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PM Modi: 'भगवान बुद्ध की शिक्षाओं से अतिवाद की वैश्विक चुनौती से बचा जा सकता है', पीएम मोदी का बयान

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: नितिन गौतम Updated Fri, 14 Feb 2025 01:19 PM IST
सार

पीएम मोदी ने कहा कि 'भगवान बुद्ध के धम्म सिद्धांत ही एशिया की साझा परंपरा का आधार है और इससे पर्यावरण समस्या का भी समाधान मिल सकता है। हिंदुत्व, बौद्ध और अन्य एशियाई परंपराएं लोगों को प्रकृति के साथ मिलकर रहने की सीख देती हैं।

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pm modi said lord Buddha teachings of middle path avoiding extremes solution to global challenges
पीएम मोदी - फोटो : पीटीआई
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विस्तार
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प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि भगवान बुद्ध की मध्यमार्गी शिक्षाओं से अतिवाद की वैश्विक चुनौती से बचा जा सकता है। प्रधानमंत्री ने कहा कि दुनिया की आज की कई समस्याएं संतुलित सोच की बजाय अतिवादी कदम उठाने की वजह से पैदा हुई हैं। प्रधानमंत्री मोदी ने थाईलैंड में आयोजित वैश्विक हिंदू-बौद्ध सम्मेलन 'संवाद' के चौथे संस्करण को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए संबोधित करते हुए ये बात कही। 
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भगवान बुद्ध की शिक्षाओं में पर्यावरण समस्या का समाधान
पीएम मोदी ने कहा कि 'भगवान बुद्ध के धम्म सिद्धांत ही एशिया की साझा परंपरा का आधार है और इससे पर्यावरण समस्या का भी समाधान मिल सकता है। हिंदुत्व, बौद्ध और अन्य एशियाई परंपराएं लोगों को प्रकृति के साथ मिलकर रहने की सीख देती हैं। ये परंपराएं खुद को प्रकृति से अलग नहीं मानती। प्रधानमंत्री ने ट्रस्टीशिप के सिद्धांत पर भी प्रकाश डाला, जो इस बात पर जोर देता है कि प्राकृतिक संसाधनों का इस्तेमाल विकास के लिए किया जाना चाहिए, लेकिन साथ ही भावी पीढ़ियों के प्रति जिम्मेदारी भी समझी जानी चाहिए। यह दृष्टिकोण सुनिश्चित करता है कि संसाधनों का उपयोग विकास के लिए किया जाए, लालच के लिए नहीं।' 
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उन्होंने कहा कि 'पर्यावरण संकट और तनाव जैसी स्वास्थ्य समस्याओं का समाधान भगवान बुद्ध के शिक्षाओं में मिलता है। उनका संयम का सिद्धांत आज वैश्विक चुनौतियों का सामने करने में हमारा मार्गदर्शन करता है। आज संघर्ष देशों और लोगों के बीच ही नहीं बल्कि इससे आगे बढ़कर पर्यावरण संकट तक पहुंच गए हैं। जिससे हमारे ग्रह के लिए खतरा पैदा हो गया है।' पीएम मोदी ने कहा कि, हमारी सरकार ने पाली को शास्त्रीय भाषा घोषित किया है, जिससे इसके साहित्य का संरक्षण सुनिश्चित हो सके। हमने प्राचीन पांडुलिपियों की पहचान करने और उन्हें सूचीबद्ध करने के लिए ज्ञान भारतम पहल शुरू की है। इससे बौद्ध धर्म के विद्वानों को दस्तावेजीकरण और डिजिटलीकरण का फायदा मिलेगा। 

क्या है ये संवाद कार्यक्रम
थाईलैंड में आयोजित हो रहा संवाद का यह संस्करण धार्मिक गोलमेज सम्मेलन है, जिसमें विभिन्न धार्मिक नेता एक साथ आ रहे हैं। पीएम मोदी ने विश्वास जताया किया कि इस मंच से बहुमूल्य अंतर्दृष्टि सामने आएगी, जिससे एक अधिक सामंजस्यपूर्ण विश्व का निर्माण होगा। पीएम मोदी ने थाईलैंड की समृद्धि संस्कृति, इतिहास और इसकी विरासत की तारीफ करते हुए कहा कि थाईलैंड, एशिया की साझा दार्शनिक और आध्यात्मिक परंपरा का सुंदर उदाहरण है। प्रधानमंत्री ने भारत और थाईलैंड के बीच दो हजार वर्षों से अधिक समय से चले आ रहे गहरे सांस्कृतिक संबंधों का जिक्र किया और कहा कि रामायण और रामकियेन दोनों देशों को जोड़ते हैं और भगवान बुद्ध के प्रति साझा श्रद्धा हमें एकजुट करती है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत ने बौद्ध सर्किट के हिस्से के रूप में महत्वपूर्ण बौद्ध स्थलों को जोड़ने के लिए बुनियादी ढांचे का विकास किया है। साथ ही इस सर्किट पर यात्रा को सुविधाजनक बनाने के लिए 'बुद्ध पूर्णिमा एक्सप्रेस' विशेष ट्रेन और तीर्थयात्रियों को लाभ पहुंचाने के लिए कुशीनगर अंतर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे के उद्घाटन की भी बात कही। उन्होंने बोधगया के बुनियादी ढांचे को बढ़ाने के लिए विभिन्न विकास परियोजनाओं की जानकारी दी और दुनिया भर के तीर्थयात्रियों, विद्वानों और भिक्षुओं को भारत आने के लिए आमंत्रित किया। उन्होंने इस आयोजन को संभव बनाने के लिए भारत, जापान और थाईलैंड के प्रतिष्ठित संस्थानों और व्यक्तियों की सराहना की।
 
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