डेढ़ दशक में कितने फाइटर जेट मिले वायुसेना को? ये रहा मोदी और मनमोहन सरकार का रिपोर्ट कार्ड
वायुसेना 2032 तक अपनी लड़ाकू क्षमता को 32 स्क्वाड्रन (एक स्क्वाड्रन=18 फाइटरजेट, 16 फाइटर जेट +दो प्रशिक्षण) करना चाहती है। वायुसेना की यह योजना 2001-02 से है। ऐसा चीन और पाकिस्तान की सीमा पर लगातार बढ़ रही चुनौतियों के मद्देनजर है, लेकिन भारत सरकार वायुसेना की इस मांग के प्रति गंभीरता दिखाने में असंवेदनशील रही है।
हकीकत यह है 2007 में शुरू हुई 126 बहुउद्देश्यीय लड़ाकू विमानों की प्रक्रिया को छोड़कर मनमोहन सिंह की यूपीए सरकार ने भी वायुसेना को कोई फाइटरजेट नहीं दिया। मोदी सरकार ने भी 36 राफेल सौदे के अलावा फाइटर जेट में कोई बड़ी पहल नहीं की है। वायुसेना मुख्यालय के अधिकारी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को भी इसके प्रति असंवेदनशील ही मानते हैं।
मेक इन इंडिया के तहत रद्द हुई 114 फाइटर जेट लेने की योजना
बताते हैं मोदी सरकार ने सत्ता में आने के बाद एकल इंजन के 114 लड़ाकू विमान की परियोजना को आगे बढ़ाया। इस पर करीब दो साल तक का इंतजार चला। हालांकि वायुसेना को एकल इंजन के इतनी संख्या में लड़ाकू विमानों की जरूरत नहीं है। वायुसेना मुख्यालय के सूत्र बताते हैं कि 2020 तक मिग सिरीज के करीब 10 स्वाड्रन विमान 2022 तक रिटायर हो जाएंगे।
मिग सिरीज के ये विमान एकल इंजन वाले हैं और एकल इंजन होने के कारण इनमें रिस्क फैक्टर काफी अधिक होता है। लेकिन केंद्र सरकार ने मेक इन इंडिया प्रोग्राम के तहत एकल इंजन के 114 फाइटर जेट लेने की प्रक्रिया पर कार्य आरंभ किया। इसके अंर्तगत विदेशी एकल इंजन विमान निर्माता कंपनी के साथ देश की रक्षा कंपनी को संयुक्त प्रयास से आगे बढ़ना था।
बताते हैं इस क्रम में अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन ने मेक इन इंडिया कार्यक्रम के तहत एफ-16 फाइटर जेट के भारत में निर्माण के लिए टाटा एडवांस डिफेंस सिस्टम के साथ एमओयू साइन किया। वहीं दूसरी तरफ स्वीडिश ग्रिपेन-ई फाइटर जेट बनाने वाली सॉब ने आडानी ग्रुप के साथ समझौते की पहल की। करीब दो साल बाद जनवरी 2018 में रक्षा मंत्रालय ने एकल इंजन फाइटर जेट विकसित करने की इस योजना को ही रद्द कर दिया।
110 बहुउद्देश्यी लड़ाकू विमानों के लिए जारी हुई आरएफपी
जुलाई 2018 में वायुसेना की मांग पर फिर गौर करते हुए रक्षा मंत्रालय ने 28 अगस्त 2008 की तरह 110 बहुउद्देश्यी लड़ाकू विमानों (एमएमआरसीए) को लेने के लिए अंतरराष्ट्रीय आमंत्रण प्रस्ताव जारी करने का निर्णय लिया। इस प्रस्ताव के लिए 2007 के समय की वही छह अंतरराष्ट्रीय विमान निर्माता कंपनियों (फ्रांस की राफेल फाइटर जेट बनाने वाली डेसाल्ट एवियेशन, अमेरिका की लॉकहीड मार्टिन (एफ-16 फाल्कन), अमेरिका की ही बोइंग (एफ-18सुपर हार्नेट), यूरोफाइटर टाइफून, स्वीडिश कंपनी सॉब का ग्रिपेन-ई और रूस के यूनाइटेड एयरक्राफ्ट कॉरपोरेशन ने मिग-35 ) ने ही रुचि दिखाई है। दिलचस्प है कि इन फाइटर जेट कंपनियों के इन्हीं फाइटर जेट का वायुसेना 2007 के बाद परीक्षण कर चुकी है। इन्हीं में से राफेल एल वन और यूरोफाइटर एलटू रहा था।
फिर होगी देरी
वायुसेना के सूत्र मानते हैं कि 110 फाइटर जेट आमंत्रण प्रस्ताव में रुचि दिखाने के बाद अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के फाइटर जेट के परीक्षण की प्रक्रिया फिर चलेगी और एक बार फिर एनवन के निर्धारण में समय लग सकता है। इस तरह से वायुसेना 110 फाइटर जेट मिलने की संभावना कोई पांच-छह साल बाद ही है। इस बीच में 2022 तक वायुसेना के बेड़े से बड़ी संख्या में मिग-21एस और मिग-27एस रिटायर हो जाएंगे। इसके सामानांतर भारतीय वायुसेना को फ्रांस से केवल दो स्क्वाड्रॉन राफेल विमानों की आपूर्ति होगी। वायुसेना मुख्यालय के अधिकारी अभी भी सुखोई-30 एमके आई की गुणवत्ता को लेकर तंग रहते हैं।
डेढ़ दशक में कितने फाइटर जेट मिले वायुसेना को?
अभी भारतीय वायुसेना के पास सबसे अत्याधुनिक, मारक और क्षमतावान फाइटर जेट सुखोई-30 एमकेआई है। 1997 से सुखोई लेने की प्रक्रिया शुरू हुई। 2002 में इस फाइटर जेट को रूस के साथ तकनीकी हस्तांतरण और संयुक्त उद्यम के जरिए हिन्दुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड में तैयार करने पर सहमति बनी थी। 2002 में पहला सुखोई वायुसेना को मिला था और एचएएल (भारत) में असेम्बल पहला सुखोई 2004 में वायुसेना में शामिल हुआ था।
वायुसेना सूत्रों के अनुसार मई 2018 भारतीय वायुसेना के बेड़े में करीब 249 सुखोई 30 एमकेआई विमान हैं। कुल 272 सुखोई आने हैं और हाल में भारत ने एक स्क्वाड्रान (18 विमान) लेने का निर्णय लिया है। इसके अलावा भारतीय वायुसेना को अभी तक कोई नया लड़ाकू विमान नहीं मिला है। इसके अलावा दिसंबर 2017 में एचएएल को 83 तेजस फाइटर जेट वायुसेना को आपूर्ति करने का आर्डर मिला है। यह तेजस भारत में असेंबल हुआ फाइटरजेट है। हालांकि वायुसेना इससे बहुत खुश नहीं है। वायुसेना को एलसीए-1ए या एलसीए-मार्क 2 चाहिए। इसके विकसित होने में समय लगेगा। इसके अलावा लड़ाकू विमानों के मामले वायुसेना के हाथ खाली हैं।
फाइटर हेलीकाप्टर की भूमिका निभाने में सक्षम 15 चिन्हुक और 22 अपाचे हेलीकाप्टर अभी वायुसेना को मिलना शुरू नहीं हुआ है। यूपीए सरकार के समय में इन्हें लेने पर विचार हो रहा था लेकिन यह सौदा जुलाई 2018 में मोदी सरकार के समय में अंतिम रूप ले पाया। एडवांस लाइटवेट हेलीकाप्टर ध्रुव भारत में ही असेम्बल होकर वायुसेना को मिल रहे हैं। इसके अलावा वायुसेना को ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट के रूप में अमेरिका (बोइंग) का सी-17 ग्लोबमास्टर और लॉकहीड मार्टिन का सी-130 जे हरक्युलिस मिला है। ग्लोब मास्टर और हरक्युलिस दोनों रक्षा सौदे यूपीए सरकार के समय में हुए थे।