Rajya Sabha Polls: लोकसभा के रण के बाद राज्यसभा की 12 सीटों पर उपचुनाव, किस राज्य में किसे हो सकता है फायदा?
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विस्तार
नौ राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों के लिए 3 सितंबर को उपचुनाव होगा। चुनाव आयोग ने बुधवार को उच्च सदन की 12 रिक्त सीटों के लिए कार्यक्रम का एलान कर दिया है। केंद्रीय मंत्रियों पीयूष गोयल, सर्बानंद सोनोवाल और ज्योतिरादित्य सिंधिया समेत मौजूदा सदस्यों के लोकसभा सांसद के तौर पर निर्वाचित होने के बाद राज्यसभा की 10 सीटें खाली हो गई थीं। वहीं बाद में राज्यसभा के दो सदस्यों ने इस्तीफा दे दिया था।
चुनाव आयोग ने नौ राज्यों में होने वाले राज्यसभा उपचुनाव का कार्यक्रम जारी कर दिया है। इनमें हरियाणा में एक बार फिर एनडीए बनाम इंडिया की कड़ी लड़ाई दिख सकती है। महाराष्ट्र के हालिया सियासी घटनाक्रमों को देखते हुए यहां भी राज्यसभा उपचुनाव पर सबकी नजरें टिकी होंगी। आइये जानते हैं कि राज्यसभा उपचुनाव का कार्यक्रम क्या है? लोकसभा चुनावों के बाद किस राज्य में राज्यसभा में कितनी सीटें खाली हुई थीं? कौन से राज्यसभा सदस्य लोकसभा चुनाव में जीते थे?किन दो राज्यसभा दो सदस्यों ने इस्तीफा दिया? हरियाणा और महाराष्ट्र में मुकाबला क्यों कड़ा हो सकता है?
राज्यसभा उपचुनाव का कार्यक्रम क्या है?
चुनाव आयोग ने बुधवार को कहा कि राज्यसभा चुनाव के लिए अधिसूचना 14 अगस्त को जारी की जाएगी। नामांकन पत्र दाखिल करने की अंतिम तिथि 21 अगस्त है। प्रत्येक राज्यसभा सीट के लिए 3 सितंबर को अलग-अलग चुनाव होगा और 3 सितंबर को ही नतीजे घोषित किए जाएंगे।
राज्यसभा में 10 सीटें लोकसभा चुनावों के बाद खाली हो गई थीं। राज्यसभा सचिवालय ने इन रिक्तियों को अधिसूचित किया था। जो सीटें खाली हुईं, उसमें असम, बिहार और महाराष्ट्र में दो-दो, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और त्रिपुरा में एक-एक सीट शामिल हैं। इस अधिसूचना के बाद 7 अगस्त को निर्वाचन आयोग राज्यसभा में इन रिक्तियों को भरने के लिए चुनाव की नई तारीखों की घोषणा की।
मध्य प्रदेश से राज्यसभा के सदस्य रहे ज्योतिरादित्य सिंधिया ने गुना सीट से लोकसभा चुनाव लड़ा था और जीत दर्ज की। भाजपा नेता को केंद्र की मोदी कैबिनेट में दूरसंचार और पूर्वोत्तर विकास मंत्रालय भी सौंपा गया है।
महाराष्ट्र से भाजपा के राज्यसभा के सांसद रहे पीयूष गोयल और उदयनराजे भोंसले अब लोकसभा के सदस्य हैं। मुंबई उत्तर सीट से जीते गोयल को मोदी सरकार में वाणिज्य एवं उद्योग मंत्री बनाया गया। वहीं दूसरे नेता उदयनराजे भोंसले सतारा से लोकसभा सांसद चुने गए।
हरियाणा में पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र हुड्डा के बेटे दीपेंद्र हुड्डा ने रोहतक लोकसभा सीट से चुनाव जीता। पहले वह हरियाणा से कांग्रेस के राज्यसभा के सदस्य थे।
इसके अलावा मीसा भारती (बिहार), विवेक ठाकुर (बिहार), कामाख्या प्रसाद तासा (असम), सर्बानंद सोनोवाल (असम), केसी वेणुगोपाल (राजस्थान) और बिप्लब कुमार देब (त्रिपुरा) भी लोकसभा चुनाव जीते हैं।
लोकसभा चुनाव में जीते ये राज्यसभा सांसद
| सदस्य | राज्य | पार्टी |
| ज्योतिरादित्य सिंधिया | मध्य प्रदेश | भाजपा |
| पीयूष गोयल | महाराष्ट्र | भाजपा |
| उदयनराजे भोंसले | महाराष्ट्र | भाजपा |
| विवेक ठाकुर | बिहार | भाजपा |
| कामाख्या प्रसाद तासा | असम | भाजपा |
| सर्बानंद सोनोवाल | असम | भाजपा |
| बिप्लब कुमार देब | त्रिपुरा | भाजपा |
| दीपेंद्र हुड्डा | हरियाणा | कांग्रेस |
| केसी वेणुगोपाल | राजस्थान | कांग्रेस |
| मीसा भारती | बिहार | राजद |
तेलंगाना और ओडिशा में राज्यसभा की दो सीट के लिए उपचुनाव भी होगा। तेलंगाना में हाल में के. केशव राव ने भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) छोड़कर कांग्रेस में शामिल होने के बाद सदन की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। वहीं बीजू जनता दल (बीजद) की सांसद ममता मोहंता ने राज्यसभा सीट और पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था। मोहंता बीजद से इस्तीफा देकर भाजपा में शामिल हो गईं।
जिन नौ राज्यों की 12 राज्यसभा सीटों के उपचुनाव का कार्यक्रम जारी किया गया है उनमें सात सीटें भाजपा, दो कांग्रेस और एक-एक राष्ट्रीय जनता दल (राजद), बीआरएस और बीजद के पास थीं। कांग्रेस और राजद दोनों ही विपक्षी गठजोड़ के प्रमुख घटक हैं। वहीं बीआरएस और बीजद अभी किसी भी गठजोड़ में शामिल नहीं हैं।
जिन राज्यों में भाजपा उम्मीदवारों के आसानी से जीतने की उम्मीद है, उनमें असम की दो सीटें और त्रिपुरा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और ओडिशा की एक-एक सीट शामिल हैं। बिहार विधानसभा में एनडीए और विपक्षी गठबंधन की संख्या को देखते हुए भाजपा और राजद के आसानी से एक-एक सीट जीतने की संभावना है। तेलंगाना में 2023 के विधानसभा चुनावों में जीत के बाद कांग्रेस को अपनी एकमात्र सीट जीतने की उम्मीद है। हालांकि, महाराष्ट्र और हरियाणा में रिक्त सीटों के लिए होने वाले चुनावों में भाजपा को कड़ी चुनौती का सामना करना पड़ सकता है।
जिन राज्यों में राज्यसभा चुनाव होगा उनमें हरियाणा की लड़ाई सबसे दिलचस्प होगी। दीपेंद्र हुड्डा के रोहतक से लोकसभा सांसद चुने जाने के कारण जरूरी था। 90 सदस्यीय विधानसभा अब 87 सदस्यों की रह गई है। पार्टीवार ताकत पर गौर करें तो भाजपा के पास अपने 41 विधायक हैं। इनके अलावा दो विधायकों -निर्दलीय नयन पाल रावत और हरियाणा लोकहित पार्टी (एचएलपी) के गोपाल कांडा का भी भाजपा को समर्थन है। एक बड़े दांव के तहत भाजपा ने तोशाम की कांग्रेस विधायक किरण चौधरी को पार्टी में शामिल करा लिया है। ऐसे में भाजपा के पास कुल 44 विधायकों का समर्थन हो जाता है।
पिछने महीने ही विधायक किरण चौधरी की सदस्यता रद्द करने की कांग्रेस की मांग को विधानसभा अध्यक्ष ज्ञानचंद गुप्ता ने खारिज कर दी। दरअसल, किरण चौधरी ने कांग्रेस विधायक पद से इस्तीफा दिए बिना भाजपा का दामन थाम लिया था वहीं जजपा के विधायकों की सदस्यता पर भी अभी कोई फैसला नहीं हुआ है।
वहीं दूसरी ओर विपक्ष की तरफ गौर करें तो इधर कागज में 43 विधायक दिखाई देते हैं। इनमें कांग्रेस के 28 विधायक, जननायक जनता पार्टी (जजपा) के 10 और तीन निर्दलीय (रणधीर गोलान, धर्म पाल गोंदर और सोमवीर सांगवान), चौथे निर्दलीय बलराज कुंडू और इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के अभय चौटाला शामिल हैं। तीन निर्दलीय रणधीर गोलान, धर्म पाल गोंदर और सोमवीर सांगवान ने पहले सरकार को समर्थन दिया था लेकिन हाल ही में उन्होंने कांग्रेस का समर्थन कर दिया। महम से निर्दलीय विधायक बलराज कुंडू ने न तो भाजपा को और न ही कांग्रेस को समर्थन दिया है। इनेलो के अभय चौटाला ने भी अभी तक किसी पार्टी को समर्थन देने की घोषणा नहीं की है। कांग्रेस पहले उम्मीद कर रही थी कि अगर उसे सभी विपक्षी विधायकों का समर्थन मिल गया तो वह भाजपा से चुनाव जीत सकती है। हालांकि, किरण चौधरी के भाजपा में शामिल होने के बाद मामला पलट गया है।
इस बीच, पूर्व सीएम भूपेंद्र सिंह हुड्डा ने राज्यसभा चुनाव में कांग्रेस की उम्मीदवारी को लेकर बयान दिया है। भूपेंद्र ने कहा कि उनके पास हरियाणा में 28 विधायक हैं और तीन निर्दलीय विधायकों का उन्हें समर्थन है। कुल मिलाकर उनके पास 31 विधायक हैं। एक महिला विधायक अयोग्य हैं, विधानसभा अध्यक्ष उन पर कार्रवाई नहीं कर रहे। वहीं जीतने के लिए 44 विधायकों की आवश्यकता है। कोई भी 13 विधायक लेकर आ जाए, हम उसका समर्थन कर देंगे।
यहां छत्रपति शिवाजी महाराज के वंशज उदयनराजे भोंसले और केंद्रीय वाणिज्य मंत्री पीयूष गोयल के लोकसभा के लिए निर्वाचित होने के कारण राज्यसभा की सीटें खाली हो गईं। राज्य में सत्तारूढ़ महायुति के पास पर्याप्त संख्या बल है। इसके बावजूद विपक्ष द्वारा उम्मीदवार उतारने की स्थिति में यहां मुकाबला दिलचस्प हो सकता है। ऐसा इसलिए क्योंकि केंद्रीय मंत्रिमंडल में स्थान न मिलने से एनडीए के घटक दलों में शिवसेना और एनसीपी में नाराजगी के सुर दिखाई पड़े थे।