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उपराष्ट्रपति चुनाव: विपक्ष संग सहमति बनाने के लिए राजनाथ-शाह मोर्चे पर; भाजपा को मिला TDP-JDU व शिवसेना का साथ
अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली
Published by: शिव शुक्ला
Updated Thu, 07 Aug 2025 04:59 AM IST
सार
भाजपा को सभी सहयोगियों का साथ मिलना तय है। इसके अलावा पार्टी की निगाहें गैरकांग्रेस विपक्षी दलों को साधने पर भी है। चूंकि सहयोगियों के समर्थन के बाद जीत को ले कर कोई शंका नहीं है, ऐसे में उम्मीदवार का नाम तय करने के मामले में पार्टी जल्दबाजी में नहीं है।
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उपराष्ट्रपति चुनाव से पहले संघ और भाजपा प्रत्याशी के नाम पर कर रहे मंथन (सांकेतिक)
- फोटो : अमर उजाला ग्राफिक्स
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विस्तार
भाजपा रक्षाबंधन के बाद अगले सप्ताह उपराष्ट्रपति पद के लिए चेहरे पर मंथन की शुरुआत करेगी। इस बीच इस पद के लिए सबसे बड़े दो सहयोगियों जदयू और टीडीपी के अलावा शिवसेना शिंदे का साथ मिलने से पार्टी निश्चिंत है।
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अगले सप्ताह इस पद के लिए चेहरा तय करने के बाद पार्टी अपने उम्मीदवार पर आम सहमति बनाने के लिए विपक्ष से संपर्क साधेगी। हालांकि कांग्रेस के इस पद के लिए विपक्ष की ओर से साझा उम्मीदवार उतारने की कवायद के कारण भाजपा उम्मीदवार का निर्विरोध उपराष्ट्रपति बनने की संभावना कम है। सरकार के सूत्रों ने बताया कि इस पद के लिए सहयोगियों के साथ प्रारंभिक स्तर पर वार्ता हुई है। जदयू और टीडीपी ने पार्टी को उम्मीदवार को समर्थन देने का साफ संदेश दिया है।
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इस बीच शिवसेना शिंदे के प्रमुख एकनाथ शिंदे ने बुधवार को इस चुनाव के लिए भाजपा को बिना शर्त समर्थन देने की सार्वजनिक घोषणा की है। अब भाजपा पहले अगले हफ्ते उम्मीदवार के चयन के बाद सहयोगी दलों से बातचीत करेगी। इसके बाद पार्टी की योजना रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, गृह मंत्री अमित शाह समेत अन्य वरिष्ठ नेताओं को विपक्ष के साथ आमसहमति बनाने के लिए मोर्चे पर उतारने की है।
सूत्र ने कहा कि भाजपा को सभी सहयोगियों का साथ मिलना तय है। इसके अलावा पार्टी की निगाहें गैरकांग्रेस विपक्षी दलों को साधने पर भी है। चूंकि सहयोगियों के समर्थन के बाद जीत को ले कर कोई शंका नहीं है, ऐसे में उम्मीदवार का नाम तय करने के मामले में पार्टी जल्दबाजी में नहीं है। वैसे भी नामांकन की अंतिम तारीख 21 अगस्त है। ऐसे में इसके लिए पार्टी के पास पर्याप्त समय है।
अब तक दो नामों पर चर्चा
उपराष्ट्रपति पद के लिए पार्टी में अब तक दो नामों पर प्रारंभिक चर्चा की बात सामने आई है। इनमें पहला नाम गुजरात के राज्यपाल आचार्य देवव्रत और दूसरा नाम पूर्व केंद्रीय मंत्री संतोष गंगवार का है। इनमें देवव्रत उपराष्ट्रपति पद से इस्तीफा देने वाले जगदीप धनखड़ की बिरादरी से हैं, जबकि बरेली से कई बार सांसद रहे गंगवार कुर्मी बिरादरी से हैं। गंगवार को बीते लोकसभा चुनाव में टिकट नहीं मिला था।
आज रणनीति बनाएगा विपक्षी गठबंधन
बृहस्पतिवार को लोकसभा में नेता प्रतिपक्ष राहुल गांधी गठबंधन के नेताओं के साथ रात्रिभोज पर एसआईआर पर भावी रणनीति के साथ उपराष्ट्रपति चुनाव की रणनीति पर भी चर्चा करेंगे।