कितना अहम PM मोदी का तीन देशों का दौरा?: अफ्रीका में व्यापारिक समझौते, पश्चिम एशियाई देश में FTA का मौका
प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा ऐसे समय हो रही है, जब वैश्विक स्तर पर भू-राजनीतिक अस्थिरता बढ़ी है। भारत इस दौरे के जरिए अपने भरोसेमंद साझेदारों के साथ राजनीतिक, आर्थिक और कूटनीतिक सहयोग को आगे बढ़ाना चाहता है। खास बात यह है कि जॉर्डन और इथियोपिया की यह पीएम मोदी की पहली पूर्ण द्विपक्षीय यात्रा होगी, जबकि ओमान का यह उनका दूसरा दौरा है।
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ऐसे में यह जानना अहम है कि आखिर पीएम मोदी का यह दौरा कितना अहम है? प्रधानमंत्री जहां जा रहे हैं, उन देशों का भारत के लिए और भारत का उनके लिए क्या महत्व है? इन तीनों ही देशों से भारत क्या हासिल कर सकता है? आइये जानते हैं...
कितना अहम है पीएम मोदी का जॉर्डन दौरा?
प्रधानमंत्री मोदी अपने तीन देशों के दौरे की शुरुआत जॉर्डन से करेंगे। यह उनकी इस पश्चिम एशियाई देश की पहली द्विपक्षीय यात्रा होगी। पीएम मोदी जॉर्डन के शाह किंग अब्दुल्ला द्वितीय इब्न अल हुसैन के निमंत्रण पर 15-16 दिसंबर को यहां रहेंगे।विदेश मंत्रालय के बयान के मुताबिक, प्रधानमंत्री मोदी जॉर्डन पहुंचकर यहां के शाह अब्दुल्ला-II से मुलाकात करेंगे और भारत-जॉर्डन संबंधों की समीक्षा करेंगे। दोनों ही नेता क्षेत्रीय मुद्दों पर विचार साझा करेंगे। बातचीत में आतंकवाद-रोधी सहयोग, ऊर्जा साझेदारी और पश्चिम एशिया में बदलते भू-राजनीतिक परिदृश्य के बीच उभरते आर्थिक मौकों पर भी चर्चा होने की संभावना है।
भारत और जॉर्डन के बीच मजबूत हैं आर्थिक संबंध
विदेश मंत्रालय ने बताया कि भारत और जॉर्डन के बीच मजबूत आर्थिक संबंध हैं। भारत जॉर्डन का तीसरा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है और दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय व्यापार का मूल्य 2.8 अरब डॉलर है। हाल के समय में जॉर्डन ने भारत के साथ संपर्क भी बढ़ाया है। रॉयल जॉर्डेनियन एयरलाइंस ने अमान और मुंबई के बीच सीधी उड़ानें शुरू की हैं और नई दिल्ली के लिए सेवाओं के विस्तार की योजना है। जॉर्डन भारतीय पर्यटकों को वीजा ऑन अराइवल की सुविधा भी प्रदान करता है।
ऐसे में पीएम मोदी की इस यात्रा का मकसद भारत-जॉर्डन द्विपक्षीय जुड़ाव को और मजबूत करना, पारस्परिक विकास और समृद्धि के लिए सहयोग के नए क्षेत्रों की तलाश करना और क्षेत्रीय शांति, समृद्धि, सुरक्षा और स्थिरता को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता को दोहराना है।
भारत के लिए इथियोपिया क्यों महत्वपूर्ण?
जॉर्डन के बाद प्रधानमंत्री मोदी अफ्रीकी महाद्वीप में भारत के हितों को आगे रखेंगे। 16 दिसंबर को वे इथियोपिया पहुंचेंगे। यह उनका पहला इथियोपिया दौरा होगा। यहां पहुंचने के बाद प्रधानमंत्री इथियोपिया के प्रधानमंत्री अबिय अहमद अली के साथ व्यापार बढ़ाने को लेकर चर्चा करेंगे। खासकर कुछ अहम क्षेत्र, जैसे- कृषि, निवेश और विकास साझेदारी के क्षेत्रों में। इससे पहले दोनों नेताओं के बीच 2023 में दक्षिण अफ्रीका के जोहानेसबर्ग में वार्ता हुई थी। यह मुलाकात ब्रिक्स सम्मेलन से इतर हुई थी, जिसका इथियोपिया बाद में सदस्य बना है।बता दें कि पीएम मोदी इस साल तीसरी बार अफ्रीकी महाद्वीप पर जा रहे हैं। इसे एशिया के बाहर भारत का वर्चस्व बढ़ाने के अहम कदम के तौर पर देखा जा रहा है। भारत पूर्व अफ्रीका में स्थित इस देश के शीर्ष तीन निवेशक देशों में से भी है। भारत ने इथियोपिया में कृषि, इंजीनियरिंग, प्लास्टिक, उत्पादन, कपास और कपड़ा उद्योग में निवेश किया है। इतना ही नहीं भारत की 650 कंपनियों का इथियोपिया में पांच अरब डॉलर से ज्यादा का निवेश है।
प्रधानमंत्री के दौरे पर भारत और इथियोपिया के बीच व्यापार पर चर्चा प्रमुख होगी। इथियोपिया के लिए भारत उसका दूसरा सबसे बड़ा व्यापारिक साझेदार है, जो कि इस देश के लिए भारत के महत्व को काफी बढ़ा देता है। भारत के वाणिज्य मंत्रालय के मुताबिक, दोनों देशों के बीच 2023-24 में 57.15 करोड़ डॉलर का द्विपक्षीय व्यापार हुआ था। विदेश मंत्रालय का कहना है कि दोनों देशों के रिश्तों को आगे बढ़ाने के लिए भारत अब इथियोपिया में इन्फ्रास्ट्रक्चर, आईटी, खनन, कृषि और उत्पादन के क्षेत्र में निवेश बढ़ाने पर जोर देगा।
पीएम मोदी इथियोपिया में भारतीय समुदाय को भी संबोधित करेंगे। इथियोपिया के शिक्षा क्षेत्र में भारतीयों की अच्छी-खासी मौजूदगी है। अलग-अलग विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों में 150 से ज्यादा भारतीय फैकल्टी में जुड़े हैं। इसके अलावा अफ्रीका की बात करें तो यहां इथियोपिया सबसे कम दर पर लंबी अवधि का कर्ज पाने वाला देश है। भारत ने इथियोपिया के अलग-अलग सेक्टर्स को एक अरब डॉलर से ज्यादा का कर्ज दिया है। इथियोपिया से रवाना होने से पहले भारतीय प्रधानमंत्री यहां संसद के संयुक्त सत्र को भी संबोधित करेंगे।
दौरे का आखिरी पड़ाव- ओमान, जहां भारत को मिल सकता है एफटीए
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के दौरे का आखिरी पड़ाव ओमान होगा। दौरे के अंतिम चरण में प्रधानमंत्री मोदी 17 से 18 दिसंबर तक ओमान जाएंगे। यह उनकी ओमान की दूसरी यात्रा होगी। भारत और ओमान के कूटनीतिक संबंधों के 70 साल पूरे हो रहे हैं। इस दौरान भारत-ओमान व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौते पर खास ध्यान रहेगा। माना जा रहा है कि यह समझौता दोनों देशों के व्यापार और निवेश को नई दिशा देगा।पीएम मोदी अपने साथ एक उच्चस्तरीय प्रतिनिधिमंडल को लेकर ओमान पहुंचेंगे। माना जा रहा है कि यहां दोनों देशों के बीच मुफ्त व्यापार समझौता (एफटीए) हो सकता है। इसे आधिकारिक तौर पर व्यापक आर्थिक साझेदारी समझौता (सीईपीए) कहा जा रहा है। इसे लेकर भारत-ओमान के बीच नवंबर 2023 से ही बातचीत जारी थी और इस साल इसे लेकर दोनों में सहमति भी बन गई।
इससे पहले केंद्रीय कैबिनेट ने पीएम मोदी के ओमान दौरे से पहले ही एफटीए को मंजूरी दे दी। दूसरी तरफ ओमान की शुरा परिषद, जिसे सबसे निर्णय लेने वाली सबसे बड़ी संस्था कहा जाता है, ने भी समझौते को हरी झंडी दिखाई है। ऐसे में जब प्रधानमंत्री मोदी ओमान पहुंचेंगे तो वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल भी समझौते पर हस्ताक्षर के लिए उनके साथ मौजूद रह सकते हैं।
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कितने मजबूत हैं भारत-ओमान के व्यापारिक रिश्ते?
पीएम मोदी के दौरे का मुख्य मकसद भारत और ओमान के बीच द्विपक्षीय सहयोग को और मजबूत करना है। इसमें आर्थिक और रणनीतिक साझेदारी पर विशेष जोर दिया जाएगा। खाड़ी सहयोग परिषद (जीसीसी) देशों में भारत का तीसरा सबसे बड़ा निर्यात गंतव्य ओमान ही है। वित्त वर्ष 2024-25 के दौरान भारत-ओमान द्विपक्षीय व्यापार 10.61 अरब डॉलर तक पहुंच गया, जो दोनों देशों के बीच मजबूत आर्थिक और वाणिज्यिक संबंधों को दर्शाता है। भारत का इसी तरह का मुफ्त व्यापार समझौता (एफटीए) मई 2022 से जीसीसी के एक अन्य सदस्य देश संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) के साथ लागू है।
रक्षा क्षेत्र में और गहरे हो सकते हैं रिश्ते
भारत और ओमान द्विपक्षीय सहयोग को और आगे बढ़ाने की योजना बना रहे हैं। इस कड़ी में मस्कट ने भारत को रॉयल एयर फोर्स ऑफ ओमान द्वारा पहले इस्तेमाल किए गए जगुआर लड़ाकू विमानों के स्पेयर पार्ट्स उपलब्ध कराने की पेशकश की है। ओमान की वायुसेना ने अपने जगुआर विमानों को सेवा से हटा दिया है और उनके स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति जल्द होने की संभावना है।
विदेश मंत्रालय में सचिव अरुण कुमार चटर्जी ने पीएम मोदी के दौरे से पहले कहा था, “रॉयल एयर फोर्स ऑफ ओमान पहले जगुआर जेट का संचालन करती थी, लेकिन उन्हें कुछ समय पहले सेवा से हटा लिया गया। उनके पास इन विमानों के कई स्पेयर पार्ट्स हैं, जिन्हें वे भविष्य में भारत को सौंपने के लिए तैयार हैं और हमें उम्मीद है कि इन स्पेयर पार्ट्स की आपूर्ति आने वाले दिनों में शुरू हो जाएगी।”
विदेश मंत्रालय ने उम्मीद जताई है कि भारत और ओमान के बीच हाइड्रोकार्बन सहयोग आगे भी जारी रहेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की आगामी ओमान यात्रा के दौरान रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी, व्यापार, खाद्य सुरक्षा और संपर्क जैसे विषयों पर चर्चा प्रमुख एजेंडा में शामिल होंगे। संभावित एफटीए की घोषणा से भारत-ओमान संबंधों को और नई ऊंचाई मिलने की उम्मीद है।