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लॉकडाउन के बीच अम्फान पीड़ितों का दुख-दर्द समझने पश्चिम बंगाल गए प्रधानमंत्री मोदी, सीएम ने किया स्वागत

शशिधर पाठक, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: Harendra Chaudhary Updated Fri, 22 May 2020 06:00 PM IST
सार

  • संक्षिप्त टीम के साथ किया प्रधानमंत्री ने हवाई सर्वेक्षण
  • एक हजार करोड़ रुपये के राहत पैकेज की भी घोषणा
  • मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के प्रयासों की सराहना की

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Prime Minister Narendra Modi went to West Bengal to understand the pain and suffering of people amid lockdown
PM Modi to take aerial survey of affected areas in Bengal, Odisha - फोटो : Namo App
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विस्तार
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कोविड-19 संक्रमण से बचाव के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 25 मार्च से लॉकडाउन की घोषणा की थी। 21 मई तक प्रधानमंत्री ने लॉकडाउन और इसकी सभी गाइडलाइन का पूरी जिम्मेदारी से पालन किया।
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लेकिन चक्रवाती तूफान अम्फान की तबाही ने देश के शिखर नेता को लोगों का दु:ख, दर्द समझने के लिए कोलकाता जाने पर विवश कर दिया। वह कोलकाता पहुंचे और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने आपदा की इस घड़ी में प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उनका स्वागत किया।

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देश में किसी भी आपदा की स्थिति में दलगत भावना से ऊपर उठकर निर्णय लेने की परंपरा रही है। प्रधानमंत्री ने लोगों को संबोधित करते हुए कहा कि वह चक्रवाती तूफान की संभावनाओं को लेकर लगातार राज्य सरकार और एजेंसियों के संपर्क में थे, लेकिन इसके बाद भी 80 लोगों की जान नहीं बचाई जा सकी। यह दुखद है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्यपाल और मुख्यमंत्री के साथ हवाई दौरा करके लोगों के हुए नुकसान को देखा है। उन्होंने कहा कि मुख्यमंत्री और राज्य सरकार ने हुए नुकसान का एक आकलन दिया है। अभी विभिन्न क्षेत्रों में हुए नुकसान का अध्ययन करके विस्तिृत रिपोर्ट तैयार की जाएगी।

इसके अलावा केंद्रीय एजेंसियों की टीम भी राज्य का दौरा करके अपनी रिपोर्ट देगी। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार आपदा की इस घड़ी में राज्य सरकार के साथ है और केंद्र तथा राज्य मिलकर लोगों के पुनर्वास, राहत और बचाव में पूरा सहयोग देंगे। ताकि पश्चिम बंगाल दोबारा से उठकर खड़ा हो जाए।

राहत पैकेज की भी घोषणा

प्रधानमंत्री ने फौरी राहत के तौर पर भारत सरकार की तरफ से राज्य सरकार को एक हजार करोड़ रुपये देने की घोषणा की।

उन्होंने चक्रवाती तूफान में मारे गए लोगों के परिजनों को प्रति व्यक्ति दो लाख रुपये और घायलों को प्रधानमंत्री राहत कोष से 50 हजार रुपये देने का एलान किया।

उन्होंने कहा कि पूरी दुनिया कोरोना वायरस से लड़ाई लड़ रही है। ऐसे समय में चक्रवाती तूफान से लड़ाई में जीत का मंत्र लेना पड़ा।

प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों लड़ाई (कोरोना और तूफान) से जीतने का मंत्र एक दूसरे से विपरीत है। लेकिन पश्चिम बंगाल के लोगों को दोनों लड़ाईयां एक साथ लड़नी पड़ीं। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के भरसक प्रयासों की सराहना की।

संक्षिप्त टीम के साथ किया प्रधानमंत्री ने हवाई सर्वेक्षण

प्रधानमंत्री पश्चिम बंगाल अकेले नहीं गए। उनके साथ केंद्रीय मंत्री धर्मेन्द्र प्रधान, बाबुल सुप्रियो, प्रताप चंद सारंगी, सुश्री देबाश्री चौधरी भी थी। कोलकाता में प्रधानमंत्री के साथ इस टीम में राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी भी शामिल हुईं।

सभी ने राज्य में हुए जान-माल के नुकसान का हवाई सर्वे किया। तूफान में प्रभावित लोगों के घरबार, कारोबार, दूरसंचार समेत अन्य क्षेत्रों में नुकसान का आकलन किया।

यही भारत के लोकतंत्र की मजबूती

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव अब ज्यादा दूर नहीं है। भाजपा के लिए पश्चिम बंगाल में सत्ता में आना पहली प्राथमिकता में शामिल है। इसे लेकर पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री और भाजपा के नेताओं में लगातार ठनी हुई है।

पश्चिम बंगाल के राज्यपाल जगदीप धनखड़ और मुख्यमंत्री ममता बनर्जी के बीच में रिश्ते बेहद तल्ख हैं। यहां तक कि ममता बनर्जी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह के बीच में भी आरोप-प्रत्यारोप पिछले दिनों लगातार चला है।

कोविड-19 की केंद्रीय टीम को लेकर भी ममता बनर्जी ने प्रधानमंत्री तक से शिकायत की थी। राज्यपाल के आचरण को लेकर भी वह शिकायत कर चुकी हैं।

कोविड-19 संक्रमण के क्रम में केंद्र सरकार के 20 लाख करोड़ रुपये के पैकेज को भी ममता बनर्जी ने केवल हवा-हवाई घोषणा करार दिया था।

इतना ही पश्चिम बंगाल से प्रवासी मजदूरों को लेकर श्रमिक स्पेशल ट्रेन के बाबत भी पश्चिम बंगाल सरकार ने मोर्चा खोल दिया था। इसको लेकर अमित शाह के आरोपों पर पश्चिम बंगाल सरकार ने पलटवार तक किया था।

बात यहीं नहीं थमी। रेल मंत्रालय के ट्विटर हैंडल से रेलगाड़ियां चलाने को लेकर जानकारी साझा करते हुए पश्चिम बंगाल के बाबत भी जानकारी दी। इसे पश्चिम बंगाल सरकार के गृहसचिव ने गुमराह करने वाली जानकारी बताया।

कहने का अर्थ यह कि राजनीति तो अपने तरीके से चलती रहती है, लेकिन मजबूत लोकतांत्रिक व्यवस्था संकट की घड़ी में लोगों के साथ खड़ी हो जाती है।

संभव है कि कुछ दिन बीतने के बाद केंद्र या राज्य सरकार के प्रयास फिर भाजपा और तृणमूल कांग्रेस के बीच बड़ा मुद्दा बन जाएं। राजनीति इस व्यवस्था पर हावी होते दिखने लगे।

भाजपा के नेता चक्रवाती तूफान में लोगों को राहत पहुंचाने और उनके साथ खड़े होने का श्रेय अकेले ममता बनर्जी को न लेने दें। प्रधानमंत्री भी मुख्यमंत्री ममता बनर्जी की सरकार पर निशाना साधें।

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