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अध्ययन: वर्षावनों से तनाव-सांस संबंधी बीमारियों में कमी, इनका संरक्षण जैव विविधता और जलवायु के लिए भी अच्छा
अमर उजाला नेटवर्क, नई दिल्ली
Published by: दीपक कुमार शर्मा
Updated Sat, 23 Nov 2024 05:03 AM IST
सार
शोधकर्ताओं के मुताबिक, वर्षावनों को काटने व जलाने में कमी से हवा में कण पदार्थों की मात्रा को काफी कम किया जा सकता है। इस प्रकार सांस से संबंधित रोगों के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मौतों की संख्या भी कम हो जाती है। जंगलों के संपर्क में आने से गैर-संचारी रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है।
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वर्षावन (सांकेतिक तस्वीर)
- फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
वर्षावनों के संरक्षण से उन इलाकों में रहने वाले लोगों की न केवल सांस की बीमारियों और तनाव में कमी आती है, बल्कि यह जैव विविधता व जलवायु के लिए भी अच्छा है। यह लोगों के समग्र स्वास्थ्य पर सकारात्मक असर डालता है। यह जानकारी जर्नल कम्युनिकेशंस अर्थ एंड एनवायरनमेंट में प्रकाशित बॉन विश्वविद्यालय और ब्राजील में यूनिवर्सिडेड फेडरल डी मिनस गेरैस के अध्ययन में सामने आई है।
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शोधकर्ताओं के मुताबिक, वर्षावनों को काटने व जलाने में कमी से हवा में कण पदार्थों की मात्रा को काफी कम किया जा सकता है। इस प्रकार सांस से संबंधित रोगों के कारण अस्पताल में भर्ती होने और मौतों की संख्या भी कम हो जाती है। जंगलों के संपर्क में आने से गैर-संचारी रोगों के जोखिम को कम किया जा सकता है। जंगल में समय बिताने से मानव तनाव हार्मोन कोर्टिसोल, प्रोजेस्टेरोन व एड्रेनालाईन का स्तर भी कम होता है। इससे मानसिक तनाव कम होता है और लोग खुश रहते हैं।
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जंगल नष्ट होने के बाद मरीजों की संख्या में इजाफा
वर्ष 2019 में अमेजन क्षेत्र में लगभग 70 हजार वर्ग किमी जंगल काट और जला दिया गया था। इसकी पुष्टि इसलिए हुई, क्योंकि वहां की नमी वाली परिस्थितियों में प्राकृतिक आग आमतौर पर दुर्लभ होती है। जंगलों के नष्ट होने के बाद आस-पास के बड़े इलाके में सांस और गैर संचारी रोगों के मरीजों की संख्या में बड़ा इजाफा हुआ था। इस घटना के बाद 1,000 से अधिक लोगों की मौत हो गई थी। इसलिए शोधकर्ताओं की ओर से इस बात की जांच की गई कि जंगलों के संरक्षण के उपाय किए गए इलाकों में रहने वाले लोगों के स्वास्थ्य पर इसका किस हद तक असर पड़ता है।