हरियाणा में बीजेपी सरकार के खिलाफ कांग्रेस का अविश्वास प्रस्ताव विपक्ष के वॉकआउट के चलते ध्वनि मत से खारिज हुआ और सदन में सियासी टकराव देखने को मिला। ऐसा इस लिए क्योंकि विपक्षी पार्टी के विधायकों ने राज्य विधानसभा से वॉकआउट कर दिया था। विपक्ष के नेता भूपिंदर सिंह हुड्डा के नेतृत्व में कांग्रेस सदस्यों ने आरोप लगाया कि मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने उनके प्रस्ताव में उठाए गए विभिन्न मुद्दों पर संतोषजनक जवाब नहीं दिया। सैनी ने कहा कि फरवरी 2024 में भी कांग्रेस ने अविश्वास प्रस्ताव लाने के बाद वॉकआउट किया था। मुख्यमंत्री ने विधानसभा में कहा कि वे आरोप लगाते हैं और फिर भाग जाते हैं। कांग्रेस विधायकों की गैरमौजूदगी में, स्पीकर ने प्रस्ताव पर वोटिंग करवाई, जिसे पांच घंटे की बहस के बाद खारिज कर दिया गया, जो रात 10.15 बजे तक चली। शीतकालीन सत्र के दूसरे दिन जमकर हंगामा हुआ। कांग्रेस के अविश्वास प्रस्ताव पर रात तक सदन में चर्चा जारी रही। सदन की कार्यवाही को एक घंटे के लिए बढ़ाया गया। इससे पहले विधानसभा में वंदे मातरम पर जमकर बहस के बाद दोनों तरफ से नारेबाजी हुई। मुख्यमंत्री बोले वंदे मातरम पवित्र चीज है तो इससे अन्य मुद्दों को नहीं जोड़ा जाना चाहिए। भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने कहा कि वंदे मातरम तो मेरे दादा ने भी कहा था। कांग्रेस एमएलए आदित्य सुरजेवाला ने कहा कि वंदे मातरम की कुछ पंक्तियों का संदर्भ देकर प्रदूषण और महिलाओं के मुद्दे पर बात करनी शुरू की थी, जिसके बाद सदन में बहस शुरू हुई। अनिल विज ने भी कहा कि वंदे मातरम से किसी और अन्य मुद्दे को नहीं जोड़ना चाहिए। कांग्रेस ने सैनी सरकार के खिलाफ जो अविश्वास प्रस्ताव दिया उस पर नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा के हस्ताक्षर नहीं थे। मुख्यमंत्री नायब सिंह सैनी ने प्रश्नकाल के बाद यह खुलासा करते हुए कहा, कांग्रेस को हुड्डा पर यकीन नहीं, देश की जनता को कांग्रेस पर नहीं। इस पर कांग्रेस विधायकों ने हंगामा शुरू कर दिया। प्रश्नकाल खत्म होते ही मुख्यमंत्री ने कहा, विपक्ष सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव लेकर आ रहा है लेकिन यह परंपरा के अनुरूप नहीं है। मैंने नेता प्रतिपक्ष भूपेंद्र सिंह हुड्डा का स्वागत किया। उन्होंने भी भावपूर्ण ढंग से कहा, आज तक मैंने कभी नहीं देखा कि किसी विपक्ष के नेता का इस प्रकार स्वागत हुआ हो मगर दो घंटे बाद ही कांग्रेस सरकार के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव ले आई। सीएम ने कहा, जब उन्होंने अविश्वास प्रस्ताव की कॉपी मंगवाई तो उसमें भूपेंद्र सिंह हुड्डा के ही हस्ताक्षर नहीं थे। मैंने सोचा कि मेरी नजदीक की नजर ठीक नहीं है तो चश्मा साफ किया और दोबारा देखा तो उसमें विपक्ष के नेता के हस्ताक्षर ही नहीं मिले।