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Delhi Riots: '15 मिनट में बात खत्म कीजिए', दिल्ली दंगा मामले में आरोपियों के वकील को सुप्रीम कोर्ट का निर्देश

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Wed, 03 Dec 2025 04:11 PM IST
सार

2020 के दिल्ली दंगे पर सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के वकील और सरकार को निर्देश दिया है कि वे सभी तय समय में अपनी बहस खत्म करें। कोर्ट ने आरोपियों के वकील के लिए 15 मिनट और सरकार के लिए 30 मिनट का समय तय किया है। पढ़ें सुप्रीम कोर्ट ने और क्या-क्या निर्देश दिए हैं।

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Restrict arguments to 15 minutes: Supreme Court to accused in Delhi riots case
सुप्रीम कोर्ट (फाइल तस्वीर) - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने 2020 दिल्ली दंगा मामले की सुनवाई के दौरान बुधवार को एक महत्वपूर्ण निर्देश दिया। अदालत ने कहा कि इस मामले में बहस काफी लंबी हो चुकी है, इसलिए अब समय सीमा तय की जा रही है। अदालत ने आरोपियों के वकीलों से कहा कि वे अपनी मौखिक दलीलें 15 मिनट में सीमित रखें।
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'एएसजी को सफाई के लिए 30 मिनट'
इस दौरान न्यायमूर्ति अरविंद कुमार और एनवी अंजरिया की पीठ ने यह भी कहा कि आरोपियों की दलीलों पर अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल एसवी राजू की तरफ से की जाने वाली सफाई या जवाब 30 मिनट से अधिक नहीं होनी चाहिए। अदालत ने मामले की अगली सुनवाई 9 दिसंबर के लिए तय की है।
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आरोपियों के स्थायी पते जमा करने का भी निर्देश
इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट ने आरोपियों के वकीलों को उनके स्थायी पते जमा करने का भी निर्देश दिया। इस सुनवाई के दौरान कार्यकर्ता शरजील इमाम की ओर से पेश वरिष्ठ वकील सिद्धार्थ दवे ने कहा कि उनके मुवक्किल को बिना ट्रायल और बिना किसी दोषसिद्धि के 'खतरनाक आतंकी' बताया जा रहा है। उन्होंने कहा कि इमाम 28 जनवरी 2020 को गिरफ्तार हुए थे, यानी दंगे होने से पहले।

कपिल सिब्बल बोले दंगे के दौरान दिल्ली में नहीं थे उमर खालिद
वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने उमर खालिद की तरफ से कहा कि दंगे के दौरान उनका मुवक्किल दिल्ली में मौजूद ही नहीं था। वहीं वरिष्ठ वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने कहा कि आरोपी गल्फिशा फातिमा लगभग छह साल से जेल में हैं और मुकदमे में देरी असामान्य और चौंकाने वाली है।

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आरोपियों की जमानत का दिल्ली पुलिस ने किया विरोध
दिल्ली पुलिस ने इन सभी की जमानत का कड़ा विरोध करते हुए कहा कि फरवरी 2020 के दंगे अचानक नहीं हुए थे, बल्कि यह एक योजनाबद्ध साजिश थी। पुलिस का दावा है कि इन आरोपियों को यूएपीए और आईपीसी के तहत इसलिए गिरफ्तार किया गया क्योंकि वे दंगों के 'मुख्य साजिशकर्ता' थे। इन दंगों में 53 लोगों की मौत हुई थी और 700 से अधिक लोग घायल हुए थे। ये हिंसा सीएए और एनआरसी के खिलाफ चल रहे प्रदर्शन के दौरान भड़की थी।

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