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Railways: अब ट्रेन और मालगाड़ियों के डिब्बों पर दिखेंगे विज्ञापन! इस वजह रेलवे समिति ने दी सिफारिश
डिजिटल ब्यूरो अमर उजाला, नई दिल्ली
Published by: राहुल कुमार
Updated Wed, 17 Dec 2025 04:39 PM IST
सार
रेलवे की संसदीय समिति ने आय बढ़ाने के लिए कोच व मालगाड़ियों पर विज्ञापन, मालभाड़ा दरों की वार्षिक समीक्षा और सड़क परिवहन से मुकाबले हेतु सरल किराए का सुझाव दिया। इसके साथ ही अब ट्रेन कोचों पर विज्ञापन भी दिखेंगे।
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रेलवे
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
आने वाले दिनों में भारतीय रेलवे के कोच भी विज्ञापन से भरपूर नजर आएंगे। राजधानी, शताब्दी, प्रीमियम ट्रेन के अलावा माल गाड़ियों के डिब्बों पर कंपनियां विज्ञापन कर सकेगी। आंध्र प्रदेश से भारतीय जनता पार्टी के सांसद सीएम रमेश की अध्यक्षता वाली रेलवे की संसदीय स्थायी समिति ने सुझाव दिया है कि रेलवे मंत्रालय को किराए के अलावा आय बढ़ाने के अन्य उपायों पर ध्यान देना चाहिए। समिति ने मंगलवार को कहा कि रेल मंत्रालय को हर साल माल ढुलाई दरों की पूरी समीक्षा करनी चाहिए। साथ ही, सड़क और अन्य परिवहन साधनों से मुकाबला करने के लिए किराए को सरल और उचित बनाना चाहिए।
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स्थायी समिति ने अपनी रिपोर्ट में कहा, समिति ने यह भी पाया कि माल ढुलाई दरों में अंतिम बार साल 2018 में बदलाव किया गया था। तब से दरें वही चली आ रही हैं। हालांकि मंत्रालय का यह कदम माल ढुलाई बढ़ाने, आर्थिक दबाव संभालने, किराए को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने और मौजूदा हालात के अनुसार तालमेल बिठाने की रणनीति को दिखाता है। समिति ने रेलवे मंत्रालय को सुझाव दिया है कि वह माल के प्रकार, बाजार की मौजूदा मांग और संचालन लागत को ध्यान में रखते हुए हर साल माल ढुलाई दरों की समीक्षा करे। समिति का मानना है कि इस तरह की नियमित समीक्षा से सड़क परिवहन के मुकाबले रेलवे की प्रतिस्पर्धा बढ़ाने में मदद मिलेगी।
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समिति ने यह भी सुझाव दिया है कि रेल मंत्रालय को किराए के अलावा आय बढ़ाने के नए तरीके तलाशने चाहिए।समिति ने इसके लिए ट्रेन के डिब्बों और मालगाड़ी के वैगनों पर विज्ञापन को आय बढ़ाने का आसान और उपयोगी तरीका बताया गया है।इस सुझाव को गंभीरता से लेने का भी कहा है।
हालांकि रेल मंत्रालय कई बड़ी बुनियादी ढांचा परियोजनाओं पर काम करते हुए 2031 तक 30 करोड़ टन माल ढुलाई का लक्ष्य लेकर चल रहा है। मंत्रालय पिछले सात साल में परिचालन लागत बढ़ने के बावजूद माल ढुलाई दरों में बदलाव नहीं किया गया, क्योंकि रेलवे की रणनीति है कि माल ढुलाई को बढ़ावा देने, वित्तीय दबाव संभालने, किराए को प्रतिस्पर्धी बनाए रखने और आर्थिक हालात के अनुसार संतुलन बनाए रखा जाए।