संसद के शीतकालीन सत्र में जहां एक ओर केंद्र सरकार और विपक्ष के बीच तीखी नोंक-झोंक देखने को मिल रही है, वहीं दूसरी ओर सियासत की गर्माहट के बीच कभी-कभी हल्के-फुल्के पल भी सामने आ जाते हैं। वंदे मातरम, मनरेगा का नाम बदले जाने और विभिन्न नीतिगत मुद्दों पर सदन के भीतर और बाहर सियासी घमासान जारी है। इसी माहौल के बीच बुधवार को केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) के सांसद कल्याण बनर्जी के बीच हुआ एक मजाकिया संवाद चर्चा का विषय बन गया।
यह वाकया संसद परिसर में उस वक्त सामने आया, जब टीएमसी सांसद कल्याण बनर्जी पश्चिम बंगाल में चल रही गहन मतदाता पुनरीक्षण (SIR) प्रक्रिया को लेकर नितिन गडकरी से मजाक करते नजर आए। न्यूज एजेंसी एएनआई द्वारा जारी वीडियो में दिखता है कि कल्याण बनर्जी ‘घुसपैठिया’ के मुद्दे को लेकर गडकरी से कहते हैं- “घुसपैठियों को बाहर फेंक देंगे, एक भी मिला क्या?” इस पर केंद्रीय मंत्री नितिन गडकरी मुस्कुरा देते हैं और बिना किसी तीखी प्रतिक्रिया के आगे बढ़ जाते हैं।
हालांकि मामला यहीं नहीं रुकता। कल्याण बनर्जी गडकरी को हल्के से रोकते हैं और उनके कान में कुछ कहते हुए नजर आते हैं। इस पर भी गडकरी मुस्कुराते रहते हैं और अपनी कार की ओर बढ़ जाते हैं। माहौल पूरी तरह अनौपचारिक और सहज नजर आता है, जो मौजूदा सियासी तनाव के बीच एक अलग तस्वीर पेश करता है।
इसी दौरान नितिन गडकरी अपनी कार की ओर इशारा करते हुए बताते हैं कि यह हाइड्रोजन से चलने वाली कार है। गडकरी की इस बात पर कल्याण बनर्जी चुटकी लेने से खुद को रोक नहीं पाते। वह हंसते हुए कहते हैं- “आप क्या करेंगे, इतना लेकर? एक-दो हमारे पास भी भेज दीजिए।” इतना ही नहीं, बनर्जी मजाक में आगे जोड़ते हैं- “जो आप अपने नौकर-वौकर के पास भेजते हैं ना, वो हमारे पास भेज दीजिए।”
कल्याण बनर्जी के इस बयान पर वहां मौजूद अन्य सांसद भी हंस पड़ते हैं और कुछ पलों के लिए सियासत की तल्खी मुस्कान में बदल जाती है।
हालांकि, इस हल्के-फुल्के संवाद के पीछे एक गंभीर राजनीतिक पृष्ठभूमि भी है। पश्चिम बंगाल में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनाव से पहले चुनाव आयोग ने राज्य में SIR प्रक्रिया शुरू की है। इस प्रक्रिया को लेकर टीएमसी लगातार सवाल उठा रही है और इसे राजनीतिक रूप से प्रेरित बता रही है।
आंकड़ों के मुताबिक, पश्चिम बंगाल में अब तक 58 लाख लोगों के नाम मतदाता सूची से हटाए जा चुके हैं। 27 अक्टूबर तक राज्य के 7.66 करोड़ मतदाताओं में से केवल 7.08 करोड़ मतदाता ही मसौदा मतदाता सूची में शामिल किए गए थे। इसी मुद्दे पर विपक्ष लगातार चुनाव आयोग और केंद्र सरकार पर निशाना साध रहा है।
इस तरह संसद के शीतकालीन सत्र में जहां एक ओर सियासी टकराव चरम पर है, वहीं गडकरी और कल्याण बनर्जी का यह मजाकिया संवाद यह दिखाता है कि राजनीति के बीच कभी-कभी इंसानी और हल्के पल भी अपनी जगह बना लेते हैं।
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