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PM Modi: पीएम मोदी ने WHO प्रमुख से की मुलाकात, टेड्रोस बोले- भारत ने बताया परंपरा और विज्ञान साथ चल सकते हैं
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sat, 20 Dec 2025 01:50 AM IST
सार
PM Modi Meet WHO Chief Tedros: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ. टेड्रोस से मुलाकात कर पारंपरिक चिकित्सा की वैश्विक भूमिका पर चर्चा की। दूसरे डब्ल्यूएचओ ग्लोबल समिट में भारत की पहल की सराहना हुई। वहीं, टेड्रोस ने कहा कि परंपरा और विज्ञान एक-दूसरे के पूरक हैं।
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विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक प्रमुख टेड्रोस और पीएम मोदी
- फोटो : X- @narendramodi
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विस्तार
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ. टेड्रोस से मुलाकात की। पीएम मोदी ने एक्स पर पोस्ट कर बताया कि चर्चा का केंद्र समग्र स्वास्थ्य, रोगों की रोकथाम और वेलनेस में पारंपरिक चिकित्सा की भूमिका रही। साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि परंपरा के साथ-साथ प्रमाण आधारित पद्धतियों और वैश्विक सहयोग पर जोर देना जरूरी है। यह मुलाकात दूसरे डब्ल्यूएचओ ग्लोबल समिट ऑन ट्रेडिशनल मेडिसिन के दौरान हुई।
भारत पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके लिए समिट का आयोजन भी किया गया। इसी दौरान दोनों की बैठक हुई। इस समिट में 100 से ज्यादा देशों के मंत्री, वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए। भारत और डब्ल्यूएचओ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में यह साफ संदेश दिया गया कि स्वास्थ्य प्रणाली को एकीकृत और समावेशी बनाना समय की जरूरत है।
क्या बोले डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस?
डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ. टेड्रोस ने कहा कि परंपरा और आधुनिक विज्ञान एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं। उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि देश ने यह दिखा दिया है कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान मिलकर आगे बढ़ सकते हैं। डॉ. टेड्रोस ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा आधुनिक दुनिया की कई स्वास्थ्य चुनौतियों, आर्थिक बोझ और असमान स्वास्थ्य सेवाओं की समस्या से निपटने में मदद कर सकती है।
ये भी पढ़ें- PM Modi Nitin Nabin Meeting: पीएम मोदी से मिले नितिन नबीन, प्रधानमंत्री ने नई जिम्मेदारी मिलने पर दी बधाई
पीएम मोदी की सोच की सराहना की
डॉ. टेड्रोस ने प्रधानमंत्री मोदी के 'वन अर्थ, वन हेल्थ' विजन की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सोच पारंपरिक चिकित्सा के मूल सिद्धांतों संतुलन, रोकथाम और प्रकृति के साथ सामंजस्य से गहराई से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान वैश्विक सहयोग की अपील को अभूतपूर्व समर्थन मिला। डॉ. टेड्रोस ने कहा कि भारत ने परंपरा को केवल विरासत नहीं, बल्कि प्रमाण आधारित विज्ञान में बदलने का रास्ता दिखाया है।
दिल्ली डिक्लेरेशन और समिट के बड़े फैसले
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने दिल्ली डिक्लेरेशन को इस समिट की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि इसमें पारंपरिक चिकित्सा की सुरक्षा, गुणवत्ता और जनता के भरोसे को सुनिश्चित करने पर सहमति बनी है। साथ ही जैव विविधता, पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा, बौद्धिक संपदा अधिकार और निष्पक्ष लाभ साझा करने पर भी जोर दिया गया। डिजिटल तकनीक और नवाचार के जिम्मेदार उपयोग से शोध और इलाज तक पहुंच बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
आयुष से वैश्विक स्वास्थ्य तक
डॉ. टेड्रोस ने आयुष मंत्रालय और जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना को ऐतिहासिक कदम बताया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि आयुष को वैज्ञानिक और प्रमाण आधारित तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एम्स जैसे बड़े संस्थानों में आयुष ब्लॉक स्थापित कर आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा को साथ लाया गया है। आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने समिट में शामिल सभी देशों और विशेषज्ञों का आभार जताया।
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भारत पारंपरिक चिकित्सा को वैश्विक मंच पर नई पहचान दिलाने में अहम भूमिका निभा रहा है। इसके लिए समिट का आयोजन भी किया गया। इसी दौरान दोनों की बैठक हुई। इस समिट में 100 से ज्यादा देशों के मंत्री, वैज्ञानिक, विशेषज्ञ और पारंपरिक चिकित्सा से जुड़े प्रतिनिधि शामिल हुए। भारत और डब्ल्यूएचओ द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित इस सम्मेलन में यह साफ संदेश दिया गया कि स्वास्थ्य प्रणाली को एकीकृत और समावेशी बनाना समय की जरूरत है।
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क्या बोले डब्ल्यूएचओ प्रमुख टेड्रोस?
डब्ल्यूएचओ प्रमुख डॉ. टेड्रोस ने कहा कि परंपरा और आधुनिक विज्ञान एक-दूसरे के विरोधी नहीं, बल्कि पूरक हैं। उन्होंने भारत की तारीफ करते हुए कहा कि देश ने यह दिखा दिया है कि पारंपरिक ज्ञान और आधुनिक विज्ञान मिलकर आगे बढ़ सकते हैं। डॉ. टेड्रोस ने कहा कि पारंपरिक चिकित्सा आधुनिक दुनिया की कई स्वास्थ्य चुनौतियों, आर्थिक बोझ और असमान स्वास्थ्य सेवाओं की समस्या से निपटने में मदद कर सकती है।
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पीएम मोदी की सोच की सराहना की
डॉ. टेड्रोस ने प्रधानमंत्री मोदी के 'वन अर्थ, वन हेल्थ' विजन की जमकर सराहना की। उन्होंने कहा कि यह सोच पारंपरिक चिकित्सा के मूल सिद्धांतों संतुलन, रोकथाम और प्रकृति के साथ सामंजस्य से गहराई से जुड़ी है। उन्होंने बताया कि भारत की जी-20 अध्यक्षता के दौरान वैश्विक सहयोग की अपील को अभूतपूर्व समर्थन मिला। डॉ. टेड्रोस ने कहा कि भारत ने परंपरा को केवल विरासत नहीं, बल्कि प्रमाण आधारित विज्ञान में बदलने का रास्ता दिखाया है।
दिल्ली डिक्लेरेशन और समिट के बड़े फैसले
डब्ल्यूएचओ प्रमुख ने दिल्ली डिक्लेरेशन को इस समिट की बड़ी उपलब्धि बताया। उन्होंने कहा कि इसमें पारंपरिक चिकित्सा की सुरक्षा, गुणवत्ता और जनता के भरोसे को सुनिश्चित करने पर सहमति बनी है। साथ ही जैव विविधता, पारंपरिक ज्ञान की सुरक्षा, बौद्धिक संपदा अधिकार और निष्पक्ष लाभ साझा करने पर भी जोर दिया गया। डिजिटल तकनीक और नवाचार के जिम्मेदार उपयोग से शोध और इलाज तक पहुंच बढ़ाने पर भी सहमति बनी।
आयुष से वैश्विक स्वास्थ्य तक
डॉ. टेड्रोस ने आयुष मंत्रालय और जामनगर में डब्ल्यूएचओ ग्लोबल सेंटर फॉर ट्रेडिशनल मेडिसिन की स्थापना को ऐतिहासिक कदम बताया। केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे पी नड्डा ने कहा कि आयुष को वैज्ञानिक और प्रमाण आधारित तरीके से आगे बढ़ाया जा रहा है। उन्होंने बताया कि एम्स जैसे बड़े संस्थानों में आयुष ब्लॉक स्थापित कर आधुनिक और पारंपरिक चिकित्सा को साथ लाया गया है। आयुष मंत्री प्रतापराव जाधव ने समिट में शामिल सभी देशों और विशेषज्ञों का आभार जताया।
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