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VB-G RAM G Act: विकसित भारत-जी राम जी विधेयक बना कानून, राष्ट्रपति ने दी मंजूरी; अब 125 दिन के काम की गारंटी
न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: हिमांशु चंदेल
Updated Sun, 21 Dec 2025 05:16 PM IST
सार
राष्ट्रपति ने वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025 को मंजूरी दे दी है। अब यह विधेयक कानून बन गया है। इसके तहत ग्रामीण परिवारों को अब साल में 125 दिन का वैधानिक मजदूरी रोजगार मिलेगा। सरकार का कहना है कि इस कानून का उद्देश्य ग्रामीण सशक्तिकरण, समावेशी विकास, योजनाओं का बेहतर समन्वय और संतृप्ति आधारित लाभ वितरण है। आइए जानते हैं कि ये कानून मनरेगा से कितना अलग है।
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वीबी-जी राम जी विधेयक
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
राष्ट्रपति ने विकसित भारत-गारंटी फॉर रोजगार एंड आजीविका मिशन (ग्रामीण) यानी वीबी-जी राम जी विधेयक, 2025 को अपनी मंजूरी दे दी है। इस स्वीकृति के साथ यह विधेयक अब कानून बन गया है। इस कानून के तहत ग्रामीण परिवारों को मिलने वाली वैधानिक मजदूरी रोजगार की गारंटी को बढ़ाकर अब एक वित्तीय वर्ष में कम से कम 125 दिन कर दिया गया है। सरकार इसे ग्रामीण जीवन को मजबूत आधार देने वाला ऐतिहासिक कदम बता रही है। सरकार का कहना है कि वीबी-जी राम जी कानून लागू होने से ग्रामीण क्षेत्रों में रोजगार की कानूनी गारंटी पहले से ज्यादा मजबूत हो जाएगी।
बता दें, इस बिल पर देत रात तक संसद में चर्चा चली थी। इस मामले में विपक्ष का कहना था कि सरकार जानबूझकर मनरेगा का नाम बदल रही है, मनरेगा में महात्मा गांधी का भी नाम आता था, इसीलिए भाजपा इस नाम को हटाने के लिए ये बिल लाई। वहीं, सरकार का कहना था कि पहले की योजना में लोगों को 100 दिन का काम दिया जाता था। लेकिन अब इस कानून के तहत अब कम से कम 125 दिन काम देना आनिवार्य है।
इस बहस के दौरान ही कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि जब भी कांग्रेस सत्ता में आएगी, तो वो इसका फिर नाम बदलेंगे। इन सब हंगामों के बीच इस बिल को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था। हालांकि संसद में विपक्ष ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया था। इतना ही नहीं, इसके बाद विपक्ष ने संविधान सदन के बाहर पूरी रात धरना भी दिया था।
इस कानून के मुताबिक अब पात्र ग्रामीण परिवारों को साल में 125 दिन तक मजदूरी आधारित काम उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी। इसका सीधा उद्देश्य गांवों में रहने वाले श्रमिकों, किसानों और भूमिहीन परिवारों की आय बढ़ाना और उन्हें आर्थिक सुरक्षा देना है। सरकार का कहना है कि इससे गांवों में गरीबी कम होगी और लोगों को अपने ही क्षेत्र में काम मिलेगा।
ये भी पढ़ें- 'चौधरी चरण सिंह से प्रेरणा लेकर दिया गया 125 दिनों का रोजगार', जी राम जी बिल पर बोले शिवराज
सशक्तिकरण और समावेशी विकास पर जोर
सरकार का कहना है कि नए कानून का मकसद केवल रोजगार देना नहीं है, बल्कि ग्रामीण समाज का समग्र सशक्तिकरण करना भी है। वीबी-जी राम जी के तहत समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई है, ताकि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचे। सरकार का दावा है कि यह कानून महिलाओं, कमजोर वर्गों और जरूरतमंद परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायी मजबूती मिलेगी।
सरकार चाहती है कि ग्रामीण इलाकों में चल रही योजनाएं एक-दूसरे से जुड़कर ज्यादा प्रभावी परिणाम दें। सड़कों, जल संरक्षण, सिंचाई, आवास और अन्य बुनियादी सुविधाओं से जुड़े कामों को रोजगार से जोड़कर गांवों की तस्वीर बदलने की योजना है। इससे विकास कार्यों में पारदर्शिता और गति दोनों बढ़ेंगी।
वीबी-जी राम जी कानून में संतृप्ति आधारित डिलीवरी को खास महत्व दिया गया है। इसका मतलब यह है कि कोई भी पात्र परिवार योजना के लाभ से वंचित न रहे। सरकार का कहना है कि अंतिम व्यक्ति तक रोजगार और आजीविका का लाभ पहुंचाना इस कानून का मूल उद्देश्य है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता कम होगी और विकास का लाभ सभी तक पहुंचेगा।
सरकार का मानना है कि यह कानून समृद्ध, मजबूत और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की नींव को और पुख्ता करेगा। रोजगार बढ़ने से गांवों में आय के साधन मजबूत होंगे और शहरों की ओर पलायन पर भी रोक लगेगी। वीबी-जी राम जी को ग्रामीण भारत के भविष्य के लिए निर्णायक कदम माना जा रहा है, जो लंबे समय तक देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।
मनरेगा से कितना अलग होगा वीबी-जी राम जी?
केंद्र सरकार का कहना है कि नए नियमों से मनरेगा की ढाचांगत कमियों को दूर किया गया है। सबसे पहले तो योजना के तहत रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का दावा किया गया है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने वाले सभी कार्यों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक में शामिल किया जाएगा। कानून में कहा गया है कि इससे ग्रामीण स्तर पर सार्वजनिक कार्यों के लिए एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार होगा। इसी के आधार पर गांवों में आगे के कामों को लेकर तैयारियां होंगी।
कानून में दी गई जानकारी के मुताबिक, इस तरह गांवों के लिए एकीकृत ढांचा तैयार करने से देशभर में उत्पादक, टिकाऊ, सुदृढ़ और बदलाव में सक्षम ग्रामीण परिसंपत्तियों (एसेट्स) का निर्माण सुनिश्चित होगा। केंद्र और राज्य 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य के तहत इन परिसंपत्तियों को आगे बढ़ाने की योजनाएं भी साझा तौर पर तैयार करेंगी। यानी एक राष्ट्रीय नीति के तहत काम के बिखराव को समेटा जाएगा और तय दिशा में इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
किसानों-मजदूरों के लिए कानून में क्या?
चूंकि राज्य सरकारें तय कर सकती हैं कि किस अवधि में बुवाई और कटाई का ध्यान रखते हुए वीबी-जी राम जी के तहत 60 दिन के लिए काम रोकना है, ऐसे में किसानों को अपने खेतों पर काम करने के लिए मजदूरों की कमी नहीं पड़ेगी। खासकर पीक सीजन के दौरान। इससे मजदूरों को भी मनरेगा के काम से अतिरिक्त अपने लिए बाकी स्रोतों से वेतन जुटाने में मदद मिलेगी।
इतना ही नहीं चूंकि किसानों के लिए मजदूर सही स्तर पर उपलब्ध रहेंगे, ऐसे में उन्हें अतिरिक्त वेतन पर मजदूरों को नहीं रखना होगा। कई बार किसानों पर पड़ने वाले इस अतिरिक्त बोझ का असर फसलों की कीमत पर पड़ता है, क्योंकि ज्यादा खर्च की वजह से उन्हें लाभ लेने के लिए उन्हें फसलों के दाम बढ़ाने पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त मजदूरों के लिए काम के दिन बढ़ाकर 100 से 125 किए गए हैं। यानी उन्हें आर्थिक तौर पर भी ज्यादा रकम हासिल करने में मदद मिलेगी।
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बता दें, इस बिल पर देत रात तक संसद में चर्चा चली थी। इस मामले में विपक्ष का कहना था कि सरकार जानबूझकर मनरेगा का नाम बदल रही है, मनरेगा में महात्मा गांधी का भी नाम आता था, इसीलिए भाजपा इस नाम को हटाने के लिए ये बिल लाई। वहीं, सरकार का कहना था कि पहले की योजना में लोगों को 100 दिन का काम दिया जाता था। लेकिन अब इस कानून के तहत अब कम से कम 125 दिन काम देना आनिवार्य है।
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इस बहस के दौरान ही कांग्रेस नेता प्रमोद तिवारी ने भाजपा पर जमकर हमला बोला था। उन्होंने कहा था कि जब भी कांग्रेस सत्ता में आएगी, तो वो इसका फिर नाम बदलेंगे। इन सब हंगामों के बीच इस बिल को ध्वनि मत से पारित कर दिया गया था। हालांकि संसद में विपक्ष ने इस बिल का पुरजोर विरोध किया था। इतना ही नहीं, इसके बाद विपक्ष ने संविधान सदन के बाहर पूरी रात धरना भी दिया था।
इस कानून के मुताबिक अब पात्र ग्रामीण परिवारों को साल में 125 दिन तक मजदूरी आधारित काम उपलब्ध कराना सरकार की जिम्मेदारी होगी। इसका सीधा उद्देश्य गांवों में रहने वाले श्रमिकों, किसानों और भूमिहीन परिवारों की आय बढ़ाना और उन्हें आर्थिक सुरक्षा देना है। सरकार का कहना है कि इससे गांवों में गरीबी कम होगी और लोगों को अपने ही क्षेत्र में काम मिलेगा।
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सशक्तिकरण और समावेशी विकास पर जोर
सरकार का कहना है कि नए कानून का मकसद केवल रोजगार देना नहीं है, बल्कि ग्रामीण समाज का समग्र सशक्तिकरण करना भी है। वीबी-जी राम जी के तहत समावेशी विकास को प्राथमिकता दी गई है, ताकि समाज के अंतिम पायदान पर खड़े लोगों तक योजनाओं का लाभ पहुंचे। सरकार का दावा है कि यह कानून महिलाओं, कमजोर वर्गों और जरूरतमंद परिवारों को आत्मनिर्भर बनाने में अहम भूमिका निभाएगा। इससे ग्रामीण अर्थव्यवस्था को स्थायी मजबूती मिलेगी।
सरकार चाहती है कि ग्रामीण इलाकों में चल रही योजनाएं एक-दूसरे से जुड़कर ज्यादा प्रभावी परिणाम दें। सड़कों, जल संरक्षण, सिंचाई, आवास और अन्य बुनियादी सुविधाओं से जुड़े कामों को रोजगार से जोड़कर गांवों की तस्वीर बदलने की योजना है। इससे विकास कार्यों में पारदर्शिता और गति दोनों बढ़ेंगी।
वीबी-जी राम जी कानून में संतृप्ति आधारित डिलीवरी को खास महत्व दिया गया है। इसका मतलब यह है कि कोई भी पात्र परिवार योजना के लाभ से वंचित न रहे। सरकार का कहना है कि अंतिम व्यक्ति तक रोजगार और आजीविका का लाभ पहुंचाना इस कानून का मूल उद्देश्य है। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता कम होगी और विकास का लाभ सभी तक पहुंचेगा।
सरकार का मानना है कि यह कानून समृद्ध, मजबूत और आत्मनिर्भर ग्रामीण भारत की नींव को और पुख्ता करेगा। रोजगार बढ़ने से गांवों में आय के साधन मजबूत होंगे और शहरों की ओर पलायन पर भी रोक लगेगी। वीबी-जी राम जी को ग्रामीण भारत के भविष्य के लिए निर्णायक कदम माना जा रहा है, जो लंबे समय तक देश की अर्थव्यवस्था को मजबूती देगा।
मनरेगा से कितना अलग होगा वीबी-जी राम जी?
केंद्र सरकार का कहना है कि नए नियमों से मनरेगा की ढाचांगत कमियों को दूर किया गया है। सबसे पहले तो योजना के तहत रोजगार के दिनों को 100 से बढ़ाकर 125 दिन करने का दावा किया गया है। इसके अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में किए जाने वाले सभी कार्यों को विकसित भारत राष्ट्रीय ग्रामीण इंफ्रास्ट्रक्चर स्टैक में शामिल किया जाएगा। कानून में कहा गया है कि इससे ग्रामीण स्तर पर सार्वजनिक कार्यों के लिए एक मजबूत और एकीकृत राष्ट्रीय फ्रेमवर्क तैयार होगा। इसी के आधार पर गांवों में आगे के कामों को लेकर तैयारियां होंगी।
कानून में दी गई जानकारी के मुताबिक, इस तरह गांवों के लिए एकीकृत ढांचा तैयार करने से देशभर में उत्पादक, टिकाऊ, सुदृढ़ और बदलाव में सक्षम ग्रामीण परिसंपत्तियों (एसेट्स) का निर्माण सुनिश्चित होगा। केंद्र और राज्य 2047 में विकसित भारत के लक्ष्य के तहत इन परिसंपत्तियों को आगे बढ़ाने की योजनाएं भी साझा तौर पर तैयार करेंगी। यानी एक राष्ट्रीय नीति के तहत काम के बिखराव को समेटा जाएगा और तय दिशा में इसे आगे बढ़ाया जाएगा।
किसानों-मजदूरों के लिए कानून में क्या?
चूंकि राज्य सरकारें तय कर सकती हैं कि किस अवधि में बुवाई और कटाई का ध्यान रखते हुए वीबी-जी राम जी के तहत 60 दिन के लिए काम रोकना है, ऐसे में किसानों को अपने खेतों पर काम करने के लिए मजदूरों की कमी नहीं पड़ेगी। खासकर पीक सीजन के दौरान। इससे मजदूरों को भी मनरेगा के काम से अतिरिक्त अपने लिए बाकी स्रोतों से वेतन जुटाने में मदद मिलेगी।
इतना ही नहीं चूंकि किसानों के लिए मजदूर सही स्तर पर उपलब्ध रहेंगे, ऐसे में उन्हें अतिरिक्त वेतन पर मजदूरों को नहीं रखना होगा। कई बार किसानों पर पड़ने वाले इस अतिरिक्त बोझ का असर फसलों की कीमत पर पड़ता है, क्योंकि ज्यादा खर्च की वजह से उन्हें लाभ लेने के लिए उन्हें फसलों के दाम बढ़ाने पड़ते हैं। इसके अतिरिक्त मजदूरों के लिए काम के दिन बढ़ाकर 100 से 125 किए गए हैं। यानी उन्हें आर्थिक तौर पर भी ज्यादा रकम हासिल करने में मदद मिलेगी।
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