आरजी कर डॉक्टर मामला: SC का सवाल- पोस्टमार्टम के लिए सरकार ने जरूरी दस्तावेज क्यों नहीं सौंपे, सीबीआई जांच करे
सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सीआईएसएफ की एक कंपनी को आरजी कर कॉलेज में आरएमए क्वार्टर, कोलकाता नगर निगम स्कूल और इंदिरा मातृ सदन में ठहराया गया है। सीआईएसएफ की तीन कंपनियों को पर्याप्त आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है।
विस्तार
कोलकाता के आरजी कर मेडिकल कॉलेज में जूनियर डॉक्टर की हत्या के मामले की सुनवाई कर रहे सुप्रीम कोर्ट ने पश्चिम बंगाल सरकार को सख्त निर्देश जारी किए। कोर्ट ने कहा कि पश्चिम बंगाल सरकार आरजी कर अस्पताल में तैनात केंद्रीय औद्योगिक सुरक्षा बल (CISF) को शाम तक आवास और सुरक्षा उपकरण की सुविधा उपलब्ध कराए। सुप्रीम कोर्ट ने आरजी कर मेडिकल कॉलेज और अस्पताल में दुष्कर्म और हत्या की शिकार जूनियर डॉक्टर के शव के पोस्टमार्टम के लिए जरूरी एक महत्वपूर्ण दस्तावेज नहीं होने पर भी चिंता जताई।
शीर्ष अदालत ने पश्चिम बंगाल सरकार और मामले की जांच कर रहे केंद्रीय जांच ब्यूरो (सीबीआई) से पूछा कि शव को पोस्टमार्टम के लिए सौंपा गया तो उसका चालान कहां है? कोर्ट ने सीबीआई से इसकी जांच करने को भी कहा। पीठ ने कहा कि इस्तेमाल किए गए चालान का कोई संदर्भ नहीं है। सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने पीठ को सूचित किया कि चालान उनके रिकॉर्ड का हिस्सा नहीं है। वहीं, बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने पीठ से कहा कि उन्हें दस्तावेज तुरंत नहीं मिल सका और वह इस सवाल का जवाब अदालत को बाद में देंगे।
पुलिस ने एफआईआर में की 14 घंटे की देरी...
पीठ ने घटना के संबंध में सीबीआई की स्थिति रिपोर्ट पर गौर किया। कहा कि एक बात बहुत स्पष्ट है कि कोलकाता पुलिस की ओर से एफआईआर दर्ज करने में कम से कम 14 घंटे की देरी हुई है। सीबीआई को अब तक की जांच में हुई प्रगति पर 16 सितंबर तक एक नई रिपोर्ट दाखिल करने को कहा और मामले की अगली सुनवाई 17 सितंबर तय की।
CISF को सभी सुविधाएं मुहैया कराए पश्चिम बंगाल सरकार
मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की पीठ ने राज्य सरकार को गृह विभाग के एक अधिकारी और CISF के एक अधिकारी को मिलकर काम करने के लिए नामित करने के भी निर्देश दिए। सुनवाई के दौरान अदालत को सीबीआई की ओर से पेश सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने बताया कि सीआईएसएफ की एक कंपनी को आरजी कर कॉलेज में आरएमए क्वार्टर, कोलकाता नगर निगम स्कूल और इंदिरा मातृ सदन में ठहराया गया है। उन्होंने कहा कि अस्पताल में सुरक्षा प्रदान करने के लिए तैनात सीआईएसएफ की तीन कंपनियों की महिलाओं सहित कर्मियों को पर्याप्त आवास उपलब्ध नहीं कराया गया है। कंपनियों को छह बसें और चार ट्रक और तीन हल्के मोटर वाहन उपलब्ध कराए गए हैं। कोर्ट ने सरकार से कहा कि शाम पांच बजे तक कंपनियों की सभी जरूरतों पर गौर किया जाए और रात नौ बजे तक आवश्यक सुरक्षा उपकरण उपलब्ध करा दिए जाएं।
इस पर पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ वकील कपिल सिब्बल ने दावा किया कि सुरक्षा बल ने जो भी सुविधाएं मांगी थीं, वो दी गईं हैं। अधिकांश कर्मी अस्पताल परिसर में रह रहे थे। केंद्र सरकार ने सीआईएसएफ को साजोसामान सहायता प्रदान करने में पश्चिम बंगाल सरकार पर अक्षम्य असहयोग करने का आरोप लगाते हुए तीन सितंबर को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया था।
केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इसे तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) सरकार की अस्वस्थता का लक्षण बताते हुए पश्चिम बंगाल के अधिकारियों को सीआईएसएफ का सहयोग करने का निर्देश देने की मांग की थी। याचिका में कहा गया था कि आरजी कर अस्पताल में तैनात सीआईएसएफ कर्मियों को आवास और बुनियादी सुरक्षा उपकरणों की कमी के चलते कठिनाइयों का सामना करना पड़ रहा है। तमाम सैनिक वर्तमान में सीआईएसएफ यूनिट एसएमपी कोलकाता में रह रहे हैं।
याचिका में कहा गया कि एसएसपी से अस्पताल तक यात्रा में एक तरफ से एक घंटा लगता है। ऐसे में ठीक से काम करना और आपात स्थिति के लिए सैनिकों को इकट्ठा करना कठिन है। गृह मंत्रालय ने यह भी कहा कि दो सितंबर को पत्र लिखकर पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव से बल को आवश्यक पर्याप्त रसद व्यवस्था और सुरक्षा उपकरण उपलब्ध कराने का अनुरोध किया था। मगर राज्य सरकार की ओर से कोई प्रतिक्रिया नहीं आई।
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म से तस्वीरें हटाने का निर्देश
शीर्ष अदालत ने मृतका की गरिमा और गोपनीयता की रक्षा के लिए उसकी तस्वीरों को सभी सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म और इलेक्ट्रॉनिक मीडिया से तत्काल हटाने का भी निर्देश दिया।
पोस्टमार्टम के समय का जिक्र नहीं, केवल 27 मिनट के फुटेज मिले...
सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट को बताया कि पोस्टमार्टम रिपोर्ट में इस बात का जिक्र नहीं है कि वह कब किया गया, जो ऐसे मामलों में एक महत्वपूर्ण विवरण है। उन्होंने सुप्रीम कोर्ट को बताया कि 27 मिनट के कुल चार वीडियो क्लिप सीबीआई को सौंपे गए हैं।
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