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Supreme Court: 'उच्च न्यायालयों में काफी आपराधिक अपीलें लंबित..', शीर्ष कोर्ट ने छह दोषियों की सजा पर रोक लगाई

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली। Published by: निर्मल कांत Updated Thu, 11 Sep 2025 05:10 PM IST
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सार

Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट ने छह दोषियों की तीन साल की सजा पर यह कहते हुए रोक लगाई कि उच्च न्यायालय में उनकी अपील लंबित है और जल्द सुनवाई संभव नहीं है। कोर्ट ने कहा कि अपील पर सुनवाई के बिना पूरी सजा कटवाने से न्याय में चूक हो सकती है।

'Pendency of criminal appeals in HCs quite high': SC suspends sentence of 6
सुप्रीम कोर्ट - फोटो : एएनआई (फाइल)
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने छह दोषियों की तीन साल की सजा पर यह कहते हुए रोक लगा दी कि उच्च न्यायालयों में आपराधिक अपीलें बहुत ज्यादा लंबित हैं और उन पर निकट भविष्य में सुनवाई होती नजर नहीं आती है। जस्टिस दीपांकर दत्ता और जस्टिस विजय बिश्नोई की बेंच ने गौर किया कि इन छह दोषियों ने अपनी सजा के खिलाफ छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय में अपील दायर की थी और यह मामला अभी भी लंबित है। 
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बेंच ने अपने 10 सितंबर के आदेश में कहा, अपील का अधिकार एक वैधानिक अधिकार है। अपीलकर्ता इस समय हिरासत में हैं। हर उच्च न्यायालय में आपराधिक अपीलें काफी संख्या में लंबित हैं। अपील पर जल्द सुनवाई होती नजर नहीं आ रही है। शीर्ष कोर्ट ने कहा कि अगर दोषियों को बिना उनकी अपील सुने ही पूरी सजा काटनी पड़े, तो यह न्याय के साथ अन्याय करने जैसा होगा। इसे न्याय में चूक माना जा सकता है।
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कोर्ट ने कहा, ऐसा लगता है कि यह महत्वपूर्ण पहलू उच्च न्यायालय ने ध्यान में नहीं रखा। इसी कारण हम सजा पर रोक लगाने और अपीलकर्ताओं को हिरासत से रिहा करने के पक्ष में हैं। यह आदेश उच्च न्यायालय के मार्च 2025 में दिए गए उस फैसले के खिलाफ अपील पर आया, जिसमें उच्च न्यायालय ने उनकी सजा पर रोक लगाने से इनकार कर दिया था। इस मामले में दोषियों पर जुर्माना भी लगाया गया था। इन छह में से दो दोषियों को बच्चों के यौन शोषण से संबंधित कानून पॉक्सो अधिनियम, 2012 के तहत भी दोषी ठहराया गया था।

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सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि दोषियों ने अपनी सजा को उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी, लेकिन पूरी कोशिश के बावजूद अभी तक उनकी अपील पर कोई अंतिम निर्णय नहीं हो पाया है। कोर्ट ने आदेश दिया कि उन्हें जमानत पर रिहा किया जाए, जो निचली अदालत द्वारा तय की गई शर्तों और जमानत बॉन्ड के अनुसार होगी।

सुप्रीम कोर्ट ने अपील को मंजूरी देते हुए उच्च न्यायालय को निर्देश दिया कि वह अपील की सुनवाई जल्द से जल्द पूरी करे। साथ ही कोर्ट ने यह भी कहा कि यदि अपीलकर्ता जानबूझकर सुनवाई को टालने की कोशिश करें या अपील पर कार्यवाही में ठीक से हिस्सा न लें, तो उच्च न्यायालय स्वतंत्र है कि वह उनके खिलाफ उचित आदेश पारित करे।

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