Results 2023: कितना चला BJP का 'सांसदों' वाला दांव? MP-छत्तीसगढ़ और राजस्थान में पार्टी ने ऐसे पलटा खेल
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विस्तार
चार राज्यों के विधानसभा चुनावों की मतगणना जारी है। अब तक रुझानों के मुताबिक, मध्य प्रदेश, राजस्थान और छत्तीसगढ़ में भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) जबकि तेलंगाना में कांग्रेस आगे चल रही है। मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा में भाजपा ने 163 सीटों पर जीत दर्ज की। जबकि कांग्रेस 66 सीटों तक ही समिट गई। भाजपा राजस्थान में सत्तारूढ़ कांग्रेस से भी काफी आगे निकल गई। यहां की जनता पिछले तीन दशक से हर चुनाव में सरकार बदलती रही है। भाजपा ने 115 सीटों पर जीत दर्ज की, जबकि कांग्रेस 69 सीटों पर ही कब्जा कर सकी। इसके साथ ही कांग्रेस शासित छत्तीसगढ़ में भी भाजपा ने 54 सीट और कांग्रेस 36 सीट अपने नाम की है।
परिणामों को देखें तो भाजपा की 'सांसदों' वाली रणनीति कारगर साबित होती दिखी। दरअसल, भाजपा ने इन राज्यों के विधानसभा चुनाव में कई सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा था। पार्टी ने मध्य प्रदेश और राजस्थान में सात-सात और छत्तीसगढ़ में चार मौजूदा सांसदों को टिकट दिया था। आइए जानते हैं भाजपा की यह रणनीति कितनी कारगर साबित हुई...
पहले जानते हैं मध्य प्रदेश में भाजपा ने किन सांसदों को उतारा
मध्य प्रदेश की 230 सदस्यीय विधानसभा के लिए 17 नवंबर को वोट डाले गए थे। यहां भाजपा का कांग्रेस से सीधा मुकाबला था। राज्य की अहमियत समझते हुए भाजपा ने यहां अपनी पूरी ताकत झोंक दी थी। पार्टी ने सात सांसदों को विधायकी का चुनाव लड़ाकर इस बात का संकेत दे दिया था कि वह इस चुनाव को हल्के में नहीं ले रही। आइए जानते हैं सांसदों का हाल...
- नरेंद्र सिंह तोमर (दिमनी): केंद्रीय मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर विधानसभा सीट दिमनी से चुनाव लड़ा था। वर्तमान में यह सीट कांग्रेस के पास थी। 2018 के चुनाव में रविंद्र तोमर यहां से जीते थे। कांग्रेस ने इस बार भी रविंद्र पर ही दांव खेला था। आखिरकार दिमनी सीट पर भाजपा के नरेंद्र तोमर ने बाजी मारी है। उन्होंने 24461 सीटों से बहुजन समाज पार्टी के बलवीर सिंह को शिकस्त दी।
- प्रहलाद पटेल (नरसिंहपुर): केंद्रीय मंत्री प्रहलाद पटेल महाकोशल की सीट नरसिंहपुर से चुनाव मैदान में थे। वर्तमान में यह सीट भाजपा के ही पास है। 2018 के चुनाव में प्रहलाद पटेल के भाई जालम यहां से चुनाव जीते थे। लेकिन इस बार उनके स्थान पर उनके बड़े भाई प्रह्लाद पटेल को टिकट दिया गया था। आखिरकार उन्होंने 31310 वोटों से कांग्रेस के लखन सिंह पटेल को शिकस्त दी।
- फग्गन सिंह कुलस्ते (निवास): केंद्रीय मंत्री फग्गन सिंह कुलस्ते मंडला की निवास सीट से चुनाव प्रत्याशी थे। ये सीट भी महाकौशल में आती है। कांग्रेस ने सिटिंग एमएलए का टिकट काटकर चैन सिंह को टिकट दिया था। अभी ये सीट कांग्रेस के पास है, जिसे जीतने का दवाब कुलस्ते पर था। भाजपा के उम्मीदवार फग्गन सिंह कुलस्ते कांग्रेस के प्रत्याशी चैन सिंह से 9723 वोटों से हार गए हैं।
- उदयराव प्रताप सिंह (गाडरवाड़ा): सांसद उदयराव प्रताप सिंह नरसिंहपुर की गाडरवाड़ा सीट से उम्मीदवार थे। ये सीट भी महाकौशल में आती है। कांग्रेस की सुनीता पटेल उदयराव के सामने थीं। ये सीट अभी कांग्रेस के पास ही थी। हालांकि इस सीट पर भाजपा के प्रत्याशी ने 56529 वोटों से जीत दर्ज कर ली हैं।
- रीती पाठक (सीधी): सांसद रीती पाठक सीधी सीट से चुनाव लड़ रही थीं। यहां भाजपा के बागी केदार शुक्ल ने इनकी मुश्किलें बढ़ा रखी थीं। कांग्रेस ने यहां से ज्ञान सिंह को टिकट उतारा था। रीति पाठक ने सीधी सीट से जीत दर्ज की है।
- गणेश सिंह (सतना): सांसद गणेश सिंह सतना से प्रत्याशी थे। उनका मुकाबला कांग्रेस के सिद्धार्थ कुशवाहा से था। ये सीट अभी कांग्रेस के पास है। भाजपा के गणेश सिंह को कांग्रेस प्रत्याशी ने 4041 वोटों से शिकस्त दी।
- राकेश सिंह (जबलपुर पश्चिम): सांसद राकेश सिंह जबलपुर पश्चिम से चुनाव मैदान में थे। उनके सामने कांग्रेस के पूर्व मंत्री तरुण भनोट थे। ये सीट कांग्रेस के पास थी, लेकिन अब यहां समीकरण बदलते दिख रहे हैं। राकेश सिंह ने 30134 वोटों से इस सीट पर जीत दर्ज की है।
राजस्थान में इन सांसदों पर लगाया था दांव
राज्यवर्धन सिंह राठौड़ को झोटावाड़ा विधानसभा सीट से चुनाव मैदान में उतारा गया था। इसी तरह दिया कुमारी को विद्याधर नगर, बाबा बालकनाथ को तिजारा, डॉ. किरोड़ी लाल मीणा को सवाई माधोपुर, भागीरथ चौधरी को किशनगढ़, देवजी पटेल को सांचोर और नरेंद्र कुमार खींचड़ को मंडावा सीट से प्रत्याशी बनाया गया था।
- राज्यवर्धन सिंह राठौड़: भाजपा ने सांसद राठौड़ को जयपुर की झोटवाड़ा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। राठौड़ जयपुर ग्रामीण लोकसभा सीट से सांसद और कंद्रीय सूचना एवं प्रसारण राज्यमंत्री भी हैं। इनका जन्म 29 जनवरी 1970 को जैसलमेर में हुआ था। राठौड़ पूर्व निशानेबाज भी रहे हैं। राज्यवर्धन ने इस सीट पर 50167 मतों से जीत दर्ज की हैं।
- दीया कुमारी: भाजपा ने इन्हें विद्याधर नगर सीट से प्रत्याशी बनाया था। ये सीट भी जयपुर जिले में आती है। दिया कुमारी का जन्म जयपुर में हुआ था। वे राजसमंद सीट से सांसद हैं। इससे पहले वे सवाई माधोपुर से विधायक भी रह चुकी हैं। जयपुर की राजकुमारी दिया जयपुर के महाराजा सवाई सिंह और महारानी पद्मिनी देवी की बेटी हैं। 10 सितंबर 2013 को राजनीतक सफर की शुरुआत करते हुए दिया भाजपा में शामिल हुई थीं। दीया कुमारी ने 71368 वोटों से जीत दर्ज की है।
- बाबा बालकनाथ: विधानसभा चुनाव में भाजपा ने बाबा को तिजारा विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। ये राजस्थान के अलवर जिले की सीट है। बालकनाथ वर्तमान में अलवर लोकसभा सीट से सांसद और बाबा मस्त नाथ विश्वविद्यालय के चांसलर भी हैं। वह नाथ संप्रदाय के आठवें प्रमुख महंत हैं। बाबा बालकनाथ का जन्म 16 अप्रैल 1984 को कोहराणा गांव में हुआ था। भाजपा के बाबा बालकनाथ ने कांग्रेस के प्रत्याशी इमरान खान को 6173 मतों से हरा दिया है।
- डॉ. किरोड़ी लाल मीणा: राज्यसभा सांसद मीणा को भाजपा ने सवाई माधोपुर सीट से टिकट दिया था। मीणा किसान छवि के नेता हैं, पूर्वी राजस्थान में उनकी पकड़ मजबूत है। इसी का नतीजा है कि उन्हें प्रदेश में 'बाबा' के नाम से भी जाना जाता है। किरोड़ी लाल मीणा भाजपा के टिकट पर चुनाव लड़कर कई बार विधायक और सांसद बन चुके हैं। एक ये भाजपा से अलग होकर पीए संगमा की पार्टी राष्ट्रीय जनता पार्टी (राजपा ) में शामिल भी हो गए थे, लेकिन सफलता नहीं मिली। एक बार दौसा से निर्दलीय चुनाव लड़कर सांसद भी बन चुके हैं। 71 साल के सांसद मीणा का जन्म 3 नवंबर 1951 को दौसा में हुआ था। हालांकि इस विधानसभा सीट पर भी उन्होंने 22510 वोटों से जीत दर्ज की हैं।
- भागीरथ चौधरी: भाजपा ने सासंद चौधरी को किशनगढ़ सीट से प्रत्याशी बनाया था। ये विधानसभा सीट अजमेर जिले में आती है। भागीरथ अजमेर लोकसभा सीट से सांसद हैं। राजस्थान 2013 विधानसभा चुनाव में वे किशनगढ़ सीट से विधायक भी रह चुके हैं। भाजपा ने पुरानी सीट से ही 16 जून 1954 में जन्मे भागीरथ को एक बार फिर प्रत्याशी बनाया, लेकिन यह दांव उल्टा पड़ता दिख रहा है। भागीरथ चौधरी 37534 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे। किशनगढ़ सीट पर इन्हें करारी शिकस्त मिली।
- देवजी पटेल: सांचोर विधानसभा सीट से भाजपा ने पटेल को प्रत्याशी बनाया था। ये सीट जालोर जिले में आती है। देवजी पटले जालोर सिरोही संसदीय क्षेत्र से तीसरी बार सांसद हैं। वे 2009, 2014 और 2019 के लोकसभा चुनाव में लगातार जीते हैं। 47 साल के देवजी पटेल को देवजी भाई एम पटेल के नाम से भी जाना जाता है। उनका जन्म 24 सितंबर 1976 को जालौर के जाजुसन सांचोर में हुआ था। हालांकि सांचोर विधानसभा सीट पर देवजी पटेल 30535 वोटों के साथ तीसरे स्थान पर रहे।
- नरेंद्र कुमार खीचड़: भाजपा ने मंडावा सीट से नरेंद्र को विधानसभा चुनाव में प्रत्याशी बनाया था। ये सीट प्रदेश के झुंझुनूं जिले में आती है। नरेंद्र वर्तमान में लोकसभा सीट झुंझुनूं से ही सांसद हैं। नरेंद्र अपने क्षेत्र में 'प्रधानजी' के नाम से लोकप्रिय हैं। नरेंद्र 2004 में भाजपा में शामिल हुए थे। 2008 में चुनाव लड़े, लेकिन हार का सामना करना पड़ा। 2013 में भाजपा ने टिकट नहीं तो निर्दलीय चुनाव लड़ा और जीत दर्ज कर विधायक बने। इसके बाद फिर भाजपा का दामन थाम लिया। 2018 में भी विधानसभा चुनाव जीते। इस बार फिर भाजपा ने उन्हें टिकट दिया, लेकिन वे कमाल करते दिखाई नहीं दिए। मंडावा सीट से नरेंद्र कुमार 18717 वोटों से हार गए हैं।
छत्तीसगढ़ में चार सांसदों की किस्मत दांव पर
छत्तीसगढ़ की 90 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में चुनाव कराए गए थे। पहले चरण के तहत 20 सीटों पर 7 नवंबर और दूसरे चरण के तहत 70 सीटों पर 17 नवंबर को वोट डाले गए थे। भाजपा ने यहां अपने चार सांसदों को चुनावी मैदान में उतारा था। आइए जानते हैं उनका क्या हुआ...
- रेणुका सिंह (भरतपुर-सोनहत): केंद्रीय राज्य मंत्री सरगुजा संसदीय सीट से सांसद हैं। रेणुका सिंह 2003 में विधायक रह चुकी हैं। केंद्रीय मंत्री बनने के बाद क्षेत्र में उनका जनाधार बढ़ा। वे प्रेम नगर सीट से 2003, 2008 में विधायक भी रह चुकी हैं। रेणुका सिंह ने भरतपुर-सोनहत सीट पर 4919 सीटों से जीत दर्ज की।
- गोमती साय (पत्थलगांव): गोमती साय रायगढ़ लोकसभा सीट से सांसद हैं। उन्हें भाजपा ने पत्थलगांव विधानसभा सीट से प्रत्याशी बनाया था। उनका मुकाबला कांग्रेस के रामपुकार सिंह ठाकुर से था। भाजपा के गोमती साय ने कांग्रेस प्रत्याशी रामपुकार सिंह ठाकुर को केवल 255 मतों से शिकस्त दी।
- अरुण साव (लोरमी): बिलासपुर संसदीय सीट से सांसद हैं। साव पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं। अरुण साव को लोरमी से चुनाव मैदान में उतारा गया था। बिलासपुर से सांसद होने के कारण साव का प्रभाव कई सीटों पर है, इसलिए उन्हें उम्मीदवार बनाया गया। आखिरकार कांग्रेस प्रत्याशी को करारी शिकस्त देते हुए भाजपा के अरुण साव 45891 वोटों से जीतें।
- विजय बघेल (पाटन): विजय बघेल 2019 में पहली बार लोकसभा के लिए चुने गए। उन्होंने दुर्ग लोकसभा सीट से चुनाव जीता था। इससे पहले वे तीन बार विधानसभा चुनाव भी लड़ चुके हैं। इस बार पार्टी ने उन्हें चाचा और प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के सामने मैदान में उतारा था। उन्होंने उन्हें कड़ी टक्कर भी दी। दोनों कई बार एक-दूसरे से आगे भी निकले। हालांकि अंत में विजय बघेल अपने चाचा और प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल से चुनाव हार गए।