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Supreme Court: संजय सिंह की याचिका सुप्रीम कोर्ट में खारिज, UP में 105 प्राइमरी स्कूल बंद करने को दी थी चुनौती

न्यूज डेस्क, अमर उजाला, नई दिल्ली Published by: पवन पांडेय Updated Mon, 18 Aug 2025 01:59 PM IST
सार

सुप्रीम कोर्ट ने आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की याचिका पर सुनवाई से इनकार कर दिया। अदालत ने कहा कि यह मामला पहले से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है, इसलिए हाईकोर्ट ही इस पर अंतिम फैसला लेगा। न्यायमूर्ति दीपांकर दत्ता और न्यायमूर्ति एजी मसीह की पीठ ने सुनवाई के दौरान कहा कि यह मामला बच्चों के शिक्षा के अधिकार से जुड़ा है और इसे उच्च न्यायालय ही देखे।

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Sanjay Singh's petition rejected in Supreme Court, he had challenged the closure of 105 primary schools in UP
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो) - फोटो : ANI
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विस्तार
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सुप्रीम कोर्ट ने सोमवार को आम आदमी पार्टी (आप) के राज्यसभा सांसद संजय सिंह की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें उत्तर प्रदेश सरकार की तरफ से 105 सरकारी प्राथमिक विद्यालय बंद करने के फैसले को चुनौती दी गई थी। अदालत ने कहा कि चूंकि यह मामला पहले से ही इलाहाबाद हाईकोर्ट में लंबित है, इसलिए वही अदालत इस पर फैसला लेगी।
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'हजारों बच्चों का भविष्य दांव पर'
मामले की सुनवाई के दौरान वरिष्ठ अधिवक्ता कपिल सिब्बल ने कहा कि स्कूल बंद करने से हजारों बच्चों की शिक्षा खतरे में पड़ जाएगी। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने माना कि मामला गंभीर है और हाईकोर्ट को इसे प्राथमिकता से निपटाना चाहिए।

क्या है यूपी सरकार का तर्क?
राज्य सरकार ने 16 जून और 24 जून को आदेश जारी कर 105 प्राथमिक विद्यालय बंद करने या उन्हें पास के अन्य स्कूलों से जोड़ने का फैसला किया। सरकार का कहना है कि इन स्कूलों में या तो कोई विद्यार्थी नामांकित नहीं था या फिर बहुत कम बच्चे पढ़ रहे थे।

याचिका में क्या-क्या उठाए गए मुद्दे?
संजय सिंह ने अपनी याचिका में इस फैसले को मनमाना और असंवैधानिक करार दिया। उनका कहना है कि यह कदम बच्चों के मौलिक अधिकार (अनुच्छेद 21ए) और शिक्षा का अधिकार अधिनियम, 2009 का उल्लंघन है। नियम 4(1)(a) के अनुसार, 300 से अधिक आबादी वाले हर क्षेत्र में एक किलोमीटर के दायरे में प्राथमिक विद्यालय होना चाहिए।  स्कूल बंद करने से गरीब, एससी-एसटी, अल्पसंख्यक और खासकर लड़कियों पर सीधा असर पड़ेगा। सुरक्षा और दूरी की चिंता के कारण कई माता-पिता बच्चों को स्कूल भेजना बंद कर देंगे। इससे बच्चे पढ़ाई छोड़कर मजदूरी या घरेलू कामकाज में धकेले जा सकते हैं।

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बिना परामर्श लिया गया फैसला
याचिका में कहा गया कि स्कूल बंद करने या मिलाने का निर्णय बिना सार्वजनिक परामर्श और बिना स्कूल प्रबंधन समितियों की राय लिए लिया गया, जबकि कानून इसकी मांग करता है। इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ने संजय सिंह को यह स्वतंत्रता दी है कि वे सीधे इलाहाबाद हाईकोर्ट में जाकर मामले को उठाएं। अदालत ने कहा कि बच्चों का भविष्य बेहद अहम है और हाईकोर्ट को इसे जल्दी से जल्दी सुलझाना चाहिए।
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