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पीरियड्स का सबूत मामला: सुप्रीम कोर्ट पहुंचा हरियाणा बार एसोसिएशन, न्यायिक जांच की मांग; गरिमा और सांविधानिक..

एजेंसी, नई दिल्ली। Published by: ज्योति भास्कर Updated Thu, 13 Nov 2025 04:05 AM IST
सार

हरियाणा में महिला कर्मियों से पीरियड्स का सबूत मांगे जाने का मुद्दा सुप्रीम कोर्ट पहुंच गया है। हरियाणा बार एसोसिएशन ने सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका में इस मामले की न्यायिक जांच की मांग की है। एसोसिएशन ने अपनी दलीलों में कहा है कि ये महिलाओं की गरिमा और सांविधानिक अधिकारों से जुड़ा बेहद गंभीर मुद्दा है। जानिए क्या है पूरा मामला

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Proof of Periods Case Haryana Bar Association in Supreme Court judicial inquiry demand Constitutional right
सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर) - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट बार एसोसिएशन (एससीबीए) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट में एक याचिका दायर कर हरियाणा के महार्षि दयानंद विश्वविद्यालय (एमडीयू) में महिला स्वच्छता कर्मियों से मासिक धर्म का सबूत मांगने के मामले की न्यायिक जांच की मांग की है।

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याचिका में केंद्र और हरियाणा सरकार को निर्देश देने की अपील की गई है कि वे इस मानवाधिकार उल्लंघन की पूरी जांच कराएं और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए स्पष्ट दिशानिर्देश जारी करें ताकि महिलाओं और किशोरियों के स्वास्थ्य, गरिमा, निजी स्वतंत्रता और निजता का हनन न हो।
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मामला 26 अक्तूबर का है, जब विश्वविद्यालय में हरियाणा के राज्यपाल असीम कुमार घोष के दौरे से कुछ घंटे पहले तीन महिला सफाईकर्मियों ने आरोप लगाया था कि दो पर्यवेक्षकों (सुपरवाइजर्स) ने उनसे कहा कि वे अपनी निजी अंगों की तस्वीरें भेजकर यह साबित करें कि वे पीरियड्स में हैं।

महिलाओं ने शिकायत में कहा कि जब उन्होंने अस्वस्थता की बात कहकर सफाई कार्य धीमा किया, तो पर्यवेक्षकों ने उन्हें गालियां दीं और नौकरी से निकालने की धमकी दी। महिलाओं का आरोप है कि यह सब विश्वविद्यालय के सहायक रजिस्ट्रार श्याम सुंदर के निर्देश पर हुआ। हालांकि, सुंदर ने इन आरोपों से इनकार किया है। आरोपियों पर एससी एवं एसटी अधिनियम के तहत हो सकती है कार्रवाई

पुलिस ने इस मामले में यौन उत्पीड़न, आपराधिक धमकी, महिला की गरिमा का अपमान और बल प्रयोग जैसी धाराओं में तीन लोगों पर एफआईआर दर्ज की है। अधिकारियों के अनुसार, आरोपियों पर अनुसूचित जाति एवं जनजाति (अत्याचार निवारण) अधिनियम के तहत भी कार्रवाई की जा सकती है।

विश्वविद्यालय प्रशासन ने दो पर्यवेक्षकों को निलंबित कर आंतरिक जांच के आदेश दिए हैं। एससीबीए ने सुप्रीम कोर्ट से अपील की है कि इस मामले को महिलाओं की गरिमा और संवैधानिक अधिकारों से जुड़ा गंभीर मुद्दा मानते हुए शीघ्र हस्तक्षेप किया जाए।

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