है? क्या 100 मीटर की सीमा तय करना विज्ञान है या सुविधा? अगर अरावली की छोटी पहाड़ियां खत्म हुईं, तो दिल्ली, हरियाणा और राजस्थान पर इसका क्या असर पड़ेगा पानी, खेती और मौसम पर?
राजस्थान में अरावली पर्वतमाला को लेकर वर्तमान में चल रहा सियासी घमासान मुख्य रूप से सुप्रीम कोर्ट के हालिया फैसले (20 नवंबर 2024/2025) और अरावली की नई परिभाषा को लेकर है। इस विवाद के केंद्र में केंद्र सरकार द्वारा सुझाई गई वह परिभाषा है जिसे कोर्ट ने स्वीकार किया है, जिसके तहत केवल 100 मीटर से अधिक ऊंचाई वाली पहाड़ियों को ही 'अरावली' माना जाएगा। विपक्ष और पर्यावरणविदों का आरोप है कि इस परिभाषा के कारण राजस्थान की लगभग 90% अरावली पहाड़ियां कानूनी संरक्षण के दायरे से बाहर हो जाएंगी, जिससे खनन माफियाओं और रियल एस्टेट लॉबी के लिए रास्ते खुल जाएंगे।
पूर्व मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और कांग्रेस के अन्य नेताओं ने इसे अरावली के लिए "डेथ वारंट" बताया है। उनका तर्क है कि अरावली एक निरंतर श्रृंखला है और छोटी पहाड़ियों को इससे अलग करना पारिस्थितिकी तंत्र (Ecosystem) को नष्ट कर देगा। कांग्रेस ने इसके खिलाफ 'Save Aravalli' सोशल मीडिया कैंपेन और 'मौन सत्याग्रह' जैसे विरोध प्रदर्शन शुरू कर दिए हैं।
सत्ताधारी भाजपा का कहना है कि यह निर्णय सुप्रीम कोर्ट का है और इसका उद्देश्य अरावली की सीमाओं को लेकर लंबे समय से चली आ रही अस्पष्टता को खत्म करना है। सरकार के अनुसार, एक स्पष्ट परिभाषा से सस्टेनेबल माइनिंग (सतत खनन) को बढ़ावा मिलेगा और अवैध खनन पर अंकुश लगेगा। हालाँकि, भारी विरोध को देखते हुए राज्य सरकार ने इस फैसले की समीक्षा करने की बात भी कही है।
भूवैज्ञानिकों और कार्यकर्ताओं का मानना है कि यदि 100 मीटर से नीचे की पहाड़ियों पर खनन की छूट मिली, तो थार मरुस्थल का विस्तार हरियाणा और दिल्ली की ओर तेजी से होगा। अरावली राजस्थान के लिए एक 'प्राकृतिक दीवार' की तरह काम करती है जो धूल भरी आंधियों को रोकती है और भूजल स्तर को बनाए रखती है।
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