{"_id":"60f1958c87cc6a6c5d740753","slug":"parts-of-the-amazon-rainforest-release-410-million-metric-tons-of-carbon-dioxide-every-year","type":"story","status":"publish","title_hn":"जलवायु संकट: अमेजन के वर्षावन का कुछ हिस्सा हर साल छोड़ रहा 410 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड","category":{"title":"India News","title_hn":"देश","slug":"india-news"}}
जलवायु संकट: अमेजन के वर्षावन का कुछ हिस्सा हर साल छोड़ रहा 410 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली,
Published by: प्रतिभा ज्योति
Updated Fri, 16 Jul 2021 10:02 PM IST
सार
एक नए अध्ययन के मुताबिक अमेजन वर्षावन के कुछ हिस्से कार्बन डाईऑक्साइड सोख कर हवा को शुद्ध करने की तुलना में अधिक कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ रहे हैं। जिससे नाजुक पारिस्थितिक तंत्र पर विनाशकारी प्रभाव पड़ रहा है और जलवायु संकट के और बिगड़ने की आशंका बढ़ रही है।
विज्ञापन
अमेजन का जंगल (प्रतीकात्मक तस्वीर)
- फोटो : Social media
विज्ञापन
विस्तार
वैज्ञानिक पत्रिका नेचर में बुधवार को प्रकाशित शोध में कहा गया है कि कार्बन सिंक के रूप में अमेजन की महत्वपूर्ण भूमिका है। वे वातावरण से भारी मात्रा में गर्मी पैदा करने वाले कार्बन डाईऑक्साइड को सोख कर पृथ्वी को ठंडा रखने में मदद करते हैं लेकिन अब यहां खतरा पैदा हो रहा है। अध्ययन के मुताबिक कार्बन सिंक में गिरावट हो रही है। पिछले 40 वर्षों में, पश्चिमी भाग की तुलना में पूर्वी अमेज़ोनिया में खासतौर पर शुष्क मौसम के दौरान अधिक वनों की कटाई होने, गर्मी और नमी के कारण ऐसा हो रहा है।
इंसान ही लगाते हैं आग
अमेजन में करीब चार मुख्य स्थानों पर वातावरण में कितना कार्बन डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड है, इसका डेटा एकत्र करने के लिए ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने नौ सालों तक 600 उड़ानें भरी. उन्होंने पाया कि ये चारों स्थान मिलकर हर साल 410 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ रहे हैं जो मुख्य रूप से बड़ी आग के कारण होता है। ये आग अक्सर इंसान ही लगाते हैं।
पत्रिका ने अपने बयान में कहा कि वनों की कटाई, भूमि जलने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ये ऐसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे क्षेत्र के कार्बन संतुलन और इसके पारिस्थितिक तंत्र की नाजुकता दोनों के लिए स्थायी, नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। अमेजन इस धरती पर सबसे बड़ा वर्षावन है। इसका पर्यावरण जटिल रूप से इसके पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन से जुड़ा हुआ है, जो अनगिनत जीवों और वनस्पतियों की प्रजातियों का घर है।
जंगल ने खो दिया अपना 17 फीसदी हिस्सा
जब वर्षावन स्वस्थ होता है, तो इसके पेड़ और पौधे हर साल वायुमंडल से अरबों टन गर्मी पैदा करने वाले कार्बन डाईऑक्साइड खींचते हैं, जिससे साफ हवा मिल पाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक तापमान और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करते हुए, इसका विशाल पेड़ कोनोपी धरती के लिए "एयर कंडीशनर" के रूप में कार्य करता है। लेकिन पिछले 40 से 50 सालों में, मानव प्रभावों के कारण वर्षावन में जबरदस्त और विघटनकारी परिवर्तन आया है।
इसने अपने जंगल का 17% हिस्सा खो दिया है, और अधिकांश को खेती और पशुधन के लिए कृषि भूमि में बदल दिया गया है। जिससे तापमान में वृद्धि हुई है और पानी का वाष्पीकरण कम हो गया है, जिसका अर्थ है कम वर्षा। अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ ये कारक तापमान में लगातार वृद्धि कर रहे हैं और ये परिवर्तन तेजी से हो रहा है।
वनों की कटाई से भूमि भी आग की चपेट में
वनों की कटाई ने भूमि को भी आग की चपेट में ले लिया है। पर्यावरण संगठनों और शोधकर्ताओं के अनुसार, जंगल को ज्यादातर नुकसान इंसानों की वजह से पहुंच रहा है। शुष्क मौसम के दौरान भी, अमेजन में आसानी से आग नहीं लगती है। लेकिन किसान और पशुपालक जमीन को खाली करने और उसका इस्तेमाल करने के लिए आग लगा देते हैं।
हालांकि 2019 की आग कम हो गई है, फिर भी यह वर्षावन खतरे में है। यहां 2020 में वनों की कटाई में वृद्धि देखी गई, जिससे अमेजन के कुछ हिस्से सूखे से झुलस गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्षेत्र अब की तुलना में शायद ही कभी ऐसा सूखा रहा हो, और इससे एक विनाशकारी आग लगने का खतरा फिर मंडराने लगा है।
Trending Videos
इंसान ही लगाते हैं आग
अमेजन में करीब चार मुख्य स्थानों पर वातावरण में कितना कार्बन डाईऑक्साइड और कार्बन मोनोऑक्साइड है, इसका डेटा एकत्र करने के लिए ब्राजील के नेशनल इंस्टीट्यूट फॉर स्पेस रिसर्च के नेतृत्व में शोधकर्ताओं ने नौ सालों तक 600 उड़ानें भरी. उन्होंने पाया कि ये चारों स्थान मिलकर हर साल 410 मिलियन मीट्रिक टन कार्बन डाईऑक्साइड छोड़ रहे हैं जो मुख्य रूप से बड़ी आग के कारण होता है। ये आग अक्सर इंसान ही लगाते हैं।
विज्ञापन
विज्ञापन
पत्रिका ने अपने बयान में कहा कि वनों की कटाई, भूमि जलने और जलवायु परिवर्तन के प्रभाव ये ऐसे नुकसान पहुंचा रहे हैं। इससे क्षेत्र के कार्बन संतुलन और इसके पारिस्थितिक तंत्र की नाजुकता दोनों के लिए स्थायी, नकारात्मक परिणाम हो सकते हैं। अमेजन इस धरती पर सबसे बड़ा वर्षावन है। इसका पर्यावरण जटिल रूप से इसके पारिस्थितिक तंत्र के संतुलन से जुड़ा हुआ है, जो अनगिनत जीवों और वनस्पतियों की प्रजातियों का घर है।
जंगल ने खो दिया अपना 17 फीसदी हिस्सा
जब वर्षावन स्वस्थ होता है, तो इसके पेड़ और पौधे हर साल वायुमंडल से अरबों टन गर्मी पैदा करने वाले कार्बन डाईऑक्साइड खींचते हैं, जिससे साफ हवा मिल पाती है। वैज्ञानिकों का कहना है कि वैश्विक तापमान और वर्षा के पैटर्न को प्रभावित करते हुए, इसका विशाल पेड़ कोनोपी धरती के लिए "एयर कंडीशनर" के रूप में कार्य करता है। लेकिन पिछले 40 से 50 सालों में, मानव प्रभावों के कारण वर्षावन में जबरदस्त और विघटनकारी परिवर्तन आया है।
इसने अपने जंगल का 17% हिस्सा खो दिया है, और अधिकांश को खेती और पशुधन के लिए कृषि भूमि में बदल दिया गया है। जिससे तापमान में वृद्धि हुई है और पानी का वाष्पीकरण कम हो गया है, जिसका अर्थ है कम वर्षा। अध्ययन में कहा गया है कि वैश्विक जलवायु परिवर्तन के साथ-साथ ये कारक तापमान में लगातार वृद्धि कर रहे हैं और ये परिवर्तन तेजी से हो रहा है।
वनों की कटाई से भूमि भी आग की चपेट में
वनों की कटाई ने भूमि को भी आग की चपेट में ले लिया है। पर्यावरण संगठनों और शोधकर्ताओं के अनुसार, जंगल को ज्यादातर नुकसान इंसानों की वजह से पहुंच रहा है। शुष्क मौसम के दौरान भी, अमेजन में आसानी से आग नहीं लगती है। लेकिन किसान और पशुपालक जमीन को खाली करने और उसका इस्तेमाल करने के लिए आग लगा देते हैं।
हालांकि 2019 की आग कम हो गई है, फिर भी यह वर्षावन खतरे में है। यहां 2020 में वनों की कटाई में वृद्धि देखी गई, जिससे अमेजन के कुछ हिस्से सूखे से झुलस गए हैं। विशेषज्ञों का कहना है कि यह क्षेत्र अब की तुलना में शायद ही कभी ऐसा सूखा रहा हो, और इससे एक विनाशकारी आग लगने का खतरा फिर मंडराने लगा है।