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Pension: केंद्र में 30 लाख NPS कर्मियों में से 30000 ने भी UPS का नहीं दिया विकल्प, पुरानी पेंशन की उठी मांग

Jitendra Bhardwaj जितेंद्र भारद्वाज
Updated Thu, 22 May 2025 07:58 PM IST
सार

सरकार ने एनपीएस कर्मियों को 30 जून तक यूपीएस में शामिल होने का विकल्प दिया है।अभी तक केंद्र सरकार के लगभग 30 लाख एनपीएस कर्मचारी, यूपीएस में शामिल होने का मन नहीं बना रहे हैं। उक्त संख्या में से अभी तक महज 30 हजार कर्मचारियों ने भी यूपीएस में शामिल होने का विकल्प नहीं दिया है। विस्तार से जानते हैं पूरा मामला...

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Pension: Out of 30 lakh NPS employees in Centre, even 30000 did not opt for UPS demand old pension
पेंशन - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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केंद्र सरकार में ओपीएस बहाली को लेकर दोबारा से कर्मचारी संगठन, लामबंद होने की तैयारी कर रहे हैं। सरकार ने एनपीएस कर्मियों को 30 जून तक यूपीएस में शामिल होने का विकल्प दिया है। राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली (एनपीएस) के तहत 20 मई को एकीकृत पेंशन योजना (यूपीएस) कैलकुलेटर लॉन्च किया है। इसका मकसद, केंद्र सरकार के कर्मचारियों को वह सुविधा मुहैया करानी है, जिसके द्वारा वे एनपीएस और नई स्कीम 'यूपीएस' दोनों के तहत मिलने वाले पेंशन लाभों की तुलना कर सकते हैं। दूसरी तरफ अभी तक केंद्र सरकार के लगभग 30 लाख एनपीएस कर्मचारी, यूपीएस में शामिल होने का मन नहीं बना रहे हैं। उक्त संख्या में से अभी तक महज 30 हजार कर्मचारियों ने भी यूपीएस में शामिल होने का विकल्प नहीं दिया है। मौजूदा परिस्थितियों में केंद्र सरकार और राज्यों के बड़े कर्मचारी संगठन, दोबारा से पुरानी पेंशन बहाली के लिए आंदोलन करने के मूड में हैं। 

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'नेशनल मिशन फॉर ओल्ड पेंशन स्कीम भारत' के अध्यक्ष डॉ. मंजीत सिंह पटेल कहते हैं, यूपीएस के मौजूदा प्रावधान, कर्मियों को रास नहीं आ रहे। लगभग दो महीने बीत चुके हैं, लेकिन यूनिफाइड पेंशन स्कीम का चयन करने वालों की संख्या महज दो फीसदी भी नहीं पहुंच सकी है। मतलब 'यूपीएस' फेल हो चुकी है। वजह साफ है कि यूपीएस पूरी तरह से अनिश्चित है, क्योंकि 20-25 साल पहले यह तय कर पाना किसी के लिए संभव नहीं है कि रिटायरमेंट के समय एनपीएस और यूपीएस में से क्या बेहतर होगा। इतनी लंबी अवधि में 'पे' कमीशन, महंगाई भत्ता और दूसरे 'अलाउंस' सब कुछ अनिश्चित होता है। जो लोग रिटायरमेंट के करीब हैं या रिटायर हो चुके हैं, केवल वही यह निर्णय ले सकते हैं कि क्या ठीक रहेगा।
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बतौर डॉ. पटेल, सबसे बड़ी बात ये है कि अगर कोई कच्ची कैलकुलेशन करके फैसला ले भी लेता है तो रिटायरमेंट के बाद वह कितने साल जिंदा रहेगा, यूनिफाइड पेंशन स्कीम में यह सबसे महत्वपूर्ण फैक्टर है। सामान्य अनुमान के मुताबिक, अगर कोई कर्मचारी 30 से 35 साल की नौकरी के बाद रिटायर होता है और वह यूपीएस से अपना अंशदान भी निकाल लेता है तो उसको अंतिम औसत सेलरी का 50 प्रतिशत की जगह 30 प्रतिशत ही पेंशन मिलेगी। यदि उस कर्मचारी की मौत जल्दी हो गई तो उसकी पत्नी को केवल 18 प्रतिशत पेंशन ही मिलेगी। उसकी मौत के बाद, सब बंद हो जाएगा। इस हिसाब से देखें तो पाते हैं कि एनपीएस के बराबर भी पेंशन लेने के लिए कम से कम रिटायर्ड व्यक्ति को 16 साल तो जिंदा ही रहना पड़ेगा। 

अब यह गारंटी तो कोई नहीं दे सकता कि कोई व्यक्ति अनिवार्य तौर से उक्त अवधि तक जीवित ही रहेगा। अगर सरकार को यूपीएस को जिंदा देखना है तो उसे सेवाकाल के दौरान के स्थान पर केवल सेवानिवृत्ति से ठीक पहले इस विकल्प के चयन का रास्ता खोलना पड़ेगा। उस समय रिटायर होने वाला व्यक्ति अपने परिवार की स्थिति और अपने स्वास्थ्य आदि कारणों से फैसला लेने में सक्षम हो जाता है। पटेल ने इसे एक उदाहरण के जरिए समझाया है। जैसे कोई व्यक्ति 2008 से 34 साल की नौकरी कर 2043 में रिटायर हो तो एनपीएस में कुल कॉरपस लगभग 3.50 करोड़ होगा और अंतिम बेसिक सेलरी 370000 होगी। लगभग 28 प्रतिशत डीए होगा। उसे एनपीएस में 2.10 करोड़ रुपये मिलेंगे। सत्तर हजार रुपये प्रति महीना पेंशन मिलेगी। उसके न रहने पर पत्नी को भी 70000 रुपये ही पेंशन मिलेगी। दोनों के न रहने पर 1.40 करोड़ रुपए नॉमिनी को मिल सकते हैं। 

अगर यही व्यक्ति यूपीएस में रिटायर हुआ है तो कुल कॉरपस 2.91 करोड़ होगा। इसमें कर्मचारी का अंशदान 1.45 करोड़ हुआ। अगर वह, एकमुश्त अमाउंट (32 लाख) के अलावा अपना हिस्सा यानी 1.15 करोड़ भी निकाल ले तो उसको कर्मचारी अंशदान तो पूरा यानी 1.15+0.32 = 1.47 करोड़ मिल जाएगा, लेकिन पेंशन 110000 प्लस डीए मिलेगा। यह तभी फायदेमंद हो सकता है जब वह कर्मचारी लंबी जिंदगी जीये। अगर उस व्यक्ति का जीवन, जल्द खत्म हो गया तो उसकी पत्नी को 66600+डीए ही मिलेगा। नॉमिनी के लिए कोई फंड नहीं होगा। अगर पत्नी भी जल्द चल बसी तो सब बंद हो जाएगा। दूसरी ओर, एनपीएस का नॉमिनी फंड जो कि 1.40 करोड़ था, वो फिर भी बचा रहता।

स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) के सदस्य और अखिल भारतीय रक्षा कर्मचारी महासंघ (एआईडीईएफ) के महासचिव सी.श्रीकुमार ने कहा, यूपीएस को लेकर केंद्र सरकार के कर्मचारियों का रूझान बहुत फीका है। कर्मचारी, यूपीएस में शामिल नहीं होना चाहते। अभी तक महज दो फीसदी एनपीएस कर्मचारी भी यूपीएस में नहीं आ रहे। इसकी आखिरी तारीख 30 जून है। केंद्र सरकार ने अब केल्कुलेटर भी जारी किया है। केंद्र सरकार के कर्मचारी, एनपीएस और यूपीएस के झंझट में नहीं पड़ना चाहते। उनकी एक ही मांग है, पुरानी पेंशन बहाली। कॉन्फेडरेशन ऑफ सेंट्रल गवर्नमेंट एम्प्लाइज एंड वर्कर्स के महासचिव एसबी यादव का कहना है, यूपीएस बेहतर है या नहीं, यह अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि अभी तक दस प्रतिशत कर्मचारी भी यूपीएस में शामिल होने का विकल्प नहीं दे सके। केंद्र सरकार के साथ हुई स्टाफ साइड की राष्ट्रीय परिषद (जेसीएम) की बैठक में भी पुरानी पेंशन बहाली की मांग उठाई गई है। 

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