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राज्यसभा : गतिरोध मिटाने के लिए सदस्यों के संपर्क में थे नायडू, सचिवालय ने भी विपक्षी दलों पर फोड़ा ठीकरा

अमर उजाला ब्यूरो, नई दिल्ली। Published by: योगेश साहू Updated Fri, 24 Dec 2021 05:47 AM IST
सार

सचिवालय का कहना है, सदन में 12 सांसदों के निलंबन का कारण बनी 11 अगस्त की घटना की जांच के लिए सभापति द्वारा प्रस्तावित समिति में कुछ विपक्षी दलों ने तो अपने सदस्यों को नामित करने से भी इनकार कर दिया।

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Rajya Sabha: M Venkaiah Naidu was in touch with the members to end the deadlock, secretariat also blamed opposition parties
राज्यसभा के चेयरमैन एम वेंकैया नायडू - फोटो : एएनआई
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विस्तार
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राज्यसभा सचिवालय ने कहा है कि सांसदों के निलंबन को लेकर उपजा गतिरोध खत्म करने के लिए सभापति एम वेंकैया नायडू उच्च सदन के सदस्यों से लगातार संपर्क में थे। लेकिन कुछ नेताओं ने गतिरोध और स्थगनों को लेकर राज्यसभा की कार्यवाही को तथ्यात्मक तौर पर गलत ढंग से पेश किया है।

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बृहस्पतिवार को एक बयान जारी कर सचिवालय ने कहा, महासचिव ने राज्यसभा के शीतकालीन सत्र से जुड़ी मीडिया रिपोर्टों पर चर्चा और उनकी समीक्षा की। इस दौरान पाया गया कि सदन में गतिरोध और सत्र के दौरान स्थगनों को लेकर कुछ सदस्यों की टिप्पणियों के आधार पर तथ्यात्मक रूप से गलत वर्णन पेश किया गया है। 
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असल में सभापति सदन की सुचारू कार्यवाही का रास्ता निकालने के लिए पक्ष और विपक्ष के नेताओं से लगातार बातचीत में जुटे थे। यहां तक कि उन्होंने गतिरोध खत्म करने के लिए आगे आए सांसदों की सराहना भी की। 

लेकिन सांसदों के गलत आचरण पर खेद जताए जाने को लेकर विपक्षी दलों के एकमत न होने से हल नहीं निकला। लिहाजा, संबंधित दलों द्वारा यह कहा जाना भ्रामक और गलत है कि सभापति ने गतिरोध दूर करने की पहल नहीं की।

खेद जताने का प्रस्ताव आया पर दल नहीं माने
बयान के मुताबिक, शुरुआत में यह प्रस्ताव आया था कि उच्च सदन में नेता विपक्ष सभी निलंबित सांसदों की ओर से खेद व्यक्त करेंगे। लेकिन बाद में यह बात उठी कि कुछ निलंबित सांसदों के दल नेता विपक्ष के इस कदम से सहमत नहीं हुए तो क्या होगा। सभापति ने सुझाव दिया, खेद जताने से बेहतर यही होगा कि संबंधित पक्ष बात करें।

कुछ दलों ने जांच समिति के सदस्य तक नामित नहीं किए
सचिवालय का कहना है, सदन में 12 सांसदों के निलंबन का कारण बनी 11 अगस्त की घटना की जांच के लिए सभापति द्वारा प्रस्तावित समिति में कुछ विपक्षी दलों ने तो अपने सदस्यों को नामित करने से भी इनकार कर दिया।

...वरना हो जाता निलंबन वापस...
बयान में कहा गया है, सभापति ने केंद्र को खेद व्यक्त किए जाने के बाद निलंबन समाप्त करने का प्रस्ताव पेश करने का भी सुझाव दे दिया था।

सभापति नायडू ने सरकार और विपक्ष के बीच गतिरोध दूर करने की कोशिश की लेकिन कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस सदन को नहीं चलने देने पर अडिग रहे। - प्रह्लाद जोशी, संसदीय कार्य मंत्री

जब जेटली ने मांगी थी सांसदों की ओर से माफी...
सचिवालय ने पूर्व में नेता विपक्ष द्वारा सांसदों की ओर से खेद जताने का उदाहरण भी दिया है, जिसका जिक्र नायडू की नेताओं से बातचीत के दौरान भी हुआ था। बयान में बताया गया है, 2010 में महिला आरक्षण विधेयक पारित होने के दौरान अपने गलत आचरण के लिए निलंबित हुए सात सांसदों (भाजपा के एक भी नहीं) की ओर से राज्यसभा में तत्कालीन नेता विपक्ष अरुण जेटली ने खेद व्यक्त किया था।

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