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चिंताजनक: रबी फसलों की बुवाई के साथ ही कई राज्यों में भूजल स्तर गिरा, यूपी में 14, असम में 13 फीसदी कम बारिश

अमर उजाला नेटवर्क Published by: शुभम कुमार Updated Fri, 20 Dec 2024 05:31 AM IST
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सार

देश का लगभग 90 फीसदी भूजल कृषि के लिए उपयोग किया जाता है। 2022 के सरकारी आकलन के अनुसार जल संसाधनों के अस्थिर उपयोग के कारण ब्रेडबास्केट राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भूजल निष्कर्षण की दर 100 फीसदी से अधिक है।

sowing of Rabi crops the ground water level fell in many states UP 14% less rain Assam received 13% less rain
सांकेतिक तस्वीर - फोटो : अमर उजाला
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विस्तार
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रबी फसलों की बुवाई के साथ ही जिन क्षेत्रों में कम बारिश हुई है वहां भूजल स्तर गिरने लगा है। कृषि मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार अब तक 558 लाख हेक्टेयर से अधिक क्षेत्र में बुवाई हो चुकी है। वहीं पिछले सीजन में समान अवधि में 556.67 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी।
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पिछले तीन महीने से बारिश न होने के कारण किसानों ने बुवाई के लिए भारी मात्रा में भूजल का इस्तेमाल किया। इस वजह से उत्तर प्रदेश, पंजाब, हरियाणा, मध्य प्रदेश और राजस्थान के जिन क्षेत्रों में सामान्य से कम मानसूनी बारिश हुई थी वहां भूजल का स्तर तेजी से कम होने लगा है।
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यूपी में 14, असम में 13 फीसदी कम बारिश
देश का लगभग 90 फीसदी भूजल कृषि के लिए उपयोग किया जाता है। 2022 के सरकारी आकलन के अनुसार जल संसाधनों के अस्थिर उपयोग के कारण ब्रेडबास्केट राज्यों पंजाब, हरियाणा और राजस्थान में भूजल निष्कर्षण की दर 100 फीसदी से अधिक है। पिछले मानसून के दौरान उत्तर प्रदेश में 14 फीसदी बारिश की कमी जबकि असम में यह कमी 13 फीसदी दर्ज की गई थी।

इसी तरह हरियाणा और केरल दोनों में 10,ओडिशा 12, झारखंड 13, उत्तर पूर्वी मध्य प्रदेश 15, राजस्थान 11 और पश्चिम बंगाल में सात फीसदी  सामान्य से कम बारिश दर्ज की गई थी। इसके साथ ही अधिकतर राज्यों में सितंबर मध्य के बाद बिल्कुल बारिश नहीं हुई इस वजह से पहले से ही भू जल संकट से जूझ रहे इन राज्यों में हालात अभी से मुश्किल होने लगे हैं। रबी की लगभग 90 फीसदी बुवाई बोरवेलों के जरिए हुई है।

श्रीअन्न और तिलहन की बुवाई में पिछड़े
इसी तरह अब तक 38.75 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न या मोटे अनाज की बुवाई हो चुकी है। जबकि तिलहन के मामले में यह आंकड़ा 91.6 लाख  हेक्टेयर दर्ज किया गया है। 2023-24 में समान अवधि के दौरान 40.45 लाख हेक्टेयर में श्रीअन्न या मोटे अनाज की बुवाई हो चुकी थी। तिलहन की भी पिछले सीजन में अब तक 96.96 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हो चुकी थी।

पानी की कमी को देखते हुए चने की बुवाई में इजाफा
पानी की कमी को देखते हुए चने की बुवाई में इजाफा देखने को मिला है। इस बार अब तक 86 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में चने की बुवाई हो चुकी है, जबकि पिछली सीजन में यह क्षेत्रफल 84.42 लाख हेक्टेयर रिकॉर्ड किया गया था। दूसरी तरफ मसूर की 2023-24 में 16.29 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी इस बार अब तक 16.03 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में हो चुकी है। हालांकि मसूर, मटर, कुल्थी, उड़द, मूंग और लतरी की बुवाई के मामले में अभी किसान पिछड़े हुए हैं।

गेहूं की बुवाई में बढ़ोतरी
कृषि एवं किसान कल्याण विभाग के अनुसार पिछले वर्ष की तुलना में इस वर्ष  समान अवधि में गेहूं की बुवाई में बढ़ोतरी देखने को मिली है। अब तक देश में 293.11 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में गेहूं की बुवाई का काम पूरा हो चुका है। 2023-24 में इस अवधि के दौरान 284.17 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी।

इसी तरह रबी सीजन वाली धान की अब तक 12.07 लाख  हेक्टेयर में बुवाई हो चुकी है। पिछले साल इस अवधि के दौरान 11.39 लाख  हेक्टेयर क्षेत्र में धान की बुवाई हुई थी। जहां तक दालों की बुवाई का सवाल है तो पिछले साल इस अवधि के दौरान 123.71 लाख  हेक्टेयर क्षेत्र में बुवाई हुई थी, जबकि  इस वर्ष 123.27 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में ही हो पाई है।
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